मुगलकाल में वाणिज्य और व्यापार  FOR UPSC IN HINDI

मुगल काल में वाणिज्य और व्यापार का विकास हुआ। इसकी वजह यह थी कि काबुल और कधार कुषाण काल के बाद पहली बार भारतीय साम्राज्य के अंतर्गत आया। कधार से पश्चिम एशिया के लिए व्यापारिक कारवां जाते थे। मुल्तान भी व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र था। लाहौर और बुरहानपुर भी व्यापारिक केन्द्र थे। लाहौर एक तरफ काबुल और कंधार से जुड़ा हुआ था तो दूसरी ओर दिल्ली और आगरा से जुड़ा हुआ था।

सूती वस्त्र उत्पादन के केन्द्र- पटना, जौनपुर, बुरहानपुर और गुजरात में पाटन तथा बंगाल में उड़ीसा तक का क्षेत्र। बंगाल में ढाका मलमल के लिए विश्व प्रसिद्ध था। बंगाल में रेशमी वस्त्र (तस्सर) का भी उत्पादन होता था। बंगाल चावल एवं चीनी का भी निर्यात करता था।

शोरा का उत्पादन बिहार और दक्षिण प्रायद्वीप में होता था। अकबर के समय गलीचा और साल बनाने की कला विकसित हुई। आगरा और लाहौर गलीचा बनाने के केन्द्र थे जबकि साल बनाने का केन्द्र आगरा और कश्मीर था। महत्त्वपूर्ण बंदरगाह निम्नलिखित थे- सिंध में लाहौरी बन्दर, गुजरात में पाटन और खभात, महाराष्ट्र में रत्नागिरी, दाभोल और भतकल, मालाबार में कोचीन और कालीकट, बंगाल में सत्गाँव और सोनारगाँव, गुजरात में भड़ौच एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह था।

आयात की महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ सोना, चाँदी, हाथी दाँत, कच्चा रेशम, औषधि, घोड़ा, टीन, आदि थी। निर्यात की मुख्य वस्तुएँ मसाले, मलमल, सूती वस्त्र, सोरा, नील और बंगाल से संभवत: चावल और चीनी थी। उत्तर पश्चिम के व्यापार में बोहरा व्यापारी सक्रिय थे। इनमें हिन्दू, जैन और मुसलमान तीनो शामिल थे। दो महत्त्वपूर्ण व्यापारी विरजी बोहरा और अब्दुल गफूर बोहरा थे।

दक्षिण भारत में व्यापारिक समूहों को चेट्टी कहा जाता था। कुछ महत्त्वपूर्ण व्यापारी रामा चेट्टी और मेले चेट्टी थे। ये व्यापारी दक्षिण पूर्व एशिया के साथ व्यापार करते थे। दक्षिण पूर्व एशिया में मलक्का एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था। राजस्थान में ओसवाल, अग्रवाल आदि सक्रिय थे। कुछ मुगल अधिकारी भी व्यापार में हिस्सा लेते थे, उदाहरण के लिए आसफ खाँ, मीर जुमला आदि। मुगल काल में मुद्रा व्यवस्था विकसित अवस्था में थी। अबुल फजल के अनुसार 1595 ई. में लगभग 42 टकसालों से तांबे के सिक्के निकाले जाते थे; 14 टकसालों में चाँदी का रुपया निर्मित होता था और 4 टकसालों में सोने के सिक्के बनते थे। मुगल काल में तटीय इलाकों में कौड़ियाँ चलती थीं। गुजरात में चाँदी का एक सिक्का महमूदी चलता था। अकबर ने मुहर नामक एक सिक्का चलाया, जिसे शहनशाह कहा जाता था।

सोने का सिक्का- शहनशाह-(अटमा)-शहनशाह का 1/4 भाग था। (विसात)—शहनशाह का 1/3 भाग था। (चुगल)-शहनशाह का 1/50वाँ भाग था। अकबर ने चाँदी के वर्गाकार एवं वृताकार सिक्के चलाये। वर्गाकार सिक्का जलाली एवं वृताकार सिक्का इलाही कहा जाता था। 1 रुपया 40 दाम के बराबर होता था। किंतु शाहजहाँ के काल में 1 रुपया 30 दाम के बराबर हो गया था। छोटे मूल्य का चाँदी का सिक्का आना कहा जाता जो रुपये का 16वाँ भाग होता था। जहाँगीर ने एक निसार नामक सिक्का चलाया जो एक रुपया का चौथाई भाग होता था। दाम की भी छोटी ईकाई निर्धारित की गई अर्थात् दाम को 25 भागों में विभाजित किया गया। इसे जीतल कहा जाता था। सबसे प्रचलित सिक्का सोने का सिक्का मुहर था, जो 9 रुपये के बराबर होता था। मुगल काल में हुण्डी प्रणाली विकसित अवस्था में थी। 17वीं सदी में हुण्डी का प्रयोग रकम भेजने के अलावा अल्प समय के लिए ऋण की व्यवस्था के लिए होता था। बीमा प्रणाली के विषय में महत्त्वपूर्ण स्रोत ग्रंथ सुजान राय खत्री का खुलासत-उल-तवारिख है। मुगल काल में ऋण की सुविधा भी व्यापारियों को उपलब्ध थी। ऋण प्रदान करने की एक नई व्यवस्था दादनी प्रचलित थी। दादनी प्रथा के अन्तर्गत शिल्पियों को इसमें अग्रिम पैसा दे दिया जाता था और शिल्पियों को निश्चित अवधि तक व्यापारियों को माल तैयार कर देना होता था। एक विशिष्ट प्रकार की निवेश प्रणाली थी जो आवोल कहलाती थी। इसके अन्तर्गत उधार लिया हुआ धन किसी विशिष्ट स्थान के लिए प्रस्थान कर रहे जहाजों में सामग्री के रूप में रख दिया जाता था। इस पर अधिक ब्याज लिया जाता था क्योंकि ऋणदाता ही माल का खतरा वहन करता था।

भारत की जनसंख्या- मोरलैंड के अनुसार भारत की जनसंख्या 16वीं सदी में 100 मिलियन थी। सरदेशाई के अनुसार भारत की जनसंख्या 64.9 और 88.3 मिलियन के बीच में थी। सिरीन मुसबी के अनुसार अकबर के साम्राज्य की जनसंख्या 108.4 मिलियन और संपूर्ण भारत की जनसंख्या 144.3 मिलियन थी। किंग्सले डेविस के अनुसार 16वीं सदी में भारत की जनसंख्या 125 मिलियन थी।

Related Posts

PW IAS प्राचीन भारत नोट्स हिंदी PDF

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

IAS प्रहार 3.0 मॉडर्न इंडिया मेन्स नोट्स 2023 हिंदी PDF

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

EG क्लासेस विश्व इतिहास नोट्स हिंदी PDF

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

PW IAS मध्यकालीन भारत नोट्स हिंदी PDF में

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

केवल IAS प्रहार 3.0 विश्व इतिहास मुख्य नोट्स 2023 हिंदी PDF में

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

केवल IAS प्रहार 3.0 मॉडर्न इंडिया मेन्स नोट्स 2023 हिंदी PDF

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *