विधानसभा की संरचना , विधानसभा के कार्य एवं शक्तियां UPSC NOTE

विधानसभा

विधानसभा की संरचना

  • राज्य विधानमंडल के निचले सदन को विधानसभा कहा जाता है, इस सदन के सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रुप से किया जाता है |
  • अनुच्छेद 170 के अनुसार, अनुच्छेद 333 के उपबंधों के अधीन रहते हुए किसी राज्य की विधान सभा के अधिक से अधिक 500 और कम से कम 60 सदस्य हो सकते हैं |
  • राज्य विधानसभा की सदस्य संख्या राज्य की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित की जाती है| विधानसभाओं के सदस्यों की संख्या निर्धारित करते समय जनसंख्या के आंकड़े लिए जाते हैं जो पिछली जनगणना में प्रकाशित किए गए थे |
  • भारत में जनगणना प्रत्येक 10 वर्ष के पश्चात होती है प्रत्येक जनगणना के पश्चात परिसीमन आयोग नियुक्त किया जाता है यह आयोग जनसंख्या के नए आंकड़ों के अनुसार चुनाव क्षेत्रों का नया रूप में विभाजन करता है [अनुच्छेद 370 (3)]
  • 42वें संविधान संशोधन 1978 द्वारा यह प्रावधान किया गया है कि वर्ष 2000 के पश्चात होने वाली प्रथम जनगणना तक प्रत्येक राज्य के चुनाव क्षेत्रों के विभाजन के लिए वही आंकड़े प्रमाणित होंगे जो 1971 की जनगणना के अनुसार निश्चित और प्रमाणिक हो |
  • इसी प्रकार विधानसभा में जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जातियों और पिछड़ी जातियों के लिए स्थान आरक्षित करने के लिए भी वर्ष 2000 के पश्चात होने वाली पहली जनगणना तक वही आंकड़े लिए जाएंगे जो 1971 की जनगणना के अनुसार निश्चित और प्रकाशित हो चुके हैं |
  • 84 वें संशोधन अधिनियम-2001, में सरकार को यह अधिकार भी दिया गया है कि विधानसभा क्षेत्रों की तुलनात्मक पुनर्निर्धारण को 1991 की जनगणना के आधार पर किया जाएगा | उसके पश्चात यदि 87वें संशोधन अधिनियम 2003 में निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण 2001 की जनगणना के हिसाब से करने की व्यवस्था की गई है |
  • यद्यपि यह पुनर्निर्धारण प्रत्येक राज्य में विधानसभा की कुल सीटों के अनुसार ही संभव है किंतु सदस्यों की संख्या 2026 तक उतनी ही बनी रहेगी जितनी है |
  • एंग्लो इंडियन जाति को यदि किसी राज्य के चुनाव में प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है तो राज्यपाल स्वेच्छा से उस जाति को प्रतिनिधित्व देने के लिए उस जाति के एक सदस्य को विधानसभा में मनोनीत कर सकता है | (अनुच्छेद 333)
  • अनुच्छेद 191 (1) और (2), के अंतर्गत उपबंध है यदि यह प्रश्न उठता है कि किसी राज्य के विधानमंडल का सदस्य अनुच्छेद 191 के अंतर्गत अयोग्यता से ग्रस्त हो गया है या नहीं तो वह प्रश्न राज्यपाल को निर्देशित किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा |
  • 44 वें संशोधन अधिनियम के अनुसार राज्यपाल ऐसे प्रश्न पर निर्वाचन आयोग की सलाह लेगा और आयोग की सलाह राज्यपाल पर आबध्दकर है | (अनुच्छेद 152)

गणपूर्ति

  • अनुच्छेद 189(3) के अनुसार जब तक राज्य का विधानमंडल अन्यथा उपबंध न करें तब तक अधिवेशन गठित करने के लिए गणपूर्ति 10 सदस्य सदन के सदस्यों की कुल संख्या का दसवां भाग, इसमें से जो भी अधिक हो, होगी |
  • गणपूर्ति के आभाव में स्पीकर सदन को स्थगित कर देगा या अधिवेशन को तब तक निलंबित कर देगा जब तक गणपूर्ति नहीं हो जाती है |

विधानसभा के कार्य एवं शक्तियां

विधानसभा के कार्य एवं शक्तियां 

  • जिन राज्यों में विधान मंडल एक सदन है वहां पर विधानमंडल की सभी शक्तियों का प्रयोग विधानसभा द्वारा किया जाता है तथा जिन राज्यों में विधान मंडल दो सदनीय है वहां पर भी विधानसभा अधिक प्रभावशाली है |

