भारतीय अर्थव्यवस्था के लक्षण

  • भारत एक निम्न मध्यम आय वाली विकासशील अर्थव्यवस्था का उदाहरण प्रस्तुत करता है किंतु सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में हो रही तेज वृद्धि के चलते यह आगामी कुछ वर्षों में मध्यम आय वाले देशों के वर्ग में प्रवेश कर जाएगा भारतीय अर्थव्यवस्था में विकासशील अर्थव्यवस्था के लक्षण पाए जाते हैं

प्रति व्यक्ति आय का निम्न होना

  • भारत की प्रति व्यक्ति आय कुछ देशों को छोड़कर विश्व में सबसे कम है
  • अधिकांश जनसंख्या का प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन में संलग्न होना
  • वर्ष 2008 में भारत के कुल कार्यकारी जनसंख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत कृषि कार्य में लगा हुआ था जबकि राष्ट्रीय आय में इसका योगदान लगभग 14.6 प्रतिशत था

अर्थव्यवस्था पर जनसंख्या का बढ़ता दबाव

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या बढ़कर 1.21 अरब हो चुकी है इतनी बड़ी जनसंख्या के जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए भोजन, वस्त्र, आवास, औषधि, शिक्षा की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती है

बेरोजगारी की समस्या

  • भारत लगातार बेरोजगारी और अल्प रोजगार की समस्या से ग्रसित रहा है यहां मात्रात्मक रोजगार के साथ-साथ गुणात्मक रोजगार की भी कमी रही है

पर्याप्त पूंजी का अभाव

  • यहां प्रति व्यक्ति उपलब्धता काफी कम है निम्न आय वर्ग वाली जनसंख्या की अधिकता के कारण चद्दर भी काफी कम है परिणामत: पूंजी निर्माण की प्रचलित दर भी निम्नतम है

दोषपूर्ण संपत्ति वितरण

शहरी एवं ग्रामीण स्तर पर परिसंपत्तियों के वितरण में भारी असमानता है शहरी परिवारों में भी परिसंपत्ति के वितरण में काफी असमानता है

मानव संसाधन की गुणवत्ता का निम्न होना

  • भारत को अपने मानव संसाधन पर बहुत अधिक निवेश करना पड़ता है| स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक सुधार, सामाजिक सेवा व सामाजिक कल्याण पर अधिक व्यय के कारण आर्थिक विकास के लिए पूंजी का आभाव हो जाता है |

तकनीकी पिछड़ापन

  • अधिकांश औद्योगिक इकाइयों में अब भी घटिया तकनीकी का प्रयोग हो रहा है इसी कारण हरित क्रांति का लाभ भी पूरे देश को प्राप्त नहीं हो सका है परिणामत: अधिकांश राज्यों में कृषि एवं उद्योग अब भी पिछड़ी अवस्था में है

अधिकांश जनसंख्या के जीवन स्तर का निम्न होना

  • भारत में अधिकतर लोगों को प्रतिदिन संतुलित भोजन नहीं मिल पाता है यहां की लगभग 7% जनसंख्या अब भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है

अल्पविकसित जनांकिकीय लक्षण

  • भारत में जनसंख्या का अधिकांश भाग 0-15 एवं 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में है इसके अतिरिक्त औसत जीवन प्रत्याशा एवं शिशु मृत्यु दर भी विकसित देशों की तुलना में काफी अंतर है |
  • वैसे तो भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत से क्षेत्रों में काफी प्रगति की है किन्तु इसे गरीबी दूर करने, कुपोषण पर नियंत्रण करने और अपनी समग्र जनसंख्या को आवास तथा सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में और अधिक कार्य करना होगा |

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