भारतीय बैंकिंग व्यवस्था का इतिहास

भारतीय बैंकिंग व्यवस्था का इतिहास

भारतीय बैंकिंग प्रणाली के विकास के इतिहास को निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है –

प्रथम चरण (प्रारंभ से 1806 तक)

  • ब्रिटिश शासन काल से पूर्व देश में बैंकिंग का कोई विशेष विकास नहीं हुआ था इसमें साहूकारों एवं महाजनों का वर्चस्व था
  • 18 वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुंबई तथा कोलकाता में कुछ एजेंसियां गृहों की स्थापना की एजेंसी गृह आधुनिक बैंकों की भांति कार्य किया करते थे इन एजेंसी गृहों का वित्तपोषण ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा किया जाता था |
  • यूरोपिय बैंकिंग पद्धति पर आधारित भारत का प्रथम बैंक विदेशी पूंजी के सहयोग से एलेक्जेंडर एंड कंपनी द्वारा बैंक ऑफ हिंदुस्तान के नाम से वर्ष 1770 में कोलकाता में स्थापित किया गया किंतु यह शीघ्र ही असफल रहा |

द्वितीय चरण (1806-60)

  • वर्ष 1813 में एजेंसी गृहों के पतन के बाद निजी अंश धारियों द्वारा तीन प्रेसिडेंसी बैंकों की स्थापना की गई
  • बैंक ऑफ बंगाल 1806
  • बैंक ऑफ मुंबई 1840
  • बैंक ऑफ मद्रास 1843
  • सरकार इन तीनों बैंकों पर अपने नियंत्रण रखती थी उल्लेखनीय है कि वर्ष 1921 में तीनों बैंकों को मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की गई और 1 जुलाई 1955 को राष्ट्रीयकरण के उपरांत इसका नाम बदलकर State Bank of India रख दिया गया

तृतीय चरण 1860-1973

वर्ष 1807 में संयुक्त पूंजी आंधी अधिनियम पारित किए जाने पर भारत में संयुक्त पूंजी वाले बैंकों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ इस काल में निम्नलिखित बैंकों की स्थापना हुई

  • इलाहाबाद बैंक 1865
  • एलाइंस ऑफ शिमला 1881
  • पंजाब नेशनल बैंक 1894
  • सीमित देयता के आधार पर वर्ष 1981 में स्थापित ‘अवध कमर्शियल बैंक’ भारतीयों द्वारा स्थापित संचालित पहला बैंक था पूर्ण रूप से भारतीय देश का पहला बैंक ‘पंजाब नेशनल बैंक’ था इसी अवधि में देश में तत्कालीन 4 बड़े बैंकों की स्थापना हुई
  • बैंक ऑफ इंडिया 1906
  • बैंक ऑफ़ बड़ोदरा 1908
  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 1911
  • बैंक ऑफ मैसूर 1913

चतुर्थ चरण 1983-39

  • इस काल में प्रथम विश्व युद्ध 1917 यह कारण बैंकों का विकास नहीं हो सका
  • वर्ष 1921 में तीन प्रेसिडेंसी बैंकों को मिलाकर ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ की स्थापना की गई

पंचम अवस्था 1939-46

  • यह अवधि बैंकिंग विस्तार की अवधि कही जा सकती है द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम स्वरुप उत्पन्न मुद्रा प्रसार के कारण जनसामान्य की मौद्रिक आय में वृद्धि हो गई फल अतः सभी बैंक के निक्षेप बढ़ गए |
  • युद्ध काल में बढ़ती हुई आर्थिक समृद्धि का लाभ उठाने के लिए पुराने बैंकों ने नई नई शाखाओं की स्थापना की तथा नए-नए बैंकों की भी स्थापना की गई

छठा चरण 1947 से अब तक

  • इस साल में 9 जनवरी 1949 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण हुआ
  • वर्ष 1945 में भारतीय बैंकिंग का समन्वित विनियमन करने हेतु भारतीय बैंकिंग अधिनियम पारित हुआ
  • 9 जुलाई 1955 को इंपीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया का आंशिक राष्ट्रीयकरण हुआ
  • 19 जुलाई 1969 को 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ
  • 15 अप्रैल 1980 को पुनः 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ

Related Posts

आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं सहित विभिन्न चुनौतियों के कारण भारत में खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिल रहा है। इन चुनौतियों के मुख्य कारण क्या हैं और इनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है? चर्चा कीजिये। UPSC NOTES

परिचय: खाद्य मुद्रास्फीति का तात्पर्य समय के साथ खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि होने से है। इससे उपभोक्ताओं (विशेषकर समाज के गरीब और कमजोर वर्गों) की…

आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं सहित विभिन्न चुनौतियों के कारण भारत में खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिल रहा है। इन चुनौतियों के मुख्य कारण क्या हैं और इनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है? UPSC NOTE

भारत में खाद्य मुद्रास्फीति के कारण भारत में खाद्य मुद्रास्फीति के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं: परिचय: खाद्य मुद्रास्फीति का तात्पर्य समय के साथ खाद्य पदार्थों की कीमतों…

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए FDI में आई हालिया गिरावट के कारणों का विश्लेषण कीजिये। भारत में FDI बढ़ाने हेतु उपचारात्मक सुझाव दीजिये। UPSC NOTE

परिचय– प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) एक प्रकार का सीमा पार निवेश है जिसमें एक देश का निवेशक दूसरे देश के किसी उद्यम में स्थायी रुचि स्थापित करता…

खुला बाज़ार परिचालन (OMOs) क्या है तथा इससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरें किस प्रकार प्रभावित होती हैं? UPSC NOTE

खुला बाज़ार परिचालन (OMOs) एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। OMOs में, केंद्रीय…

भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था लागू होने से कराधान संरचना में आमूल-चूल परिवर्तन आया है, लेकिन कुछ विसंगतियों के कारण इसकी प्रभावशीलता कम हो गई है। चर्चा कीजिये UPSC NOTE

परिचय: वस्तु एवं सेवा कर (GST) को भारत की कर प्रणाली में बदलाव लाने वाला एक ऐतिहासिक परिवर्तन घोषित करते हुए लागू किया गया। GST, एक व्यापक…

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि विपणन की भूमिका और एक मजबूत कुशल विपणन प्रणाली प्राप्त करने में इसके सामने आने वाली चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। इन चुनौतियों से निपटने, किसानों और समग्र अर्थव्यवस्था के लाभ तथा कृषि विपणन को बढ़ावा देने के लिये क्या-क्या उपाय किये जा सकते हैं? प्रासंगिक उदाहरणों सहित चर्चा कीजिये। UPSC NOTE

परिचय– खेत से कृषि उत्पादों को खरीदने, बेचने और ग्राहक तक वितरित करने की प्रक्रिया को कृषि विपणन कहा जाता है। इसमें बिचौलियों का एक जटिल नेटवर्क…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *