क्या है गोलन हाइट्स और विशेषताएँ?

गोलन हाइट्स

  • गोलन हाइट्स दक्षिणी-पश्चिमी सीरिया में स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र है ।
  •  यह क्षेत्र इजरायल, लेबनान और जॉर्डन देशों के सीमा पर स्थित है।
  • गोलन हाइट्स इज़राइल और सीरिया के बीच का विवादित क्षेत्र है ।
  • गोलन हाइट्स के पूर्व में सीरिया और पश्चिम में इज़राइल है।
  • गोलन हाइट्स के उत्तर में लेबनॉन और दक्षिण में जॉर्डन है।
  • गोलन हाइट्स पर यहूदियों की 30 से ज्यादा बस्तियां हैं, जिनमें क़रीब 20,000 लोग रहते हैं।
  • गोलन हाइट्स इलाके में 20,000 सीरियाई लोग भी रहते हैं।
  • 1967 के पहले गोलन हाइट्स सीरिया का पार्ट था ।
  • इजरायल ने 1967 में सीरिया के साथ छह दिन के युद्ध( 6 DAY WAR) के बाद गोलन हाइट्स पर कब्जा कर लिया था।
  • सीरिया ने 1973 में हुए मध्य-पूर्व युद्ध के दौरान गोलन हाइट्स को दोबारा हासिल करने की कोशिश की ।
  • इज़राइल मुताबिक़ गोलन हाइट्स के 1150 वर्ग किलोमीटर इलाक़े पर उसका कब्ज़ा है।
  • सीरिया का मानना है की इज़राइल का गोलन हाइट्स के 1500 वर्ग किलोमीटर इलाक़े पर उसका कब्ज़ा है।
  • गोलन हाइट्स असैन्य क्षेत्र है जिसकी मॉनिटरिंग यूएनडीओएफ (संयुक्त राष्ट्र की संस्था) द्वारा की जाती है। 
  • वर्ष 1974 में इजरायल और सीरिया के बीच हुए युद्धविराम समझौते के तहत इस क्षेत्र की निगरानी की जाती है।

विशेषताएँ

ये इलाका राजनीतिक और सामरिक नज़रिए से बेहद ख़ास है।

गोलन हाइट्स की चोटी से दक्षिणी सीरिया और सीरिया की राजधानी दमिश्क साफ नजर आते हैं।

  • ये पहाड़ी इलाका सीरिया से इजरायल की सुरक्षा के लिए ढाल का काम भी करता है।
  • गोलन हाइट्स से सीरिया सिर्फ 60 किलोमीटर ही दूर है।
  • गोलन हाइट्स इस सूखे इलाके में पानी का मुख्य ज़रिया है।
  • गोलन हाइट्स के ज़रिए इज़राइल एक तिहाई अपनी पानी की ज़रूरत को पूरा करता है ।
  • गोलन हाइट्स इजरायल को भौगोलिक स्तर पर भी सामरिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • गोलन हाइट्स की जमीन भी उपजाऊ है, जहाँ अंगूर और मेवे के बगीचे लगाए गए हैं।

क्या है गिद्ध संरक्षण प्रोजेक्ट तथा कार्य योजना

गिद्ध संरक्षण प्रोजेक्ट

  • गिद्ध संरक्षण प्रोजेक्ट गिद्धों के संरक्षण एवं अभिवृद्धि के लिए हरियाणा वन विभाग तथा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर सन् 2006 में हस्ताक्षर हुआ हैं।
  • राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड (NBWL) ने गिद्धों के संरक्षण की योजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत गिद्धों के लिए जहर बन रही मवेशियों के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवाओं को भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल द्वारा प्रतिबंधित किया जाएगा।
  • भारत में अधिकांश गिद्धों की मृत्यु पशुओं को दी जाने वाली ‘डायक्लोफेनेक, नानस्टीरोइडल एण्टीइनफ्लेमेटरी ड्रग‘ के उपयोग के कारण होती है।
  • एशिया से समाप्त हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए ‘सेव‘ नामक कार्यक्रम को आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य गिद्धों को समाप्त होने से बचाना है।
  • इस कार्यक्रम के तहत 30,000 वर्ग किमी. के सुरक्षित क्षेत्र (जो हानिकारक दवाओं से मुक्त हों) में गिद्धों को संरक्षित किया जाएगा।
  • इसके तहत पशुओं को दी जाने वाली दवा ‘डायक्लोफेनेक‘ पर प्रतिबंध लगा दिया गया जिसके कारण गिद्धों की मौत हो रही थी।
  • देश में गिद्धों की तेजी से घटती संख्या को देखते हुए जूनागढ़, भोपाल, हैदराबाद तथा भुवनेश्वर में गिद्ध संरक्षण परियोजना की शुरूआत की गई है।
  • असोम के धरमपुल में देश का पहला ‘गिद्ध प्रजनन केन्द्र‘ स्थापित किया जा रहा है।
  • भारत में पिंजौर (हरियाणा), राजभटखावा (पश्चिम बंगालतथा रानी (असोम) में तीन गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र सफलतापूर्वक संचालित है।

गिद्ध संरक्षण कार्य योजना 2020-2025

  • इस कार्य योजना में उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडू में गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केन्द्रों की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
  • इसमें लाल सिर वाले गिद्धों के साथ-साथ मिस्र के गिद्धों के संरक्षण और प्रजनन का भी प्रावधान है।
  • गिद्धों की मौजूदा आबादी के संरक्षण के लिए प्रत्येक राज्य में कम-से-कम एक “सुरक्षित गिद्ध क्षेत्र बनाने की भी योजना है।
  • गिद्ध संरक्षण कार्य योजना 2020-2025 के अनुसार विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रें में चार बचाव केंद्र स्थापित किए जाएंगे
  • उत्तर भारत में पिंजौर,
  • मध्य भारत में भोपाल,
  • पूर्वोत्तर भारत में गुवाहाटी

क्या होता है बायोस्फीयर रिज़र्व,संरचना तथा मानदंड?

बायोस्फीयर रिज़र्व

  • बायोस्फीयर अथवा जैवमंडल रिज़र्व में वन्यजीवों एवं प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षारखरखावप्रबंधन या पुनर्स्थापन किया जाता है।
  • बायोस्फीयर रिज़र्व , संयुक्त राष्ट्र शैक्षिकवैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्कोद्वारा प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्यों के सांकेतिक भागों के लिये दिया गया एक अंतर्राष्ट्रीय पदनाम है।
  • यूनेस्को के अनुसार, “बायोस्फीयर रिजर्व स्थलीय और तटीय पारिस्थितिक तंत्र के क्षेत्र हैं, जो अपने सतत उपयोग के साथ जैव विविधता के संरक्षण के समाधान को बढ़ावा देते हैं।
  • बायोस्फीयर रिजर्व, प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का प्रतिनिधित्व भी करता है।
  • यूनेस्को ने ‘बायोस्फीयर रिजर्व’ की शुरुआत प्राकृतिक क्षेत्रें में विकास और संरक्षण के बीच संघर्ष को कम करने के उद्येश्य से की है।
  • बायोस्फीयर रिजर्व लोगों और प्रकृति दोनों के लिये विशेष वातावरण हैं जिसमे मनुष्य एवं प्रकृति एकदूसरे की ज़रूरतों का सम्मान करते हुए रह सकते हैं।

संरचना

  • बायोस्फीयर रिजर्व को तीन भागों में विभाजित किया जाता है-
  • कोर क्षेत्र
  • बफर क्षेत्र
  • संक्रमण क्षेत्र

कोर क्षेत्र (Core Zone),

  • यह बायोस्फीयर रिज़र्व का सबसे संरक्षित क्षेत्र है।
  • इसमें स्थानिक पौधे और जानवर हो सकते हैं।
  • यह काफी संवेदनशील होता है, यहाँ मानवीय गतिविधियों की अनुमति नहीं है।

बफर क्षेत्र (Buffer Zone)

  • बफर क्षेत्र, कोर क्षेत्र और संक्रमण क्षेत्र के बीच का क्षेत्र है।
  • इस क्षेत्र का प्रयोग ऐसे कार्यों के लिये किया जाता है जो पूर्णतया नियंत्रित व गैर-विध्वंशक हों।
  • यहाँ वैज्ञानिक अनुसंधान की अनुमति दी जाती है।

संक्रमण क्षेत्र (Transition Zone)

  • यह बायोस्फीयर रिज़र्व का सबसे बाहरी हिस्सा होता है।
  • यह सहयोग का क्षेत्र है इस क्षेत्र के अंतर्गत मानव बस्तियां, फसल भूमि, प्रबंधित जंगल, मनोरंजन का क्षेत्र और अन्य आर्थिक उपयोग वाले क्षेत्र शामिल हैं।

मानदंड

  • प्रकृति संरक्षण के दृष्टिकोण से संरक्षित और न्यूनतम अशांत क्षेत्र होना चाहिए।
  • प्रबंधन प्राधिकरण को स्थानीय समुदायों की भागीदारी / सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए ताकि जैव विविधता के संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास को आपस में जोड़ते समय प्रबंधन और संघर्ष को रोकने के लिये उनके ज्ञान और अनुभव का लाभ उठाया जा सके।
  • संपूर्ण क्षेत्र एक जैव-भौगोलिक इकाई की तरह होना चाहिए और इतना बड़ा होना चाहिए जो पारिस्थितिकी तंत्र के सभी पौष्टिकता स्तरों का प्रतिनिधित्व कर रहे जीवों की आबादी को संभाल सकें।
  • वह क्षेत्र जिनमे पारंपरिक आदिवासी या ग्रामीण स्तरीय जीवनयापन के तरीको को संरक्षित रखने की क्षमता हो ताकी पर्यावरण का सामंजस्यपूर्ण उपयोग किया जा सके।

भारत में बायोस्फीयर रिज़र्व

  • भारत में 18 बायोस्फीयर रिज़र्व हैं-
  • नंदा देवी, उत्तराखंड
  • कोल्ड डेज़र्ट, हिमाचल प्रदेश
  • खंगचेंदजोंगा, सिक्किम
  • देहांग-देबांग, अरुणाचल प्रदेश
  • मानस, असम
  • डिब्रू-सैखोवा, असम
  • पन्ना, मध्य प्रदेश
  • पचमढ़ी, मध्य प्रदेश
  • अचनकमार-अमरकंटक, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़
  • कच्छ, गुजरात (सबसे बड़ा क्षेत्र)
  • सिमिलिपाल, ओडिशा
  • नोकरेक, मेघालय
  • सुंदरबन,पश्चिम बंगाल
  • शेषचलम, आंध्र प्रदेश
  • अगस्त्यमाला, कर्नाटक-तमिलनाडु-केरल
  • नीलगिरि, तमिलनाडु-केरल (पहला बायोस्फीयर रिज़र्व 1986)
  • मन्नार की खाड़ी, तमिलनाडु
  • ग्रेट निकोबार, अंडमान और निकोबार द्वीप

Related Posts

मध्य प्रदेश की जनजातियां क्या हैं? जानें यहां – UPSC QUESTION

मध्य प्रदेश जनजातीय समुदायों के मामले में भारत का सबसे समृद्ध राज्य है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या का 21.1% अनुसूचित जनजाति (एसटी)…

Vision IAS CLASS अध्ययन सामग्री भूगोल हिंदी में PDF

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

PW केवल IAS आपदा प्रबंधन नोट्स हिंदी में PDF

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

जलवायु परिवर्तन की अवधारणा तथा वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र एवं मानव समाज पर इसके प्रभाव की विवेचना कीजिये। जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों का परीक्षण कीजिये तथा इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के उपाय बताइये। UPSC NOTE

परिचय: जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य तापमान, वर्षा एवं पवन प्रतिरूप तथा पृथ्वी की जलवायु प्रणाली के अन्य पहलुओं में दीर्घकालिक बदलाव से है। इससे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र…

पृथ्वी की सतह पर तापमान, वर्षण एवं वायु के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिये। ये कारक विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में किस प्रकार भिन्न होते हैं? UPSC NOTE

पृथ्वी की सतह पर तापमान, वर्षण एवं वायु के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं: विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में इन कारकों की मात्रा और…

“ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड” (GLOF) से आप क्या समझते हैं ? हिमालय क्षेत्र में GLOF के कारणों और परिणामों की चर्चा कीजिये ? UPSC NOTE 

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) एक प्रकार की विस्फोट बाढ़ है जो हिमनद झील वाले बांध की विफलता के कारण होती है। GLOF में, हिमनद झील का…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *