इंद्रधनुषी क्रांति और नीली क्रांति

इंद्रधनुषी क्रांति

  • वर्तमान में प्राथमिक क्षेत्र में व्याप्त नीली, हरी, पीली, गुलाबी, श्वेत, भूरी क्रांतियों को समेकित करते हुए इन्हें इंद्रधनुषी क्रांति अथवा सदाबहार क्रांति के अंतर्गत शामिल किया जाएगा |
  • इस इंद्रधनुषी क्रांति का मुख्य उद्देश्य है कृषि क्षेत्र में उत्पादन की दर को बढ़ाकर 4% से ऊपर करना |
  • इसमें कृषि को अनुसंधान कार्य से जोड़ा जाएगा तथा इस अनुसंधान शिक्षकों को सुनिश्चित की जाएगी |
  • इंद्रधनुषी क्रांति के अंतर्गत अनुबंधित कृषि तथा कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश की अनुमति जैसे उपाय भी अपनाए जाएंगे |

नीली क्रांति 

  • भारत में मछली उत्पादन के क्षेत्र में हुई प्रगति को नीली क्रांति के नाम से जाना जाता है |
  • भारत का विश्व में मछली उत्पादन में तीसरा स्थान है जिस में नीली क्रांति का बहुत बड़ा योगदान रहा है |
  • भारत में मछली उत्पादन भोजन की आपूर्ति बढ़ाने पोषाहार का स्तर उठाने तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की में विशेष रूप से सहायक रहा है |
  • इसके अलावा मछली एवं इससे जुड़े अन्य उत्पादों की निर्यात से महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा की प्राप्ति हुई है |

औद्योगिकरण का अर्थ एवं लाभ

औद्योगिकरण का अर्थ एवं लाभ

  • प्राथमिक उत्पादकों को विनिर्माण उत्पादों में रुपांतरित करने वाली गतिविधियों को औद्योगिकरण कहा जाता है |इसके अंतर्गत विनिर्माण प्रक्रिया के माध्यम से प्राथमिक उत्पादकों को द्वितीयक उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है |
  • द्वितीयक क्षेत्र को ही औद्योगिकरण क्षेत्र भी कहा जाता है| विनिर्माण, विद्युत, गैस प्रसंस्करण क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र में रखा जाता है –
  1. अर्थव्यवस्था में उत्पादन के मूल्यवर्धन में सहायक |
  2. कृषि विकास में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहायक |
  3. रोजगार सृजन में सहायक |
  4. निर्यात संवर्धन में सहायक |

  • भारत में वर्ष 1950-51 में कुल जीडीपी में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान केवल 15.1 प्रतिशत था जो वर्ष 2009-10 में बढ़कर 28.1% एक हो गया देश के कुल रोजगार में औद्योगिक क्षेत्र का हिस्सा भी बढ़कर 21.9 पर्सेंट हो चुका है

पंचवर्षीय योजनाएं एवं औद्योगिक विकास

  • पहली पंचवर्षीय योजना में औद्योगिक विकास में सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों की भूमिका को स्वीकार करते हुए मिश्रित अर्थव्यवस्था की शुरुआत की गई यह मूलतः कृषि एवं संबंधित क्षेत्र पर केंद्रित योजना थी और इसमें कुल व्यय का केवल 2.8% भाग ही उद्योग एवं खनिज क्षेत्र को प्रदान किया गया |
  • दूसरी पंचवर्षीय योजना व्यापक औद्योगिकरण से संबंधित आधारभूत योजना थी इस योजना में देश में तीव्र औद्योगिक विकास सुनिश्चित करने के लिए आधारभूत उद्योगों की स्थापना पर जोर दिया गया इस योजना के अंतर्गत कुल व्यय की 20.1% राशि उद्योग क्षेत्र को प्रदान की गई |
  • तीसरी पंचवर्षीय योजना दूसरी योजना की निरंतरता में चल रही योजना थी इसमें भी कुल व्यय का 20.1 प्रतिशत भाग औद्योगिक क्षेत्र में खर्च किया गया |
  • चौथी पंचवर्षीय योजना में औद्योगिक विकास में किया गया व्यय कुल व्यय का 18.2% था |
  • पांचवी पंचवर्षीय योजना में कुल व्यय का लगभग 22.8 प्रतिशत भाग उद्योग पर किया गया जो सभी योजना में सर्वाधिक था |
  • छठी पंचवर्षीय योजना के दौरान औद्योगिक नीति में कई बदलाव किए गए तथा उदारीकरण की प्रक्रिया शुरु की गई इस योजना में कुल व्यय का 13.8% औद्योगिक क्षेत्र में किया गया |
  • सातवीं पंचवर्षीय योजना में कुल व्यय का लगभग 11.9 प्रतिशत भाग औद्योगिक क्षेत्र में व्यय किया गया |
  • आठवीं पंचवर्षीय योजना में कुल व्यय का लगभग 9.3% भाग औद्योगिक क्षेत्र में व्यय किया गया |
  • नौवीं पंचवर्षीय योजना इस योजना में कुल योजनागत व्यय का 5% औद्योगिक क्षेत्र को प्रदान किया गया |
  • दसवीं पंचवर्षीय योजना में कुल व्यय का मात्र 3.9% भाग ही औद्योगिक क्षेत्र में व्यय किया गया |
  • ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 10% औद्योगिक विकास का लक्ष्य निर्धारित करते हुए क्षेत्र को कुल व्यय का लगभग 4.5% भाग प्रदान किया गया |
  • 12वीं पंचवर्षीय योजना में 9.6% औद्योगिक विकास का लक्ष्य निर्धारित किया गया |

