सोलो परफ़ॉर्मर से आईएएस अधिकारी बनीं कविता

आईएएस कविता को यूपीएससी की परीक्षा में साल 2002 में सफलता प्राप्त हुई थी. साल 1999 में उनका चयन तमिलनाडु स्टेट सिविल सर्विसेज में हुआ था.

आमतौर पर आईएएस (IAS) की परीक्षा देने वाले छात्रों का सिर्फ एक ही सपना होता है. यूपीएससी को क्रैक करना और अपने लक्ष्य को हासिल करना. इस बीच उनके सारे शौक अधूरे ही रह जाते है और सिविल परीक्षा में रैंक उनकी एकमात्र मंजिल बन जाती है. इन सब बुनियादी विचारों से परे है कविता रामू (Kavitha Ramu) की आईएएस बनने की कहानी. एक ऐसी होनहार महिला जिन्होंने कला और पढ़ाई के बीच की दूरी अपनी मेहनत के बलबूते कम कर दी.

चार साल की उम्र में शुरू किया भरतनाट्यम


कविता रामू बचपन से ही नृत्य के क्षेत्र में शामिल हो गई थी. उन्होंने बड़े मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया और कुल मिला कर 600 स्टेज परफॉर्मेंस भी किए. जिसके प्रेरणा उन्हें उनकी मां से मिलती थी. उनके पिता खुद एक आईएएस अधिकारी थे और कविता को कला के साथ साथ पढ़ाई के लिए भी प्रोत्साहित करते थे. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन के दौरान इकोनॉमिक्स (Economics) विषय लेकर अपनी यूपीएससी की तैयारी (UPSC Prepration) शुरू कर दी. जिसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

कब पूरा किया सपना?


कविता ने वर्ष 2002 में यूपीएससी की परीक्षा निकाली. सिविल सेवक (Civil Servant) के रूप में अपने करियर के दौरान कविता रामू को चेन्नई के नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सहायक आयुक्त, वेल्लोर में राजस्व मंडल अधिकारी और तमिलनाडु रोड सेक्टर प्रोजेक्ट में राहत और पुनर्वास के लिए संयुक्त आयुक्त के रूप में तैनात किया गया. उन्होंने तमिलनाडु राज्य पर्यटन विकास निगम के महाप्रबंधक और संग्रहालयों के निदेशक के रूप में भी काम किया है. आपको बता दें कि वर्ष 1999 में उनका चयन तमिलनाडु स्टेट सिविल सर्विसेज में हुआ था. लेकिन उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी जारी रखी. वर्ष 2002 में कविता को संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफलता मिली. जिके के बाद उनका आईएएस अधिकारी के रूप में चयन हो गया.

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