व्यष्टि अर्थशास्त्र किसे कहते हैं ?

व्यष्टि अर्थशास्त्र किसे कहते हैं ? |

  • व्यष्टि अर्थशास्त्र यानी सूक्ष्मअर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की एक शाखा है जो यह अध्ययन करता है कि किस प्रकार अर्थव्यवस्था के व्यक्तिगत अवयव, परिवार एवं फर्म, विशिष्ट रूप से उन बाजारों में सीमित संसाधनों के आवंटन का निर्णय करते हैं, जहां वस्तुएं एवं सेवाएं खरीदी एवं बेचीं जाती हैं।
  • सूक्ष्म अर्थशास्त्र यह परीक्षण करता है कि ये निर्णय एवं व्यवहार किस प्रकार वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति एवं मांगों को प्रभावित करते हैं, जो मूल्यों का निर्धारण करती हैं और किस प्रकार, इसके बदले में, मूल्य, वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति एवं मांगों को निर्धारित करती है।
  • आम तौर पर आपूर्ति और मांग का सिद्धांत यह मानता है कि बाजार पूर्ण रूप से प्रतिस्पर्द्धात्मक होते हैं।
  • इसका मतलब यह है कि बाजार में कई क्रेता एवं विक्रेता हैं और किसी में भी वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की क्षमता नहीं होती है।
  • कई वास्तविक जीवन के लेनदेन में, यह पूर्वधारणा विफल हो जाती है क्योंकि कुछ व्यक्तिगत क्रेताओं (खरीदार) या विक्रेताओं में कीमतों को प्रभावित करने की क्षमता होती है।
  • समष्टि अर्थशास्त्र में किसी अर्थव्यवस्था के समस्त आर्थिक परिवर्तों पर विचार किया जाता है। इसमें उन विविध अंतर-सहलग्नताओं की भी चर्चा है जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में विद्यमान रहती हैं। इन्हीं कारणों से यह व्यष्टि अर्थशास्त्र से भिन्न होता है; जिसमें किसी अर्थव्यवस्था के खास क्षेत्रक में कार्यप्रणाली का परीक्षण किया जाता है और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रकों को एक समान मान लिया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र का उद्भव एक पृथक विषय के रूप में 1930 में कीन्स के कारण हुआ। महामंदी से विकसित देशों को गहरा धक्का लगा और कीन्स को अपनी पुस्तक लिखने की प्रेरणा मिली।

व्यष्टि अर्थशास्त्र विशिष्ट फर्मे विशिष्ट परिवारों वैयक्तिक कीमतों मजदूरियों आयो विशिष्ट उद्योगों और विशिष्ट वस्तुओं का अध्ययन है।- प्रो. बोल्डिंग”

व्यष्टि अर्थशास्त्र पूर्णरूप से व्यक्तिगत व्याख्या पर आधारित है और इसका संबधं अन्तर वैयक्तिक सबंधों से भी होता है।  – प्रो. चेम्बरलिन”

व्यष्टिभाव आर्थिक विश्लेषण का सम्बन्ध वैयक्तिक निर्णयन इकाईयों से है|- प्रो.जे.एम जोशी

व्यष्टि भाव अर्थशास्त्र वैयक्तिक इकाईयों जेसे उपभोक्ता ,फर्म ,साधन स्वमियो के आर्थिक क्रियाओ से सम्बन्ध है|- एडविन मेन्सफील्ड

व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिओ एवं व्यक्तिओ के ठीक से परिभाषित समूहों की आर्थिक क्रियाओ का अध्ययन किया जाता है|- हेंडरसन एवं क्वांट

व्यष्टि अर्थशास्त्र के प्रकार |

व्यष्टि अर्थशास्त्र 3 प्रकार का होता है – व्यष्टि स्थैतिकी, तुलनात्मक सूक्ष्म स्थैतिकी तथा सूक्ष्म प्रोद्योगिकी,

  • व्यष्टि स्थैतिकी व्यष्टि स्थैतिकी विश्लेषण में किसी दी हुर्इ समयावधि में सतुंलन की विभिन्न सूक्ष्म मात्राओं के पारस्परिक संबंधों की व्याख्या की जाती है।
  • तुलनात्मक सूक्षम स्थैतिकी तुलनात्मक सूक्षम स्थैतिकी विश्लेषण विभिन्न समय बिन्दुओं पर विभिन्न संतुलनों का तुलनात्मक अध्ययन करता है, परंतु यह नये व पुराने संतुलन के बीच के संक्रमण काल पर प्रकाश नहीं डालता है।

सूक्ष्म प्रौद्योगिकी यह विश्लेषण पुराने एवं नये सतुंलन को बताती है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र व समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर 

  1. व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्ति के लिए बचत लाभकारी है जबकि इसके विपरीत समष्टि अर्थशास्त्र में समष्टि के लिए बचत अलाभकारी मानी जाती हैं
  2. व्यष्टि अर्थशास्त्र पूर्ण प्रतियोगिता एवं रोजगार, सरकार का दखल नहीं, स्वतंत्र कीमत तंत्र इत्यादि मान्यताओं पर आधारित है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र उत्पादन के साधनों का वर्तमान वितरण पहले से ही निर्धारित है ऐसी मान्यता रखता है
  3. व्यष्टि अर्थशास्त्र में आंशिक संतुलन पर ध्यान दिया जाता है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र सामान्य संतुलन की बात करता है
  4. व्यष्टि अर्थशास्त्र एक व्यक्तिगत इकाई का अध्ययन करता है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण देश की अर्थव्यवस्था का अध्ययन करता है
  5. व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र में उद्देश्य की भिन्नता पाई जाती हैं व्यष्टि अर्थशास्त्र संसाधनों के अधिकतम वितरण से संबंधित सिद्धांतों के लिए अध्ययन करता है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र उत्पादकता का विस्तार एवं पूर्ण रोजगार की प्राप्ति से संबंधित सिद्धांतों हेतु अध्ययन करता है
  6. व्यष्टि अर्थशास्त्र विश्लेषण के लिए उपकरण के रूप में कीमत का उपयोग करता है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र राष्ट्रीय आय का स्तर विश्लेषण के उपकरण के रूप में प्रयोग करता है
  7. व्यष्टि अर्थशास्त्र के परिवर्तन समष्टि की स्थिरता में भी हो सकते हैं जबकि समष्टि की स्थिरता व्यष्टि की बनावट में परिवर्तन का प्रभाव नहीं पड़ता है
  8. व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत इकाइयों का जब वे संतुलन की स्थिति में हो तब अध्ययन करता है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था असंतुलन की स्थिति में हो तब अध्ययन करता है

GST क्या है ? क्यों जरूरी है, जीएसटी की मुख्य बातें 

 

जीएसटी एक एकीकृत कर है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। जीएसटी लागू होने से पूरा देश,एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Excise), सेवा कर (Service Tax), वैट (Vat), मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्स आदि जीएसटी में समाहित हो जाएंगे। इससे पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा

क्यों जरूरी है जीएसटी 

  • भारत का वर्तमान कर ढांचा (Tax Structure) बहुत ही जटिल है। भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकार और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है।
  • इस कारण देश में अलग अलग तरह प्रकार के कर लागू है, जिससे देश की वर्तमान कर व्यवस्था बहुत ही जटिल है। कंपनियों और छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के कर कानूनों का पालन करना एक मुश्किल होताहै।

जीएसटी की मुख्य बातें 

  • GST केवल अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करेगा, प्रत्यक्ष कर जैसे आय-कर आदि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार ही लगेंगे।
  • जीएसटी के लागू होने से पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा जिससे वस्तुओं और सेवाओं की लागत में स्थिरता आएगी
  • संघीय ढांचे को बनाए रखने के लिए जीएसटी दो स्तर पर लगेगा – सीजीएसटी (केंद्रीय वस्तु एंव सेवा कर) और एसजीएसटी (राज्य वस्तु एंव सेवा कर)।
  • सीजीएसटी का हिस्सा केंद्र को और एसजीएसटी का हिस्सा राज्य सरकार को प्राप्त होगा।एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की स्थति में
  • आईजीएसटी (एकीकृत वस्तु एंव सेवाकर) लगेगा। आईजीएसटी का एक हिस्सा केंद्रसरकार और दूसरा हिस्सा वस्तु या सेवा का उपभोग करने वाले राज्य को प्राप्त होगा।
  • व्यवसायी ख़रीदी गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी की इनपुट क्रेडिट ले सकेंगे जिनका उपयोग वे बेचीं गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी के भुगतान में कर सकेंगे।सीजीएसटी की इनपुट क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी व सीजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान, एसजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग एसजीएसटी व आईजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान और आईजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी, सीजीएसटी व एसजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान में किया जा सकेगा ।
  • GST के तहत उन सभी व्यवसायी, उत्पादक या सेवा प्रदाता को रजिस्टर्ड होना होगा जिन की वर्षभर में कुल बिक्री का मूल्य एक निश्चित मूल्य से ज्यादा है।
  • प्रस्तावित जीएसटी में व्यवसायियों को मुख्य रूप से तीन अलग अलग प्रकार के टैक्स रिटर्न भरने होंगे जिसमें इनपुट टैक्स, आउटपुट टैक्स और एकीकृत रिटर्न शामिल है।

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