• HOME
  • DAILY CA
  • UPSC4U NOTES
    • HISTORY
    • POLITY
    • ECONOMICS
    • GEOGRAPHY
    • ESSAY
  • EXAM TIPS
  • PDF4U
    • UPSC BOOKS
    • UPSC MAGAZINE
    • UPSC NCERT
      • NCERT HISTORY
      • NCERT GEOGRAPHY
      • NCERT ECONOMICS
      • NCERT POLITY
      • NCERT SCIENCE
  • OPTIONAL
    • HINDI OPTIONAL
      • HINDI BOOKS
      • HINDI NOTES
    • HISTORY OPTIONAL
    • SOCIOLOGY OPTIONAL
  • QUIZ4U
    • HISTORY QUIZ
    • GEOGRAPHY QUIZ
    • POLITY QUIZ
  • MOTIVATION
  • ABOUT US
    • PRIVACY POLICY & TERMS OF SERVICE
  • CONTACT
  • Advertise with Us
UPSC4U
  • HOME
  • DAILY CA
  • UPSC4U NOTES
    • HISTORY
    • POLITY
    • ECONOMICS
    • GEOGRAPHY
    • ESSAY
  • EXAM TIPS
  • PDF4U
    • UPSC BOOKS
    • UPSC MAGAZINE
    • UPSC NCERT
      • NCERT HISTORY
      • NCERT GEOGRAPHY
      • NCERT ECONOMICS
      • NCERT POLITY
      • NCERT SCIENCE
  • OPTIONAL
    • HINDI OPTIONAL
      • HINDI BOOKS
      • HINDI NOTES
    • HISTORY OPTIONAL
    • SOCIOLOGY OPTIONAL
  • QUIZ4U
    • HISTORY QUIZ
    • GEOGRAPHY QUIZ
    • POLITY QUIZ
  • MOTIVATION
  • ABOUT US
    • PRIVACY POLICY & TERMS OF SERVICE
  • CONTACT
  • Advertise with Us

POLITY

Home » केंद्र राज्य सम्बन्ध FOR UPSC IN HINDI

केंद्र राज्य सम्बन्ध FOR UPSC IN HINDI

  • Posted by teamupsc4u
  • Categories POLITY
  • Comments 0 comment

केंद्रराज्यसम्बन्ध

सामान्यपरिचय

⇨ हमारे संविधान निर्माताओं ने कनाडा की प्रणाली को अपनाया, यानी सशक्त केंद्र को चुना। किंतु उन्होंने एक अतिरिक्त सूची – समवर्ती सूची को भी सम्मिलित किया।

⇨ वर्तमान संविधान मेँ, भारत शासन (सरकार) अधिनियम, 1935 के तरीकोँ को ही अपनाया गया है तथा शक्तियों को केंद्र व राज्योँ के बीच तीन सूचियोँ (संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची) के तहत विभाजित किया गया है।

⇨ संघ सूची मेँ कुल 99 विषय हैं। इसमेँ वर्णित विषय विश्वास राष्ट्रीय महत्व के हैं, यथा-प्रतिरक्षा, विदेश मामले, बैंकिंग, मुद्रा, सिक्के नागरिकता डाक व टेलीग्राफ आदि।

⇨ वस्तुतः संघ व राज्योँ के मध्य प्रसाशनिक संबंधोँ मेँ सामंजस्य स्थापित करना परिसंघीय शासन तंत्र की जटिल समस्याओं मेँ से एक रहा है।

⇨ संविधान निर्माताओं ने प्रशासनिक क्षेत्र मेँ केंद्र और राज्योँ के मध्य टकराव से बचने के लिए ही विस्तृत प्रावधान किए हैं।

केंद्र राज्योँ मेँ उनकी इच्छा के विरुद्ध भी सैन्य व अर्द्ध-सैन्य बलोँ की तैनाती कर सकता है।

⇨ राज्यों की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग इस प्रकार किया जाना चाहिए कि वह केंद्रीय संसद की विधि के अनुरुप हो (अनुच्छेद 256) तथा केंद्र की कार्यपालिका शक्ति का उल्लंघन करने वाली या उससे पूर्वाग्रह पूर्ण न हो (अनुच्छेद-257)।

⇨ यदि राज्य केंद्र के निर्देशों का पालन नहीं करता, तो केंद्र वहाँ अनुच्छेद 356 का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति शासन लगा सकता है तथा राज्य का प्रशासन अपने हाथोँ मेँ ले सकता है।

⇨ किसी अवांछित घटना के होने पर अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियो को राज्य केवल निलंबित कर सकते हैं, किंतु कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीँ कर सकते।

⇨ केंद्र अन्तर्राज्यीय नदिंयोँ के जल या नदी घाटियों से सम्बद्ध विवादों में निर्णय का प्राधिकार रखता है। इस शक्ति के तहत, संसद ने त्रिसदस्यीय नदी जल अधिकरण का गठन किया है, जिसके निर्णय यदि केंद्र सरकार के राजपत्र मेँ प्रकाशित हुए, तो संबद्ध राज्य पर बाध्यकारी होते हैं (अनुच्छेद 262)।

the-constitution-of-india

⇨ राज्योँ के बेहतर समन्वय हेतु अनुच्छेद 263 के तहत, राष्ट्रपति को विवादों के निपटारे या राज्योँ के मध्य आपसी अथवा केंद्र व राज्योँ के बीच सामान्य हित के विषयों पर विचार-विमर्श हेतु परिषद् गठित करने की शक्ति है। इस शक्ति का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति ने अब तक ऐसी तीन परिषदों का गठन किया है-

1. केंद्रीय स्वास्थ्य परिषद (C.H.C.)

2. केंद्रीय स्थानीय स्वशासन परिषद (C.C.L.S.G.)

3. परिवहन विकास परिषद (T.D.C.)

विधायीनियंत्रण

⇨ राज्यों पर संसद का नहीं केंद का विधायी नियंत्रण (राज्य सूची के किसी विषय पर संसद की विधि बनाने की शक्ति से भिन्न)

⇨ अनुच्छेद-31क, 31ख और 31ग इनके तहत राज्य विधायकों को राष्ट्रपति की अनुमति अनिवार्य है।

⇨ अनुच्छेद-200घ राज्य विधान मंडल द्वारा पारित विधेयकोँ को राज्यपाल, राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर सकता है। एक मामले मेँ यह अनिवार्य है-जब विधेयक उच्च न्यायालय की शक्ति को प्रभावित करता है।

⇨ अनुच्छेद 288घ का राज्य, पानी या बिजली के भंडारण और वितरण मेँ लगे किसी केंद्रीय प्राधिकरण पर कर लगा सकता है, परन्तु ऐसे विधेयकोँ को राष्ट्रपति की अनुमति अनिवार्य है।

⇨ अनुच्छेद-340घ राज्य, अन्तर्राज्यीय व्यापार पर कुछ उचित निर्बन्धन लगा सकता है, किंतु ऐसा कोई विधेयक, राष्ट्रपति की अग्रिम संस्तुति के बाद ही राज्य विधानमंडल मेँ पुरःस्थापित किया जा सकता है।

⇨ विधाई विषयों के दृढ़ विभाजन की दशा मेँ निम्नलिखित सिद्धांतों और द्वारा कुछ मदद मिलती है।

सार औरतत्वकासिद्धांतDoctrine of Pith and Substance

⇨ यह सिद्धांत, केंद्र व राज्योँ के मध्य विधायी शक्तियों के विभाजन से संबंधित है। यदि एक विधानमंडल अपनी अधिकारिता के तहत आने वाले किसी विषय पर कोई विधि बनाता है, किंतु उस प्रक्रिया मेँ आनुषांगिक रुप से यह विधि किसी ऐसे विषय मेँ प्रवेश करती है जिसके बारे मेँ बहुत सक्षम नहीँ है, तो ऐसी विधि की विधि मान्यता की जांच करने के लिए यह सिद्धांत प्रयोग मेँ लाया जाता है।

⇨ यदि विधि, सारवान रुप से ऐसे विषय के अधीन आती है जिस पर विधानमंडल की अधिकारिता है और आनुषंगिक रुप से ऐसे विषय मेँ प्रवेश करती है, जिसके बारे मेँ वह सक्षम नहीँ है तो विधि को विधिमान्य माना जाना चाहिए। यह सिद्धांत इस तथ्य पर आधारित है कि विषयों का पूर्ण विभाजन संभव नहीँ है और उसमेँ आपस मेँ कुछ संबंध लाजमी है।

आपसीविधान का सिद्धांत

⇨ यह सिद्धांत अनिवार्यतः संघीय संविधानों मेँ लागू होता है। यह सिद्धांत केवल विधायी समर्थन के प्रश्न से संबंधित है। यह तब प्रयोग मेँ लाया जाता है, जब कोई विधानमंडल किसी मामले मेँ प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष या भ्रमित रुप मेँ अपनी संवैधानिक शक्ति के बाहर जाते हुए अपनी अधिकारिता सीमा के अंदर दिखने की कोशिश करता है। इस सिद्धांत का कहना है कि, विधि का तत्व महत्वपूर्ण है न कि इसका बाहरी प्रारुप या बनावट। यह सिद्धांत इस बात को रेखांकित करता है, “जो आप प्रत्यक्ष रुप से नहीँ करते वो आप परोक्ष रुप से भी नहीँ कर सकते।”

केंद्र-राज्य संबंध - संशोधन नोट्स Notes | Study भारतीय राजव्यवस्था (Indian  Polity) for UPSC CSE in Hindi - UPSC

प्रशासनिकसंबंध

⇨ दोप्रशासनिकप्रणाली – केंद्रीय एवं राज्य प्रणाली एक दूसरे के समानांतर नहीँ चलती हैं। वे कुछ जगहोँ पर मिलती हैं और इन जगहोँ पर, राज्योँ के ऊपर केंद्र हावी होता है।

⇨ अनुच्छेद 256 – राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा, जिससे संसद के अधिनियमों मेँ अड़चन न आए।

⇨ अनुच्छेद 257 – राज्यों की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा, जिससे संघ की कार्यपालिका शक्ति मेँ व्यवधान न आए।

⇨ अनुच्छेद 257 – केंद्र एवं संचार माध्यमोँ की रक्षा एवं उन को बनाए रखने के लिए राज्यों को निर्देश दे सकता है।

⇨ यदि ऐसे निर्देश का पालन नहीँ किया जाता है, तो अनुच्छेद 355 के तहत, यह राज्य के समाधान के तंत्र की विफलता (असफलता) मानी जा सकती है और अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

⇨ परिसंघीय राज्यव्यवस्था की सफलता व शक्ति सरकारों के मध्य सहयोग व समन्वय पर आधारित है।

⇨ अनुच्छेद 258 – केंद्र संसदीय अधिनियमों के क्रियान्वयन के लिए राज्योँ के प्रशासनिक तंत्र का प्रयोग कर सकता है। केंद्र को किसी राज्य मेँ बिना उसकी सहमति के सैनिक या अर्द्धसैनिक बल तैनात करने की भी शक्ति है।

⇨ अनुच्छेद 262 – यह अनुच्छेद संसद को, अंतर्राज्यीय नदी जल से संबंधित विवाद के समाधान के लिए विधि बनाने का अधिकार प्रदान करता है। इस अधिकार के तहत, संसद ने “अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956” पारित किया, जिसके अनुसार ऐसे विवादों के न्यायनिर्णयन के लिए राष्ट्रपति अंतर्राज्यीय नदी जल अधिकरण गठित कर सकता है। ऐसे अधिकरण द्वारा दिए गए पंचाट को एक बार केंद्र के राजकीय गजट मेँ अधिसूचित कर देने के बाद, यह सम्बंधित पक्षों पर बाध्य हो जाता है।

⇨ अनुच्छेद 312 – अखिल भारतीय सेवाओं की भर्ती, प्रशिक्षण और नियुक्ति केंद्र द्वारा की जाती है, किंतु उसके अधिकारी अधिकांशतः राज्य स्तर पर कार्य करते हैं। इस प्रकार, केंद्र राज्य प्रशासन के कार्यो पर नियंत्रण रख सकता है।

⇨ अनुच्छेद 352 – जब आपात स्थिति कायम हो, तब केंद्र राज्यों को किसी भी विषय पर प्रशासनिक निर्देश दे सकता है।

वित्तीयसंबंध

the-constitution-of-india

⇨ संविधान, केंद्र और राज्योँ के मध्य वित्तीय संशोधनोँ के वितरण का प्रबंध करता है। राज्यों द्वारा लगाए गए कर नहीँ, बल्कि केंद्र द्वारा दिए गए करोँ का एक भाग एवं सहायता अनुदान राज्योँ के वित्त के मुख्य स्रोत हैं।

⇨ संविधान मेँ निम्नलिखित पांच प्रकार के करों का प्रावधान है –

1. संघ द्वारा उद्गृहीत (levy) किए जाने वाले, किंतु राज्यों द्वारा संगृहीत और विनियोजित किए जाने वाले कर। उदाहरण-स्टांप शुल्क, औषधीय और प्रसाधन निर्मितियों पर उत्पाद शुल्क।

2. संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतु पूर्ण रूप से राज्यों को सौपें जाने वाले कर। उदाहरणतः

⇨ संपत्ति के उत्तराधिकार पर कर,

⇨ रेलवे किराया और माल भाड़े पर कर,

⇨ रेल, समुद्र या वायुमार्ग द्वारा ले जाए जाने वाले माल या यात्रियोँ पर लगाए गए सीमा कर।

