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NCERT SCIENCE

Home » तांबा FOR UPSC IN HINDI

तांबा FOR UPSC IN HINDI

  • Posted by teamupsc4u
  • Categories NCERT SCIENCE
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प्राप्ति (Occurrence): प्रकृति में ताँबा मुक्त अवस्था तथा संयुक्तावस्था दोनों में पाया जाता है। संयुक्तावस्था में यह मुख्यतः सल्फाइड, ऑक्साइड एवं कार्बोनेट अयस्कों के रूप में पाया जाता है। तांबा को उत्कृष्ट धातु कहा जाता है। यह एक संक्रमण तत्व है। आदिमानव द्वारा सबसे पहले तांबा का ही उपयोग किया गया था।

तांबे का निष्कर्षण: तांबे का निष्कर्षण मुख्यतः कॉपर पायराइट्स अयस्क से किया जाता है। कॉपर पायराइट्स अयस्क का सांद्रण फेन प्लवन विधि द्वारा किया जाता है। फफोलेदार तांबा को अशुद्ध तांबा कहते हैं। इसके समूह पर फफोले होते हैं। यह 98% शुद्ध होता है। द्रवित तांबे को धीरे-धीरे ठंडा करने पर SO2 गैस बाहर निकलने के कारण वह फफोलेदार हो जाता है।

तांबे के भौतिक गुण: यह थोड़े लाल रंग की धातु है। इसका द्रवणांक 1083°C, क्वथनांक 2310°C तथा विशिष्ट गुरुत्व 8.95 होता है। यह तन्य तथा आघातवर्ध्य होता है। यह ऊष्मा तथा विद्युत् का सुचालक होता है।

तांबे के रासायनिक गुण: यह साधारण ताप पर शुष्क हवा से कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। यह आर्द्र हवा में धीरे-धीरे भास्मिक कार्बोनेट में परिणत हो जाता है। यह तनु HCl से कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। यह सान्द्र HCl से प्रतिक्रिया कर क्यूप्रिक क्लोराइड का निर्माण करता है। यह ठंडे तथा तनु H2SO4 के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। इसे सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर SO2 गैस निकलती है। तनु HNO3 के साथ नाइट्रस ऑक्साइड (NO) गैस निकलती है। 50% सान्द्र HNO3 के साथ नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) गैस निकलती है। सान्द्र HNO3 के साथ NO2 गैस निकलती है। गर्म तांबे पर HNO3 का वाष्प प्रवाहित करने पर नाइट्रोजन गैस निकलती है।

तांबा के उपयोग:

(i) विद्युत् तार एवं विद्युत् उपकरण के निर्माण में

(ii) विद्युत् मुद्रण तथा विद्युत् लेपन में

(iii) सिक्का तथा बर्तन के निर्माण में

(iv) मिश्रधातुओं के निर्माण में

(v) कैलोरीमीटर के निर्माण में

तांबे की मिश्रधातुएँ
पीतलCu (70%), Zn (30%)बर्तन तथा मूर्तियाँ बनाने में
कांसाCu (88%), Sn (12%)बर्तन तथा मूर्तियों के निर्माण में
जर्मन सिल्वरCu (50%), Zn (35%), Ni (15%)बर्तन तथा मूर्तियाँ बनाने में
गन मेटलCu (88%), Sn (10%) Zn (2%)बंदूकों तथा मशीनों के पुजों के निर्माण में

तांबे के यौगिक

  1. क्यूप्रिक सल्फेट (Cupric Sulphate): क्यूप्रिक सल्फेट को नीला थोथा या नीला कसीस के नाम से भी जाना जाता है। यह ताँबा का सबसे प्रमुख यौगिक है। यह नीले रंग का रवेदार ठोस पदार्थ है। यह जल में काफी विलेय है। इसके प्रत्येक अणु में जल के पाँच रवाकरण अणु रहते हैं। इसका उपयोग कीटाणुनाशक के रूप में, विद्युत् लेपन तथा विद्युत् सेलों में होता है। यह KCN के साथ प्रतिक्रिया कर जटिल यौगिक पोटैशियम क्यूप्रोसायनाइड बनाता है। कॉपर सल्फेट एक विष है। अतः इसे कीटाणुनाशक (Fungicide) के रूप में प्रयोग किया जाता है। निर्जल कॉपर सल्फेट रंगहीन होता है और जल की अति सूक्ष्म मात्रा की उपस्थिति में यह नीला रंग देता है। अतः निर्जल कॉपर सल्फेट का प्रयोग जल के परीक्षण में किया जाता है।
  1. श्वेत कांसा (White Bronze): टिन की अधिक मात्रा युक्त कांसा को श्वेत कांसा कहते हैं।
  2. रोल्ड गोल्ड (Rold Gold): रोल्ड गोल्ड तांबे की एक मिश्रधातु है, जिसका उपयोग सस्ते आभूषणों के निर्माण में होता है।
  3. क्यूप्रिक क्लोराइड (Cupric Chloride): यह हरे रंग का रवेदार ठोस पदार्थ है। यह पानी में काफी घुलनशील है। इसके एक अणु में जल के दो अणु रवाकरण जल के रूप में उपस्थित होता है। 150°C तक गर्म करने पर यह अनार्द्र लवण में बदल जाता है। इसका उपयोग डोकेन विधि द्वारा क्लोरीन के निर्माण में उत्प्रेरक के रूप में होता है।
  4. क्यूप्रस ऑक्साइड (Cuprous Oxide): ताँबे के चूर्ण को क्यूप्रिक ऑक्साइड के साथ मिलाकर गर्म करने पर क्यूप्रस ऑक्साइड प्राप्त होता है। यह लाल रंग का ठोस पदार्थ है जो जल में अघुलनशील है। इसका उपयोग रूबी काँच, रंग आदि बनाने में होता है।

नोट: मानव शरीर में कॉपर (तांबा) की मात्रा में वृद्धि हो जाने पर विल्सन रोग हो जाता है।

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