नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक FOR UPSC IN HINDI

नियुक्ति की अर्हताएं

  • नियंत्रक महालेखा परीक्षक के रुप मेँ नियुक्ति के लिए निम्नलिखित अर्हताएं होनी चाहिए-
  1. भारत का नागरिक हो
  2. उम्र 35 वर्ष से कम और 65 वर्ष से ज्यादा न हो
  3. राज्य के लेखा विषय की अच्छी जानकारी हो
  4. राज्य के शासन का अनुभव हो

नियंत्रक महालेखा लेखा परीक्षक के कृत्य

  • केंद्र, राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रोँ की लेखाओं की संपरीक्षा करना तथा उसके ऊपर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को प्रतिवेदन देना।
  • विधानसभा वाले संघ राज्य क्षेत्रोँ के लेखाओ की संपरीक्षा, अलग से की जाती है और प्रतिवेदन संबंधित उप राज्यपाल को सौंपा जाता है।
  • अन्य संघ राज्य क्षेत्रोँ के लेखाओं की संपरीक्षा, केंद्र की लेखाओं के साथ की जाती है।
  • यह सुनिश्चित करना कि भारत की संचित निधि या किसी राज्य की संचित निधि से क्रमशः संसद या राज्य विधान मंडल की अनुमति के बिना पैसा नहीँ निकाला जाता है।
  • यह सुनिश्चित करना की धन उसी विषय पर खर्च किया जाता है, जिसके लिए यह दिया गया है।
Constitution of Parliament

संवैधानिक उपबंध

  • नियंत्रक-महालेखा परीक्षक की स्वाधीनता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक उपबंध-
  1. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को जिस रीति से और जिन आधारोँ पर हटाया जाता है, उसी रीति और उन्हीं आधारों पर नियंत्रक-महालेखा परीक्षक को भी हटाया जा सकता है।
  2. वेतन तथा उनसे उनके सेवा की अन्य शर्ते संसद द्वारा विधि द्वारा निर्धारित की जाएंगी।
  3. वेतन और नियंत्रक महालेखा परीक्षक के अन्य अधिकारोँ मेँ उनकी पदावधि के दौरान अलाभकारी परिवर्तन नहीँ किया जाएगा।
  4. वह सेवानिवृत्ति के पश्चात संघ या राज्य सरकारों के अधीन अन्य पद धारण करने का पात्र नहीँ होगा।
  5. नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कार्यालय से संबंधित सभी वेतन और प्रशासनिक व्यय भारत की संचित निधि से भरने होंगें।
  6. नियंत्रक महालेखा परीक्षक की पुनः नियुक्ति के संदर्भ मेँ संविधान मौन है।

आवश्यक तथ्य

  • संविधान मेँ नियंत्रक महालेखापरीक्षक का प्रावधान अनुच्छेद 148 से अनुच्छेद 151 मेँ है।
  • नियंत्रक महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 6 वर्ष के लिए होती है यदि इससे पूर्व 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेता है तो वह अवकाश ग्रहण कर लेता है।
  • भारत की समस्त वित्तीय प्रणाली संघ तथा राज्य स्तरों पर नियंत्रण भारत का नियंत्रक महालेखापरीक्षक करता है|
  • संविधान मेँ नियंत्रक महालेखापरीक्षक का पद भारत शासन अधिनियम, 1935 के अधीन महालेखा परीक्षक के ही अनुरूप बनाया गया है।
Constitution of Parliament
  • नियंत्रक महालेखा परीक्षक को उसके पद से केवल उसी रीति से और उन्हीं आधारोँ पर हटाया जा सकता है जिस रीति से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जा सकता है।
  • नियंत्रक महालेखा परीक्षक का वेतन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर होता है।
  • नियंत्रक महालेखा परीक्षक सेवानिवृत्ति के पश्चात भारत सरकार के अधीन कोई पद नहीँ धारण कर सकता है।
  • नियंत्रक महालेखा परीक्षक सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है।
  • भारत तथा प्रत्येक राज्य तथा प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र की संचित निधि से किए गए सभी व्यय विधि के अधीन ही हुए हैं।
  • उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वे 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले आए) पर धारण करते हैं।
  • वे विधानमंडल या विधायिका को कार्यपालिका पर वित्तीय नियंत्रण रखने मेँ मदद करते हैं।
  • उनके प्रतिवेदन पर संसद मेँ केवल सामान्य चर्चा (विस्तार मेँ नहीँ) की जाती है। यह प्रतिवेदन लोक लेखा समिति को अध्ययन के लिए दिया जाता है और लोक लेखा समिति के प्रतिवेदन पर संसद मेँ विस्तार से चर्चा होती है।
  • उसको सार्वजनिक धन का संरक्षक माना जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *