यूपीएससी टॉपर प्रदीप सिंह -खुद बताया- कैसे मिली सफलता

हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले प्रदीप सिंह का वैसे तो सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम उनके पिताजी हैं. उन्होंने बताया, तैयारी के दौरान पिताजी ने मुझे मेंटल सपोर्ट किया था. मैंने नौकरी छोड़कर परीक्षा की तैयारी की थी. जब भी आप किसी भी चीज की तैयारी करते  हैं तो कोई न कोई ऐसा होता है, जिनसे आप इंस्पायर्ड होते हैं. प्रदीप सिंह भी कुछ IAS ऑफिसर से इंस्पायर्ड हुए हैं. जिसमें IAS नवीन चंद्र, IAS अभिषेक सिंह, IAS अनुदीप दुरीशेट्टी  और किरण बेदी  का नाम शामिल है.

यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) टॉपर प्रदीप सिंह ने बड़ी चुनौतियों से जूझते हुए यह मुकाम हासिल किया है। प्रदीप सिंह ने इनकम टैक्स में इंस्पेक्टर बनने के बाद सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक नौकरी की और इस बीच ही समय निकालकर यूपीएससी की तैयारी करते रहे। प्रदीप सिंह का मानना है कि पढ़ाई को कभी घंटों से नहीं तौलना चाहिए और हर दिन घंटे तय करने की जगह साप्ताहिक पाट्यक्रम तय करके पढ़ाई करनी चाहिए। क्योंकि हर दिन कोई बराबर घंटे पढ़ाई नहीं कर सकता है। प्रदीप सिंह ने पढ़ाई का सबसे बड़ा मूलमंत्र टाइम मैनेजमेंट बताया है। जब कोई टाइम मैनेजमेंट से पढ़ाई करता है तो वह तय पाठ्यक्रम को पूरा जरूर करता है।

यूपीएससी टॉपर प्रदीप सिंह ने बताया कि वह सोनीपत के शंभूदयाल मॉर्डन स्कूल में पढ़ाई करते थे तो 10वीं में उनके काफी अच्छे नंबर थे लेकिन 12वीं में वह स्कूल टॉपर रहे हैं। वह 12वीं में दिनभर या रातभर जागकर पढ़ाई नहीं करते थे, बल्कि उसी समय यह तय करते थे कि इस सप्ताह इतना पाठ्यक्रम पूरा करना है। उसके लिए वह किसी दिन ज्यादा घंटे भी पढ़ाई कर सकते हैं और किसी दिन कम घंटे भी पढ़ाई कर सकते हैं। पढ़ाई करते समय परिणाम पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि अपना पूरा ध्यान पढ़ने पर रखना चाहिए। 

यूपीएससी टॉपर प्रदीप सिंह

अगर हम पढ़ते हुए ही परिणाम के बारे में सोचते रहेंगे तो टॉपर रहना दूर की बात है, शायद सफलता भी मुश्किल से मिल सकेगी। प्रदीप सिंह ने बताया कि जिस तरह से नौकरी करने के बाद आईएएस बनने का लक्ष्य बनाया तो एक बार सोचा कि नौकरी छोड़कर तैयारी की जाए। लेकिन परिवार में पहली बार किसी को सरकारी नौकरी मिली थी और आर्थिक स्थिति को देखते हुए नौकरी छोड़ने से परेशानी हो सकती थी। इसलिए सोचा कि नौकरी करते हुए टाइम मैनेजमेंट कर यूपीएससी की तैयारी हो सकती है। यह सोचकर ही तैयारी शुरू कर दी।

ऑफिस में सुबह 9 से शाम 6 बजे तक काम करना होता था। प्रदीप सिंह ने बताया कि सुबह ऑफिस जाते समय पढ़ता रहता था, लंच में जल्दी खाना खाकर भी पढ़ाई की। ऑफिस में काम जल्दी निपटाकर भी पढ़ाई की तो घर जाते समय रास्ते में भी पढ़ाई करता था। उसके बाद घर में समय मिलते ही पढ़ाई करता था। इस तरह से पहले से तय साप्ताहिक पाठ्यक्रम जरूर तय करना होता था। प्रदीप सिंह ने बताया कि किसी को पढ़ाई को घंटे से नहीं तौलना चाहिए और भले ही कम घंटे पढ़ाई की जाए लेकिन पूरी योजना के साथ फोकस कर पढ़ना चाहिए। यह केवल यूपीएससी की तैयारी के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि स्कूल, कॉलेज, प्रतियोगी परीक्षा व अन्य सभी के लिए इस तरह पढ़ाई की जाएगी तो शायद ही किसी को सफलता नहीं मिले।

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