कृषि क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास (हरित क्रांति) 

हरित क्रांति

  • अमेरिकी वैज्ञानिक डॉक्टर विलियम गैड में अधिक उपज देने वाली किस्मों के संदर्भ में सर्वप्रथम 1968 में हरित क्रांति शब्द का प्रयोग किया था |
  • भारत में तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-66) के अंतिम 2 वर्षों में देशव्यापी सूखे का प्रभाव कृषि के उत्पादन पर पड़ा अतः देश के खाद उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर (1966-67) में योजना अवकाश में कृषि क्षेत्र में विकास के लिए नई कृषि रणनीति अपनाई गई |
  • इसके तहत बड़े पैमाने पर अधिक उपज देने वाले उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग आरंभ हुआ इस उन्नत किस्म के बीज से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया तथा सघन कृषि कार्यक्रम अपनाया गया |
  • इसके अलावा कृषि क्षेत्र में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण लघु सिंचाई भूमि संरक्षण जैसे उपाय भी अपनाए गए तथा इन उपायों के परिणाम स्वरुप भारत के पश्चिमोत्तर भाग में गेहूं का उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई तथा अन्य फसलों के उत्पादन का भी मार्ग प्रशस्त हुआ |
  • इसे ही भारतीय कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति का नाम दिया गया क्योंकि इस नीति के परिणाम स्वरुप भारतीय कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन आया इस कार्य में अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक डॉ नॉर्मन बोरलॉग तथा भारतीय कृषि वैज्ञानिक डॉ एम एस स्वामीनाथन का विशेष योगदान रहा |
  • भारत में हरित क्रांति के परिणामस्वरुप गेहूं, मक्का और चावल जैसे खद्यान्नों के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई इससे भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गया |
  • अनाजों के आयात बंद होने से महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा की बचत होने लगी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि के साथ-साथ कृषि आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा मिला |
  • इस क्रांति का लाभ देश के कुछ क्षेत्रों (पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान का गंगानगर जिला, महाराष्ट्र, तमिलनाडु) को प्राप्त हो तथा अन्य राज्य से अप्रभावित ही रहे इससे क्षेत्रीय असंतुलन को बढ़ावा मिला |
  • हरित क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव गेहूँ के उत्पादन पर पड़ा शेष फसलों को हरित क्रांति का लाभ उस अनुपात में प्राप्त नहीं हो सका |
  • रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों को अत्यधिक प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण को भी बढ़ावा मिला 1990 के दशक तक आते-आते कृषि क्षेत्र में स्थिरता आ गई |

द्वितीय हरित क्रांति

  • कृषि क्षेत्र में आई इस स्थिरता को दूर करने क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने पर्यावरण के हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि क्षेत्र में समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सबसे पहले वर्ष 2006 के विज्ञान कांग्रेस में एपीजे अब्दुल कलाम ने द्वितीय हरित क्रांति का आह्वान किया |
  • इसके तहत उन्नत बीजों का चयन क्षेत्रीय भूमि की दशा के आधार पर किया जाएगा इसमें मोटे अनाजों के उत्पादन पर भी ध्यान दिया जाएगा |
  • द्वितीय हरित क्रांति के तहत जैव प्रौद्योगिकी तथा अनुवांशिक इंजीनियरिंग के प्रयोग द्वारा अधिक उत्पादकता एवं गुणवत्ता पूर्ण बीजों के विकास पर जोर दिया जाएगा |
  • इस चरण में ड्रिप सिंचाई एवं स्पीक स्प्रिंकलर सिंचाई जैसे सिंचाई के उन्नत एवं पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल साधनों के उपयोग पर बल दिया गया है |
  • इसके साथ ही वाटर शेड में मैनेजमेंट द्वारा बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाने के उपाय किए जाएंगे |
  • प्रथम हरित क्रांति जहां उत्पादकता में वृद्धि पर आधारित थी वही द्वितीय हरित क्रांति कृषिगत आय वृद्धि पर आधारित है |

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