ठेले पर चाय बेच और ट्यूशन पढ़ाकर बने आईएएस अफसर, कुछ ऐसी है हिमांशु गुप्ता की संघर्ष भरी कहानी

हिमांशु ने बचपन में अपने पिता के साथ चाय बेची थी। उसी दौरान उन्होंने कुछ बेहतर करने का ठान लिया थ। पढ़िए संघर्ष की कहानी

संघ लोक सेवा आयोग की सबसे कठिन परीक्षाओं में सिविल सर्विस एग्जाम को सबसे कठीन माना जाता है। इसलिए आईएएस बनने के लिए लोगों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। शिक्षा संसाधनों के अभाव में कई लोग इसकी तैयारी भी नहीं कर पाते हैं। कई छोटी जगहों के छात्र आईएएस बनने का सपना देखते हैं और कई बार बनकर भी साकार करते हैं। ऐसी ही कहानी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हिमांशु गुप्ता की है, जिन्होंने गरीबी के बावजूद यूपीएससी की परीक्षा न सिर्फ पास की, बल्कि आईएएस अफसर भी बनकर दिखाया। आइए जानते हैं उनके संघर्ष की कहानी-

उत्तराखंड में जन्में हिमांशु गुप्ता की कहानी कुछ ऐसी है कि वह अपने पिता के साथ चाय के ठेले पर चाय बेचते थे; क्योंकि सफलता पाने के लिए उनके पास जरूरी संसाधन नहीं थे। पिता की भी कमाई इतनी नहीं थी हिमांशु को बेहतर सुविधा दे सकें। हिमांशु, अपने पिता का हाथ बंटाते समय जब अनपढ़ लोगों को उंगली पर पैसा ना गिन पाते देखा तब उन्होंने ठान लिया था कि वह पढ़ाई से ही अपनी जिंदगी बदलेंगे।

रोजाना पढ़ाई के लिए 70 किलोमीटर का सफर करते थे तय

मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में हिमांशु गुप्ता अपनी कहानी साझा करते हुए कहा था कि मैं पढ़ाई के लिए स्कूल जाने और आने के बाद में पिता के साथ काम करता था। मेरा स्कूल 35 किमी दूर था, इसलिए रोजाना आना-जाना 70 किमी का होता था। अपने दोस्तों (सहपाठियों) के साथ एक वैन में जाता था, इसलिए जब कभी भी मेरे ठेले के पास से वैन गुजरती थी तो मैं छिप जाता था। लेकिन एक बार किसी ने मुझे देख लिया था तो बाद में सभी मेरा मजाक उड़ाना शुरू कर दिए। फिर मुझे ‘चायवाला’ कहा जाने लगा। आगे उन्होंने बताया कि इन सब की तरफ ध्यान न देते हुए मैंने पढ़ाई पर ध्यान लगाया और जब भी समय मिला पापा की मदद की। हम सब मिलकर अपना घर चलाने के लिए रोजाना 400 रुपये कमा लेते थे।

चाय के ठेले से मिली प्रेरणा

बता दें कि हिमांशु गुप्ता का बचपन, बेहद गरीबी में बीता। उनका बचपन आम बच्चों जैसा नहीं था। पहले हिमांशु के पिता दिहाड़ी मजदूरी पर काम करते थे, लेकिन कुछ समय के बाद उन्होंने चाय का ठेला लगाना शुरू कर दिया। इस दौरान हिमांशु को शिक्षा का महत्व समझ आया, चाय बेचते समय उन्होंने कई लोगों को देखा कि उन्हें उंगलियों पर पैसे गिनने में दिक्कतें होती हैं। उसी समय उन्होंने तय किया कि एजुकेशन को टूल बनाकर ही वे अपनी जिंदगी बदलेंगे।

यूपीएससी की परीक्षा में 3 बार हुए सफल

साल 2018 में हिमांशु गुप्ता ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। उस दौरान उनका चयन भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) के लिए हुआ। इसके बाद उन्होंने दुबारा साल 2019 में फिर से परीक्षा दी और दूसरे प्रयास में आईपीएस के लिए चयन हुई और फिर भी हार नहीं मानी तो साल 2020 में तीसरे प्रयास में आईएएस बन ही गए।

पहले प्रयास में मिली थी असफलता

हिमांशु गुप्ता कक्षा 12वीं की पढ़ाई करने के बाद दिल्ली आ गए। मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में हिमांशु ने बताया कि मेरे सपने बड़े थे। पापा अक्सर कहते थे, ‘सपने सच करने है तो पढाई करो!’ तो मैंने यही किया। मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी, इसलिए मैं अंग्रेजी मूवी डीवीडी खरीदता था और उन्हें सीखने के लिए देखता था। उन्होंने आगे बताया कि मैं 2जी कनेक्शन वाले पापा के पुराने फोन से उन कॉलेजों की खोज करता था, जिनमें मैं आवेदन कर सकता था। मैंने अपने बोर्ड में अच्छा स्कोर किया था इसलिए मुझे हिंदू कॉलेज में प्रवेश मिल गया।

यह पहला मौका है जब हिमांशु किसी मेट्रो शहर में पहुंचे थे। पैसे की कमी की वजह से उन्होंने कभी कोचिंग भी नहीं की। उन्होंने बिना कोचिंग के यूपीएससी की तैयारी की हांलाकि पहले प्रयास में वह फेल हो गए। इसके बाद वह एमफिल करने लगे, हिमांशु ने वर्ष 2019 मार्च में अपनी थीसेस पूरी की और एक महीने बाद साल 2018 की परीक्षा का रिजल्ट अप्रैल 2019 में आ गया। जिसमें उनकी 304 रैंक आई। हिमांशु और उनके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।

आपको बता दें कि दिल्ली आने के बाद से आगे की पढ़ाई करने तक पैसों की समस्या हल करने के लिए हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) ने पढ़ाई के साथ ही बहुत से और काम किए। उन्होंने ट्यूशन पढ़ाए, पेड ब्लॉग्स लिखे और जहां-जहां संभव हुआ स्कॉलरशिप्स हासिल कीं। ऐसे उनकी शिक्षा पूरी हुई। UPSC की CSE 2020 में AIR 139वीं रैंक पाकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में अफसर बने हिमांशु गुप्ता फिलहाल ये उत्तराखंड के मंसूरी स्थित LBSNAA में प्रशिक्षण पर हैं। इससे पहले SVPNPA में बतौर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) भी ट्रेनिंग की थी।

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