• HOME
  • DAILY CA
  • UPSC4U NOTES
    • HISTORY
    • POLITY
    • ECONOMICS
    • GEOGRAPHY
    • ESSAY
  • EXAM TIPS
  • PDF4U
    • UPSC BOOKS
    • UPSC MAGAZINE
    • UPSC NCERT
      • NCERT HISTORY
      • NCERT GEOGRAPHY
      • NCERT ECONOMICS
      • NCERT POLITY
      • NCERT SCIENCE
  • OPTIONAL
    • HINDI OPTIONAL
      • HINDI BOOKS
      • HINDI NOTES
    • HISTORY OPTIONAL
    • SOCIOLOGY OPTIONAL
  • QUIZ4U
    • HISTORY QUIZ
    • GEOGRAPHY QUIZ
    • POLITY QUIZ
  • MOTIVATION
  • ABOUT US
    • PRIVACY POLICY & TERMS OF SERVICE
  • CONTACT
  • Advertise with Us
UPSC4U
  • HOME
  • DAILY CA
  • UPSC4U NOTES
    • HISTORY
    • POLITY
    • ECONOMICS
    • GEOGRAPHY
    • ESSAY
  • EXAM TIPS
  • PDF4U
    • UPSC BOOKS
    • UPSC MAGAZINE
    • UPSC NCERT
      • NCERT HISTORY
      • NCERT GEOGRAPHY
      • NCERT ECONOMICS
      • NCERT POLITY
      • NCERT SCIENCE
  • OPTIONAL
    • HINDI OPTIONAL
      • HINDI BOOKS
      • HINDI NOTES
    • HISTORY OPTIONAL
    • SOCIOLOGY OPTIONAL
  • QUIZ4U
    • HISTORY QUIZ
    • GEOGRAPHY QUIZ
    • POLITY QUIZ
  • MOTIVATION
  • ABOUT US
    • PRIVACY POLICY & TERMS OF SERVICE
  • CONTACT
  • Advertise with Us

GEOGRAPHY

Home » खाद्यान्न फसलें: गेहूं FOR UPSC IN HINDI

खाद्यान्न फसलें: गेहूं FOR UPSC IN HINDI

  • Posted by teamupsc4u
  • Categories GEOGRAPHY
  • Comments 0 comment

गेहूं भारत की दूसरी प्रमुख खाद्य-फसल है। भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। यह विश्व के कुल गेहूं का लगभग 8 प्रतिशत उत्पादित करता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं और इन राज्यों से कुल गेहूं का लगभग 80 प्रतिशत प्राप्त होता है। जर्म गेहूं (ट्रीटीकम) की विभिन्न किस्में हैं जैसे, ट्रीटीकम दूरूम, ट्रीटीकम एसटीयूएम एल., ट्रीटीकम कॉम्पैक्टम, ट्रीटीकम स्पेल्टा, ट्रीटीकम डाईकोकम इत्यादि। हालांकि भारत में रोटी हेतु सामान्य गेहूं किस्में- ट्रीटीकम एस्टीयूम एल., मेक्रोनी गेहूं (ट्रीटीकम दूरूम) तथा एम्मार गेहूं (ट्रिटीकम डिकोकम) है। ट्रिटीकम डीकोकम की बेहद सीमित पैमाने पर गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में पैदावार की जाती है, जहां यह क्रमशः पोपटिया, खापली, रवा, गोधूमालू और सांबा के नाम से जाना जाता है। ट्रीटीकम दूरूम भारत में पैदा की जाने वाली दूसरी सर्वाधिक महत्वपूर्ण गेहूं किस्म है।

वृद्धि की शर्तें: शीतित शीत ऋतु और ऊष्ण ग्रीष्म ऋतु गेहूं के उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं। उच्चताप एवं उच्च आर्द्रता वाले क्षेत्र में गेहूं की कृषि नहीं की जा सकती। इसके अंकुरण तथा प्राथमिक वृद्धि के लिए कम तापक्रम की तथा पकते समय अधिक तापक्रम की आवश्यकता होती है। भारत में अधिकांश गेहूं सिन्धु-गंगा मैदान में रबी के मौसम में उत्पादित होता है, जब तापमान 10° से 15° सेंटीग्रेड और वर्षा 5 से 15 सेंटीमीटर तक होती है। 50 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर तक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र को गेहूं की खेती के लिए उत्कृष्ट माना जाता है। गेहूं की खेती के लिए दोमट, चिकनी तथा काली कपास मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है। गेहूं की बुआई के समय सर्द, शुष्क, वृद्धि के समय नम तथा पकते समय उष्ण व शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है। अनाज या खाद्यान्न के पकने से पूर्व की थोड़ी मात्रा में वर्षा उत्पादन को बढ़ा देती है। फसल के पकने की अवधि के दौरान स्पष्ट और तेज धूप के साथ वर्षारहित दिन अच्छी गुणवत्ता के खाद्यान्न के लिए आवश्यक है। अच्छी प्रकार से गूंथा गया लेकिन संयोजित बीज का क्षेत्र गेहूं की फसल के अच्छी प्रकार से उगने के लिए आवश्यक है। काली कपासी मृदा में, हल के स्थान पर ब्लेड वाला उपकरण (हेरो) इस्तेमाल किया जाता है। सिंचाई की व्यवस्था तथा शुष्क कृषि प्रक्रिया अपनाकर 50 सेमी. से भी कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी गेहूं की खेती की जा सकती है।

Food Grains: Wheat- Triticum aestivum

उत्पादक क्षेत्र: कृषि जलवायु के आधार पर भारत को पांच प्रमुख गेंहूं उत्पादक क्षेत्रों में बांटा जाता है-

  1. उत्तर-पश्चिमी मैदान: पंजाब, हरियाणा, जम्मू, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में आते हैं। इस क्षेत्र में सिंचाई आधारित गेहूं की बुआई नवम्बर में होती है, जबकि वर्षा आधारित गेहूं की बुआई अक्टूबर में की जाती है। गेहूं की फसल की कटाई सामान्यतः मध्य अप्रैल से शुरू होती है और मई की शुरुआत तक चलती है। पांचों क्षेत्रों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
  2. उत्तर-पूर्वी मैदान: पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, ओडीशा, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैण्ड, मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम इसी क्षेत्र में आते हैं। धन की विलंबित कटाई के कारण गेंहूं की फसल नवम्बर के उत्तरार्द्ध और दिसम्बर के पूर्वार्द्ध में बोयी जाती है और कटाई सामान्यतः मार्च-अप्रेल महीने में की जाती है।
  3. मध्य क्षेत्र: मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र इसी क्षेत्र में आते हैं। इस क्षेत्र में ट्रीटीकम एस्टिवम और ट्रीटीकम डूरम दोनों ही प्रकार की गेहूं की फसलें उगायी जाती हैं।
  4. प्रायद्वीपीय क्षेत्र: दक्षिण भारत के राज्य महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु इस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। गेहूं की सभी तीन प्रजातियों-एस्टिवम, डूरम और डाइकोकम की खेती इस क्षेत्र में होती है।
  5. उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र: जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और सिक्किम का पहाड़ी क्षेत्र इसी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इस क्षेत्र में फसल अक्टूबर में बोयी जाती है और मई-जून में कटाई की जाती है।

राज्यों के उत्पादक क्षेत्र

उत्तर प्रदेश: यह भारत में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। भारत में होने वाले कुल गेहूं उत्पादन का 35 प्रतिशत उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ही उत्पादित होता है। गंगा-घाघरा दोआब और गंगा-यमुना दोआब के क्षेत्र ही मुख्य गेहूं उत्पादक क्षेत्र हैं। गोरखपुर जिला सर्वाधिक गेहूं  उत्पादित करता है और उसके बाद मेरठ, बुलंदशहर, इटावा, मुरादाबाद, शाहजहाँपुर, झांसी, हमीरपुर औरे बांदा प्रमुख गेहूं उत्पादक जिले हैं। गेहूं की फसल का उत्पादन उत्तर-पश्चिमी और मध्य-पश्चिमी जिलों में ही केंद्रित है, जहां अच्छी वर्षा होती है और सिंचाई की भी अच्छी व्यवस्था है।

पंजाब: भारत में गेहूं के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि का मुख्य श्रेय पंजाब राज्य को ही है। भारत में उत्पादित होने वाले कुल गेहूं में लगभग 21 प्रतिशत की भागीदारी इसी राज्य की होती है। राज्य में लगभग सभी जिलों में गेहूं प्रमुख फसल है- जालंधर, लुधियाना, फरीदकोट, भटिण्डा, पटियाला, गुरुदासपुर, अमृतसर, संगरूर आदि मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं। इस राज्य में गेहूं के ज्यादा उत्पादन के कारण हैं- उपजाऊ दोमट मिट्टी की उपलब्धता, सिंचाई-सुविधा और प्रति हेक्टेयर उत्पादन की उच्च क्षमता।हरियाणा: भारत में गेहूं का उत्पादन करने वाले राज्यों में इसका प्रमुख स्थान है।

