बेटी हो तो ऐसी…डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ पूरा किया पिता का सपना, पहले IPS, फिर बनीं IAS

आईएएस मुद्रा गैरोला एक प्रेरणादायक व्यक्ति हैं जिन्होंने अपनी अद्भुत यात्रा और उपलब्धियों के लिए ध्यान आकर्षित किया है। उत्तराखंड में एक छोटे से गाँव में जन्मी और पली बढ़ी मुद्रा गैरोला ने सफलता के मार्ग में कई चुनौतियों का सामना किया।

अपनी निर्धन परिस्थितियों के बावजूद, मुद्रा को शैक्षिक दृष्टिकोण से उत्कृष्टता प्राप्त करने की इच्छा थी। उन्होंने मेहनत की मुद्रा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की परीक्षा के लिए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा के लिए प्रयास किया।

मुद्रा गैरोला के पिता चाहते थे कि वह आईएएस अफसर बनें. बस फिर क्या था? इस बात को जेहन में बिठाते हुए उन्होंने अपना ध्यान यूपीएससी की परीक्षा में लगाया और डॉक्टरी छोड़कर तैयारी शुरू कर दी. साल 2018 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा दी. इसमें वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंचीं थीं. इसके बाद 2019 में फिर से यूपीएससी इंटरव्यू दिया. इस बार भी उनका फाइनल सिलेक्शन में नहीं हुआ. जबकि 2020 में वह मेन्स एग्जाम क्रैक नहीं कर सकी थीं.

मुद्रा की आईएएस अधिकारी बनने की यात्रा आसान नहीं थी। उन्हें वित्तीय संकटों, सामाजिक उत्तेजना के बावजूद विभिन्न अड़चनों का सामना करना पड़ा। हालांकि, उनकी दृढ़ संकल्पना, समर्पण और अड़म्बरी इसे पार करने में मदद की।

हार न मानते हुए आईएएस अफसर मुद्रा गैरोला ने साल 2021 में एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार उनकी मेहनत थोड़ी रंग लाई और उन्होंने 165वीं रैंक के साथ यूपीएससी पास किया और आईपीएस बन गईं. हालांकि उन्हें आईएएस से कम कुछ मंजूर नहीं था. साल 2022 में 53वीं रैंक के साथ यूपीएससी क्लीयर करके वह आईएएस बनने में कामयाब रहीं.

मुद्रा गैरोला ने उच्च दर्जे की सार्वजनिक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा को पास करके आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। उनकी सफलता की कहानी लाखों उत्कृष्ट सिविल सेवा की आशा रखने वालों के लिए प्रेरणा स्रोत है, विशेष रूप से उनके जो ग्रामीण क्षेत्रों और अधिकृत संघर्ष करने वाले पृथक्करण से हैं।

एक आईएएस अधिकारी के रूप में, मुद्रा गैरोला ने अपने निर्धारित जिलों में विभिन्न विकास पहलों और कल्याण योजनाओं को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी जनता सेवा के प्रति समर्पण और सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रतिबद्धता ने उन्हें व्यापक सराहना और सम्मान कमाया है।

मुद्रा के पिता अरुण गैरोला ने बताया कि साल 1972 में किरण वेदी पहली महिला आईपीएस बनी थीं, जिनसे वह काफी प्रभावित थे. इस कारण उन्होंने 1973 में यूपीएससी का पहला पेपर दिया. इसमें वह इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन उनका सलेक्शन नहीं हो सका था. साथ ही बताया कि उस समय तीन ही अटेम्प्ट मिला करते थे, लेकिन उनमें उनको सफलता नहीं मिल सकी. मुद्रा को लेकर कहा कि उनका सपना उनकी बेटी ने पूरा किया है. वह बहुत खुश हैं.

मुद्रा गैरोला की कहानी एक मनोबल और संघर्ष के शक्ति का प्रमाण है जो विभिन्न परिस्थितियों के बाव

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