⇨ संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतु संघ एवं राज्यों के बीच वितरित किया जाने वाला कर।

⇨ उदाहरण- आयकर, केंद्रीय विक्रय कर।

⇨ संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत, जिनको केंद्र व राज्योँ के मध्य वितरित किया जा सकता है। सीमा शुल्क, आयकर पर अधिभार।

⇨ संघ व राज्योँ के मध्य वित्तीय संबंधों के बारे मेँ अधिकांश प्रावधान भारतसरकारअधिनियम 1935 से लिए गए हैं।

⇨ संविधान मेँ करारोपण की विधाई शक्ति व करोँ के आगमों की प्राप्ति की वित्तीय शक्ति मेँ अंतर दिखाया गया है, किंतु यह भेद पूर्णतः पृथक नहीँ है।

⇨ करों के संबंध मेँ अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास हैं।

⇨ व्यवहारतः राज्यों को करारोपण की दृष्टि से बहुत सीमित शक्तियां हैं और वे वित्तीय स्रोतों के मामले मेँ केंद्र पर अत्यधिक निर्भर हैं, यही कारण है कि प्रायः उन्हें महिमा मंडित नगर पालिकाएं कहा जाता है।

⇨ राज्यों के वित्त का प्रमुख स्रोत केंद्र से सहायता प्राप्त अनुदान है। इस प्रकार केंद्र का राज्योँ के वित्त पर व्यापक नियंत्रण होता है।

⇨ संविधान मेँ केंद्रीय करोँ को संघ व राज्यों के बीच उनकी वसूली तथा भागीदारी के आधार पर चार वर्गो मेँ वर्गीकृत किया गया है –

1. कर, जो केंद्र द्वारा आरोपित किए जाते हैं, किन्तु उन्हें राज्य द्वारा वसूला तथा पुर्णतः विनियोजित / प्राप्त किया जाता है (अनुछेद 270)। इनमेँ डाक टिकट शुल्क, उत्पाद शुल्क (दवाओं व प्रसाधनों के)।

2. कर, जो केंद्र द्वारा आरोपित वसूले जाते हैं, किंतु उनको पूर्णतः राज्यों द्वारा विनियोजित किया जाता है (अनुछेद 269) जैसे –

⇨ कृषि भूमि से परे अन्य संपत्तियों के उत्तराधिकार पर शुल्क।

⇨ कृषि भूमि से परे अन्य संपत्तियोँ पर परिसंपत्ति शुल्क।

⇨ वस्तुओं तथा यात्रियों पर टर्मिनल कर (रेल, वायुमार्ग, जल मार्ग)।

⇨ रेल भाड़ा व मालवाहन पर कर।

⇨ डाक शुल्क से भिन्न स्टाक एक्सचेंज पर कर।

⇨ अंतराष्ट्रीय माल वाहन पर कर।

⇨ समाचार-पत्रोँ की खरीद बिक्री व उसके विज्ञापनों पर कर।

⇨ कर जो केंद्र द्वारा आरोपित व वसूले जाते हैं, किन्तु जिनका वितरण केंद्र व राज्योँ के बीच होता है (अनुछेद 270)। इसमें कृषि आय से भिन्न आय पर कर सम्मिलित हैं। वितरण का अनुपात प्रत्येक 5 वर्ष पर गठित किए जाने वाले वित्त आयोग द्वारा निर्धारित किया जाता है।

  • Share:
author avatar
teamupsc4u

Previous post

विश्व के सबसे बड़े देश FOR UPSC IN HINDI
September 14, 2022

Next post

जम्मू कश्मीर के संबंध मेँ विशेष प्रावधान  FOR UPSC IN HINDI
September 14, 2022

You may also like

INDIAN-1-1-1024×576
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पद सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में: दिल्ली उच्च न्यायालय FOR UPSC IN HINDI
23 September, 2022
INDIAN-1-1-1024×576
प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण की बाध्यता नहीं: सर्वोच्च न्यायालय FOR UPSC IN HINDI
23 September, 2022
INDIAN-1-1-1024×576
राज्यों में कोटा लाभ: सर्वोच्च न्यायालय FOR UPSC IN HINDI
23 September, 2022

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search

Categories

DOWNLOAD MOTOEDU

UPSC BOOKS

  • Advertise with Us

UPSC IN HINDI

  • ECONOMICS
  • GEOGRAPHY
  • HISTORY
  • POLITY

UPSC4U

  • UPSC4U SITE
  • ABOUT US
  • Contact

MADE BY ADITYA KUMAR MISHRA - COPYRIGHT UPSC4U 2022

  • UPSC4U RDM
Back to top