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GEOGRAPHY

Home » राज्य की कार्यपालिका FOR UPSC IN HINDI

राज्य की कार्यपालिका FOR UPSC IN HINDI

  • Posted by teamupsc4u
  • Categories GEOGRAPHY
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संविधान के भाग 6 मेँ राज्य शासन के लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं। यह प्रावधान जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर शेष सभी राज्योँ मेँ लागू हैं।

राज्यपाल

  • राज्य की कार्यपालिका का प्रधान राज्यपाल होता है, प्रत्येक राज्य मेँ एक राज्यपाल होता है लेकिन एक ही राज्यपाल दो या अधिक राज्योँ का राज्यपाल भी नियुक्त हो सकता है।
  • राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। राज्यपाल पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए-
  1. वह भारत का नागरिक हो
  2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
  3. किसी प्रकार के लाभ के पद पर न हो
  4. वह राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने योग्य हो
  • राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित होता है।
  • राज्यपाल का वेतन 1 लाख रुपए मासिक होता है, यदि दो या दो से अधिक राज्योँ का एक ही राज्यपाल हो तब उसे दोनो राज्यपालोँ के वेतन उसी अनुपात मेँ दिया जायेगा, जैसा की राष्ट्रपति निर्धारित करे।
  • राज्यपाल का पद ग्रहण करने से पूर्व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथवा वरिष्ठतम् न्यायाधीश के सम्मुख अपने पद की शपथ लेता है।
  • राज्यपाल अपने पद की शक्तियोँ के प्रयोग तथा कर्तव्योँ के पालन के लिए किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीँ है।
  • राज्यपाल की पदावधि के दौरान उसके विरुद्ध किसी भी न्यायालय मेँ किसी प्रकार की आपराधिक कार्यवाही प्रारंभ नहीँ की जा सकती है।
  • राज्यपाल के पद ग्रहण करने से पूर्व या पश्चात् उसके द्वारा किए गए कार्य के संबंध मेँ कोई सिविल कार्यवाही करने से पूर्व उसे दो मास पूर्व सूचना देनी पडती है।
  • राज्य के समस्त कार्य पालिका कार्य राज्यपाल के नाम से किए जाते हैं।
  • राज्यपाल मुख्यमंत्री को तथा मुख्यमंत्री की सलाह से उसकी मंत्रिपरिषद के सदस्योँ को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है।
  • राज्यपाल राज्य के उच्च अधिकारियों जैसे- महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यो की नियुक्ति करता है तथा राज्योँ के उच्च न्यायालय मे न्यायधीशों  की नियुक्ति के संबंध मेँ राष्ट्रपति को परामर्श देता है।
  • राज्यपाल को अधिकार है कि वह राज्य प्रशासन के संबंध मेँ मुख्यमंत्री से सूचना प्राप्त करे।
  • राज्यपाल को राजनयिक तथा सैन्य शक्ति प्राप्त नहीँ है।
  • राज्यपाल को राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्योँ को हटाने का अधिकार नहीँ है।
  • राष्ट्रपति शासन के समय राज्यपाल केंद्र सरकार के अभिकर्ता के रुप मेँ राज्य का प्रशासन चलाता है।
  • राज्यपाल इस आशय का प्रतिवेदन राष्ट्रपति को दे सकता है कि राज्य का शासन संविधान के उपबंधोँ  द्वारा नहीँ चलाया जा रहा है अतः यहां राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाए।
  • राज्य विधान मंडल का अभिन्न अंग होता है।
  • राज्यपाल विधानमंडल का सत्रावसान करता है तथा उसका विघटन करता है। राज्यपाल विधानसभा के अधिवेशन अथवा दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करता है।
  • राज्य विधान परिषद की कुल सदस्य संख्या संख्या का 1/6 भाग सदस्योँ को नियुक्त करता है, जिनका सम्बन्ध विज्ञान, साहित्य, कला, समाज सेवा और सहकारी आन्दोलन से रहा है।
  • राज्य विधान मंडल द्वारा पारित विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही अधिनियम बन पाता है।
  • जब विधानमंडल का सत्र नहीँ चल रहा हो और राज्यपाल को ऐसा लगे कि तत्कालीन कार्यवाही की आवश्यकता है, तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है, जिसे वही स्थान प्राप्त है, जो विधान मंडल द्वारा पारित किसी अधिनियम को है। ऐसे अध्यादेश का 6 सप्ताह के भीतर विधानमंडल द्वारा स्वीकृत होना आवश्यक है। यदि विधानमंडल 6 सप्ताह के भीतर उसे अपनी स्वीकृति नहीँ देता है, तो उस अध्यादेश की वैधता समाप्त हो जाती है।
  • राज्यपाल प्रत्येक वित्तीय वर्ष मेँ वित्त मंत्री को विधानमंडल के सम्मुख वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहता है।
  • ऐसा कोई विधेयक जो राज्य की संचित निधि से खर्च निकालने की व्यवस्था करता है उस समय तक विधानमंडल द्वारा पारित नहीँ किया जा सकता जब तक राज्यपाल इसकी संस्तुति न कर दे।
  • राज्यपाल की संस्तुति के बिना अनुदान की किसी मांग को विधानमंडल के सम्मुख नहीँ रखा जा सकता।
  • राज्यपाल धन विधेयक के अतिरिक्त किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिए राज्य विधान मंडल द्वारा पारित किए जाने पर उस पर अपनी सहमति के लिए बाध्य होता है।
  • कार्यपालिका की किसी विधि के अधीन राज्यपाल दण्डित अपराधी के दंड को क्षमा, निलंबन, परिहार या लघुकरण कर सकता है। मृत्युदंड के संबंध मेँ राज्यपाल को क्षमा का अधिकार नहीँ है।
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विधानपरिषद

  • किसी भी राज्य का विधान मंडल राज्यपाल तथा राज्य विधान मंडल से मिलकर बनता है।
  • जम्मू-कश्मीर, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश मेँ द्विसदनात्मक व्यवस्था है और बाकी राज्योँ मेँ एकसदनात्मक व्यवस्था है।
  • विधान परिषद के कुल सदस्योँ की संख्या उस राज्य की विधानसभा के कुल सदस्योँ की संख्या की एक-तिहाई से अधिक नहीँ हो सकती है, किंतु किसी भी अवस्था मेँ विधान परिषद् के सदस्योँ की संख्या 40 से कम नहीँ हो सकती है (अपवाद – जम्मू और कश्मीर विधान)
  • विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, किंतु प्रति दूसरे वर्ष 1/3 सदस्य अवकाश ग्रहण कर लेते हैं तथा उनके स्थान पर नए सदस्य निर्वाचित होते हैं।
  • विधान परिषद् के सदस्योँ का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है।
  • विधान परिषद के कुल सदस्योँ मेँ एक-तिहाई सदस्य, राज्य की स्थानीय स्वशासी संस्थाओं के एक निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित होते हैं। एक-तिहाई सदस्य राज्य की विधान सभा के सदस्योँ द्वारा निर्वाचित होते हैं। 1/12 सदस्य उन निर्वाचकों द्वारा निर्वाचित होते हैं, जिन्होंने कम से कम 3 वर्ष पूर्व स्नातक की उपाधि प्राप्त कर ली हो। 1/12 सदस्य अध्यापको द्वारा निर्वाचित होते हैँ, जो कम से कम 3 वर्षोँ से माध्यमिक पाठशालाओं अथवा उनसे ऊँची कक्षाओं मेँ शिक्षण का कार्य कर रहै हों तथा 1/6 राज्यपाल उन सदस्योँ को मनोनीत करते हैं जिन्हें साहित्य, कला, व विज्ञान, सहकारिता आंदोलन या सामाजिक सेवा के संबंध मेँ विशेष ज्ञान हो।
  • अनुच्छेद 169 के साथ संसद किसी राज्य मेँ विधान परिषद का निर्माण एवं विघटन कर सकती है।
  • जिस भी राज्य मेँ विधान परिषद का निर्माण करना है तो राज्य की विधान सभा अपने कुल सदस्योँ के पूर्ण बहुमत से प्रस्ताव पारित करें तो संसद उस राज्य मेँ विधान परिषद की स्थापना कर सकती है अथवा उसका लोप कर सकती है।

विधानपरिषदकासृजनवउत्सादन

  • विधान परिषद का सृजन या उत्पादन करने का अधिकार है।
  • जिस राज्य मेँ विधान परिषद का सृजन या उत्सादन किया जाना है, उस राज्य की विधान सभा द्वारा इस आशय के प्रस्ताव को उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्योँ के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना आवश्यक है।
  • इसके बाद, विधेयक संसद की मंजूरी के लिए जाता है। संसद इसे पारित कर भी सकती है और नहीँ भी।
  • संसद मेँ एसा कोई प्रस्ताव साधारण बहुमत से पारित किया जाता है।

विधानसभा

  • विधान सभा राज्य विधानमंडल का लोकप्रिय सदन है, जिसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रुप से चुने जाते हैं।
  • इस लोकप्रिय सदन की संख्या न 60 से कम होनी चाहिए और न 500 से अधिक (अपवाद अरुणाचल प्रदेश-40, गोवा-40, मिजोरम-40, सिक्किम-32)
  • विधानसभा मेँ राज्यपाल एक सदस्य एंग्लो-इंडियन समुदाय से मनोनीत कर सकता है।
  • विधानसभा के सत्रावसान के आदेश राज्यपाल द्वारा दिए जाते हैं।
  • विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का है। इसका विघटन राज्यपाल 5 वर्ष से पहले भी कर सकता है।
  • विधानसभा की अध्यक्षता करने के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव करने का अधिकार सदन को प्राप्त है, जो इसकी बैठकों का संचालन करता है।
  • साधारणतया विधानसभा अध्यक्ष सदन मे मतदान नहीँ करता किंतु यदि सदन मेँ मत बराबरी मेँ बंट जाए तो वह निर्णायक मत देता है।
  • विधानमंडल के किसी सदस्य की योग्यता एवं और अयोग्यता संबंधी विवाद का अंतिम विनिश्चय राज्यपाल चुनाव आयोग के परामर्श से करता है।
  • किसी विधेयक को धन विधेयक माना जाए अथवा नहीँ इसका निर्णय है विधानसभा अध्यक्ष ही करता है।
  • किसी विधेयक पर यदि विधान सभा तथा विधान परिषद् मेँ गतिरोध उत्पन्न  हो जाए तो दोनोँ सदनोँ के संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान नहीँ है, ऐसी स्थिति मेँ विधान परिषद की इच्छा मान्य नहीँ है।
  • विधानसभा को राज्य सूची से संबंधित विषयों पर विधि निर्माण का अनन्य अधिकार प्राप्त है।
  • मंत्रिपरिषद सामूहिक रुप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी है। जब कभी मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है, तो आधे से अधिक विधानमंडल के सदस्योँ द्वारा उसकी पुष्टि आवश्यक है।
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मुख्यमंत्री

  • मुख्यमंत्री राज्य की कार्यपालिका का वास्तविक अधिकारी होता है।
  • मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा होती है। साधारणतयः ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है जो विधानसभा मेँ बहुमत दल का नेता हो।
  • मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकोँ की अध्यक्षता करता है।
  • मंत्रिपरिषद के निर्णयों को मुख्यमंत्री राज्यपाल तक पहुंचाता है।
  • मुख्यमंत्री की सलाह से राज्यपाल अन्य मंत्रियोँ की नियुक्ति करता है तथा उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है।
  • मंत्रिपरिषद राज्य की विधानसभा के प्रति सामूहिक रुप से उत्तरदायी होगी।
  • यदि कोई मंत्री 6 मास तक विधानमंडल का सदस्य नहीँ है तो उसका अवधि की समाप्ति पर वह मंत्री नहीँ रहैगा।
  • मंत्रियोँ के वेतन भत्ते आदि का राज्य विधानमंडल विधि द्वारा निर्धारित करेगा।
  • मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य होगा कि वह राज्य के प्रशासनिक कार्य तथा व्यवस्थापनों के संबंध मेँ मंत्रिपरिषद के निर्णयों से राज्यपाल को अवगत कराए।
  • यदि किसी विषय पर एक मंत्री ने निर्णय दे दिया है, तो राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर इसे मंत्रिपरिषद के विचार के लिए रखना चाहिए, अनुच्छेद-167।

महाधिवक्ता

  • महाधिवक्ता राज्य का प्रथम विधि अधिकारी होता है।
  • उसका पद तथा कार्य भारत के महा न्यायवादी के पद व कार्यों के समतुल्य है।
  • उसकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा होती है तथा राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण किया रहता है।
  • उसका पारिश्रमिक भी राज्यपाल निर्धारित करता है।
  • महाधिवक्ता के पद पर नियुक्त होने के लिए किसी व्यक्ति मेँ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने की अर्हता होनी अनिवार्य है।
राज्यों में विधानसभा की सदस्य संख्या
राज्यविधानसभा सदस्यों की संख्याराज्यविधानसभा सदस्यों की संख्या
आन्ध्र प्रदेश294अरुणाचल प्रदेश60
असम126बिहार243
गोवा40गुजरात182
हरियाणा90हिमाचल प्रदेश68
जम्मू और कश्मीर*76कर्नाटक224
केरल140मध्य प्रदेश230
महाराष्ट्र288मणिपुर60
मेघालय60मिजोरम40
नागालैंड60उड़ीसा147
पंजाब117राजस्थान200
सिक्किम32तमिलनाडु234
त्रिपुरा60उत्तर प्रदेश404
पश्चिम बंगाल294छत्तीसगढ़90
झारखण्ड81उत्तराखंड70
केंद्रशासित प्रदेश**
पुदुचेरी30दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र70
*जम्मू और कश्मीर की विधान सभा को 100 सीटें डी गयीं हैं, किन्तु 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हैं।**सभी केंद्र शासित प्रदेशों में विधान सभायें नहीं हैं। 7 केंद्रशासित प्रदेशों में से लेवल दो में अर्थात दिल्ली व पुदुचेरी में हैं।

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