मध्य प्रदेश: यहां प्रति हेक्टेयर उपज की मात्रा कम है और इसका एकमात्र कारण सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होना है। सागर तथा होशंगाबाद प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्र हैं, जबकि कटनी, जबलपुर आदि में भी गेहूं का पर्याप्त उत्पादन होता है।

राजस्थान: पर्याप्त वर्षा और सिंचाई की समुचित व्यवस्था के आभाव बावजूद राजस्थान के श्रीगंगानगर, कोटा, अलवर, टोंक, सवाई माधोपुर, भरतपुर, जयपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर और पालि जिलों में गेहूं की फसल प्रमुखता से उत्पादित की जाती है।

पश्चिम बंगाल: धान के उत्पादन में पहला स्थान रखने वाले इस राज्य में गेहूं का उत्पादन वीरभूम, वर्द्धवान, मुर्शिदाबाद आदि जिलों में होता है।

बिहार: गेहूं  इस राज्य की प्रमुख रबी की फसल है। गेहूं का उत्पादन करने प्रमुख जिले हैं- दरभंगा, शाहाबाद, गया, रोहतास, सिवान, सरन, भोजपुर और औरंगाबाद।

हिमाचल प्रदेश: इस राज्य में दोमट मिट्टी की प्रचुरता है, जो गेहूं के उत्पादन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है। मंदी जिला गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र हिया, जबकि ऊना, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर, चम्बा, सिरमौर, शिमला, सोलन, कुल्लू और किन्नौर जिलों में भी गेहूं का उत्पादन होता है।

गुजरात: इस राज्य में गेहूं के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि हो रही है। मेहसाना, राजकोट खेड़ा, साबरकंठ और जूनागढ़ गुजरात के प्रमुख गेहूं उत्पादक जिले हैं।

Food Grains: Wheat- Triticum aestivum

उपज: भारत में गेहूं की औसत उपज में वृद्धि तीव्र गति से हुई हे। गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार और गुजरात के 70 प्रतिशत से 98 प्रतिशत तक गेहूं उत्पादक क्षेत्र सिंचाई सुविधा से युक्त हैं। पंजाब और हरियाणा में प्रति हेक्टेयर उपज उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार की अपेक्षा बहुत ही अधिक है।

उत्पादन में स्थायित्व लाने के लिए, वैज्ञानिकों को रोग प्रतिरोधी सहिष्णु किस्मों को उत्पादित करने हेतु दोगुने प्रयास करने होंगे और टीकाकरण भर तथा क्षति की भयंकरता को कम करने की रणनीति बनानी होगी। गेहूं, सौभाग्यवश, धान एवं अन्य फसलों की तरह कीटों से कम प्रभावित होता है। हाल के वर्षों में गेहूं में वैज्ञानिकों को मिली सफलता के कारण, प्रतिरोधी/सहिष्णु किस्मों के विकास में सफलता मिली है और ऐसे रसायन की पहचान भी की है जो क्षति की भयंकरता को कम कर सकता है।

गेहूं की किस्में: गेहूं की कुछ प्रसिद्द किस्में हैं- कल्याण सोना, सोनालिका, जनक, जयराज, गिरिजा सिंचाई युक्त क्षेत्र के लिए। वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए कल्याण सोना, गिरिजा, के. 65, सी. 306, वी.एल. 401, जनक, प्रताप, एन.पी. 884, मेघदूत आदि प्रमुख किस्में हैं।

  • Share:
author avatar
teamupsc4u

Previous post

मोटे अनाज: मक्का FOR UPSC IN HINDI
September 3, 2022

Next post

खाद्यान्न फसलें: धान FOR UPSC IN HINDI
September 3, 2022

You may also like

GEOGRAPHY
भारत में हिमालय के प्रमुख दर्रे  FOR UPSC IN HINDI
22 September, 2022
GEOGRAPHY
ब्रह्माण्ड और मंदाकिनियाँ FOR UPSC IN HINDI
22 September, 2022
GEOGRAPHY
वारसा जलवायु परिवर्तन सम्मेलन FOR UPSC IN HINDI
22 September, 2022

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search

Categories

DOWNLOAD MOTOEDU

UPSC BOOKS

  • Advertise with Us

UPSC IN HINDI

  • ECONOMICS
  • GEOGRAPHY
  • HISTORY
  • POLITY

UPSC4U

  • UPSC4U SITE
  • ABOUT US
  • Contact

MADE BY ADITYA KUMAR MISHRA - COPYRIGHT UPSC4U 2022

  • UPSC4U RDM
Back to top