विधायिनी शक्तियां

  • राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के सभी विषयों पर कानून बनाने का अधिकार विधानसभा को प्राप्त है मूल रूप से राज्य सूची में 66 विषय तथा समवर्ती सूची में 47 विषय है |
  • यदि विधानमंडल द्विसदनीय है तो विधेयक विधानसभा से पास होकर विधान परिषद के पास जाता है विधान परिषद यदि उसे रद्द कर दें या 3 महीने तक उस पर कोई कार्यवाही ना करें या उसमें ऐसे संशोधन कर दें जो विधानसभा को स्वीकृत ना हो, तो विधानसभा उस विधेयक को दोबारा पास कर सकती है और उसे दोबारा विधान परिषद के पास भेज सकता है |
  • यदि विधान परिषद उस बिल पर दोबारा 1 महीने तक कोई कार्यवाही ना करें या दोबारा उसे दोबारा रद्द कर दें या उसमें ऐसे संशोधन कर दे जो विधान सभा को स्वीकृत ना हो, तो तीनों अवस्थाओं में यह बिल दोनों सदनों द्वारा पास समझा जाए |
  • दोनों सदनों या एक सदन से पास होने के बाद बिल राज्यपाल के पास जाता है, वह उस पर अपनी स्वीकृति भी दे सकता है, उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भी भेज सकता है, उसे दोबारा विचार करने के लिए निर्देशों या बिना निर्देशों के सदन को वापस भी कर सकता है परंतु यदि विधान सभा या विधान मंडल इस बिल को दोबारा पास करके भेजें तो राज्यपाल को अपनी स्वीकृति देनी पड़ती है |

वित्तीय शक्तियां

  • विधानसभा का राज्य के वित्त पर नियंत्रण होता है धन विधेयक केवल विधानसभा में पेश हो सकता है वित्तीय वर्ष के प्रारंभ होने से पहले राज्य का वार्षिक बजट भी इसी के सामने प्रस्तुत किया जाता है |
  • विधानसभा की स्वीकृति के बिना राज्य सरकार न कोई कर लगा सकती है और ना ही कोई पैसा खर्च कर सकती है विधानसभा में पास होने के बाद धन विधेयक विधान परिषद के पास भेजा जाता है जो उसे अधिक से अधिक 14 दिन तक पास होने से रोक सकती है |
  • विधान परिषद चाहे धन विधेयक को रद्द करें या 14 दिन तक उस पर कोई कार्यवाही ना करे तो भी वह दोनों सदनों द्वारा पास समझा जाता है और राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है जिसे धन विधेयक पर अपनी स्वीकृति देनी ही पड़ती है राज्यपाल धन विधेयक को पुनर्विचार के लिए नहीं लौटा सकता है |

कार्यपालिका पर नियंत्रण

  • विधान परिषद को कार्यकारी शक्तियां मिली हुई है विधानसभा का मंत्री परिषद पर पूर्ण नियंत्रण है मंत्री परिषद अपने समस्त कार्य व नीतियों के लिए विधानसभा के प्रति उत्तरदाई है विधानसभा के सदस्य मंत्रियों की आलोचना कर सकते हैं प्रश्न और पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं |
  • विधानसभा चाहे तो मंत्रिपरिषद को हटा भी सकती है विधानसभा मंत्रिपरिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास करके अथवा धन विधेयक को अस्वीकृत करके तथा मंत्रियों के वेतन में कटौती करके अथवा सरकार के किसी महत्वपूर्ण विधेयक को अस्वीकृत करके मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देने के लिए मजबूर कर सकती है |

संवैधानिक कार्य 

  • राज्य विधानसभा को संविधान में संशोधन करने का कोई महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं है| संशोधन करने का अधिकार संसद को ही प्राप्त है, परंतु संविधान में कई ऐसे अनुच्छेद हैं जिनमें संसद अकेले संशोधन नहीं कर सकती है |
  • ऐसे अनुच्छेदों में संशोधन करने के लिए आधे राज्यों के विधान मंडलों की स्वीकृति भी आवश्यक होती है अतः विधान परिषद के साथ मिलकर विधानसभा संविधान में भाग लेती है |

चुनाव संबंधी कार्य  

  1. विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने का अधिकार है या अधिकार विधान परिषद को प्राप्त नहीं है |
  2. विधान सभा के सदस्य विधान परिषद के ⅓  सदस्यों को चुनते हैं |
  3. विधानसभा के सदस्य की राज्यसभा में राज्य के प्रतिनिधियों को चुनकर भेजते हैं राज्य विधानसभा के सदस्य अपने में से एक को अध्यक्ष तथा किसी दूसरे को उपाध्यक्ष चुनते हैं |

 

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