उर्जा संसाधन FOR UPSC IN HINDI

उर्जा आर्थिक विकास और जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए एक आवश्यक साधन है। समाज में ऊर्जा की बढ़ती हुई जरूरतों को उचित लागत पर पूरा करने के लिए ऊर्जा के पारंपरिक साधनों के विकास की जिम्मेदारी सरकार की हैं। देश में ऊर्जा सुलभता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए परमाणु ऊर्जा के विकास को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है ।

सूर्य, पृथ्वी पर ऊर्जा का आधारभूत स्रोत है। कोयला, पेट्रोलियम, एवं प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन हैं, और अनवीकरणीय संसाधन भी हैं। सूर्य की रोशनी, पवन, जल, बायोमास, भूतापीय ऊष्मा ही कुछ ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधन हैं। इनमें से जीवाश्म ईंधन, पानी और परमाणु उर्जा परम्परागत संसाधन हैं जबकि सौर, जैव, पवन,, समुद्री, हाइड्रोजन एवं भूतापीय उर्जा अपरम्परागत या वैकल्पिक ऊर्जा संसाधन हैं। अन्य स्तर पर हमारे पास वाणिज्यिक ऊर्जा स्रोत जैसे कोयला, पेट्रोलियम, विद्युत् हैं तथा लकड़ी ईंधन, गाय का गबर तथा कृषि अपशिष्ट जैसे गैर-वाणिज्यिक संसाधन भी हैं ।

परम्परागत ऊर्जा स्रोत मुख्यतः खनिज संसाधन होते हैं। इन्हें हम ईंधन खनिज कह सकते हैं जिसमें कोयला और पेट्रोलियम शामिल हैं जो दहन द्वारा ऊर्जा प्रदान करते हैं। आण्विक खनिजों से भी विखण्डन द्वारा ऊर्जा प्राप्त होती है।

Energy Resources

हालाँकि भारत का बेहद व्यापक भौगोलिक क्षेत्र है, इसके पास पर्याप्त प्राथमिक उर्जा का भण्डार नहीं है जिससे यह अपनी बढती जनसँख्या की अंतिम उर्जा की आवश्यकताओं को पूरा कर सके। विद्युत्, पेट्रोल, गैस, कोयला, लकड़ी इंधन इत्यादि अंतिम उर्जा है जिसे प्रकृति में उपलब्ध स्रोतों से प्राप्त किया जाता है, इसे प्राथमिक ऊर्जा कहा जाता है और इसमें हाइड्रोकार्बन (कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस), जीवाश्म तत्व, प्राथमिक रूप से यूरेनियम, प्राकृतिक तत्वों (वायु, जल इत्यादि) की काइनेटिक ऊर्जा, सूर्य की इलैक्ट्रो-मैग्नेटिक किरणें तथा पृथ्वी की प्राकृतिक ऊष्मा (भूतापीय ऊर्जा) शामिल हैं। प्रथा के अनुसार, अंतिम ऊर्जा को सामान्यतः जलने वाले ईंधन के भार के तौर पर अभिव्यक्त किया जाता है, यदि विद्युत ऊर्जा है तो इसका मापन किलोवाट में किया जाता है।

ऊर्जा संकट एवं संरक्षण

भारत में ऊर्जा संकट मुख्य रूप से एक आपूर्ति का संकट है जो अपनी बढ़ती जनसंख्या की मांग को तथा तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था की मांग को पूरा नहीं कर पा रही है। जैसाकि ऊर्जा आपूर्ति गिरती जा रही है, जिससे निरंतर बिजली गुल रहती है, जिसके परिणामस्वरूप, कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन दोनों पर ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

भारत के ईधन संसाधन बेहद सीमित हैं। विभिन्न परम्परागत स्रोतों से प्राप्त उत्पादन की अपेक्षाकृत असमान ढंग से वितरित किया जाता है। यह परम्परागत संसाधनों के परिवहन लागत को गंभीर रूप से बढ़ाता है। शक्ति उत्पादित स्थापनाओं में कुप्रबंधन और निम्न कार्यक्षमता भी है। बिजली की चोरी और पारेषण में हानि भी ऊर्जा संकट में योगदान करते हैं।संसाधनों की सीमित प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, प्रभावपूर्ण तरीके से गैर-परम्परागत उर्जा स्रोतों का विकास करने के अतिरिक्त, इन्हें संरक्षित करने के कदम उठाने पड़ेंगें। उर्जाक्षम गैजेट्स और इलैक्ट्रीकल सामान के लिए प्रौद्योगिकी का उन्नयन किया जाना चाहिए। पारेषण हानि को न्यूनतम करने की कार्यवाही की जानी चाहिए और विद्युत चोरी को रोका जाना चाहिए। प्रतिस्पद्ध और कार्यक्षमता बढ़ाने तथा अपशिष्ट को घटाने के लिए ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण किया जाना चाहिए। यदि ऊर्जा संकट से बचना है तो समग्र कार्यवाही करने की आवश्यकता है

Related Posts

मध्य प्रदेश की जनजातियां क्या हैं? जानें यहां – UPSC QUESTION

मध्य प्रदेश जनजातीय समुदायों के मामले में भारत का सबसे समृद्ध राज्य है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या का 21.1% अनुसूचित जनजाति (एसटी)…

Vision IAS CLASS अध्ययन सामग्री भूगोल हिंदी में PDF

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

PW केवल IAS आपदा प्रबंधन नोट्स हिंदी में PDF

अब आपने आईएएस अधिकारी बनने का मन बना लिया है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की तलाश कर रहे हैं।…

जलवायु परिवर्तन की अवधारणा तथा वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र एवं मानव समाज पर इसके प्रभाव की विवेचना कीजिये। जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों का परीक्षण कीजिये तथा इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के उपाय बताइये। UPSC NOTE

परिचय: जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य तापमान, वर्षा एवं पवन प्रतिरूप तथा पृथ्वी की जलवायु प्रणाली के अन्य पहलुओं में दीर्घकालिक बदलाव से है। इससे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र…

पृथ्वी की सतह पर तापमान, वर्षण एवं वायु के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिये। ये कारक विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में किस प्रकार भिन्न होते हैं? UPSC NOTE

पृथ्वी की सतह पर तापमान, वर्षण एवं वायु के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं: विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में इन कारकों की मात्रा और…

“ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड” (GLOF) से आप क्या समझते हैं ? हिमालय क्षेत्र में GLOF के कारणों और परिणामों की चर्चा कीजिये ? UPSC NOTE 

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) एक प्रकार की विस्फोट बाढ़ है जो हिमनद झील वाले बांध की विफलता के कारण होती है। GLOF में, हिमनद झील का…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *