भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि विपणन की भूमिका और एक मजबूत कुशल विपणन प्रणाली प्राप्त करने में इसके सामने आने वाली चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। इन चुनौतियों से निपटने, किसानों और समग्र अर्थव्यवस्था के लाभ तथा कृषि विपणन को बढ़ावा देने के लिये क्या-क्या उपाय किये जा सकते हैं? प्रासंगिक उदाहरणों सहित चर्चा कीजिये। UPSC NOTE

परिचय

खेत से कृषि उत्पादों को खरीदने, बेचने और ग्राहक तक वितरित करने की प्रक्रिया को कृषि विपणन कहा जाता है। इसमें बिचौलियों का एक जटिल नेटवर्क शामिल है, जिसमें कमीशन एजेंट, थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता तथा विभिन्न सरकारी एजेंसियाँ शामिल हैं, जो सभी कृषि वस्तुओं की आवाजाही में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि विपणन की भूमिका बहुआयामी है।

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि विपणन की भूमिका

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि विपणन की भूमिका बहुआयामी है। यह किसानों की आय बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

किसानों की आय बढ़ाने में भूमिका

कृषि विपणन किसानों को अपने उत्पादों के लिए उचित मूल्य प्राप्त करने में मदद करता है। यह किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भूमिका

कृषि विपणन खाद्य आपूर्ति को सुचारू रूप से संचालित करने में मदद करता है। यह खाद्य की कमी और अकाल को रोकने में भी मदद करता है।

ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने में भूमिका

कृषि विपणन ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देता है। यह रोजगार के अवसर पैदा करता है और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देता है।

एक मजबूत कुशल विपणन प्रणाली प्राप्त करने में चुनौतियां

भारत में एक मजबूत कुशल विपणन प्रणाली प्राप्त करने में कई चुनौतियां हैं। इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियां निम्नलिखित हैं:

  • अपूर्ण बाजार: भारत में कृषि बाजार अपूर्ण हैं। इसमें कई बिचौलियों का एक जटिल नेटवर्क शामिल है, जो किसानों को उनके उत्पादों के लिए कम मूल्य प्राप्त करने का कारण बनता है।
  • संचार की कमी: भारत में कृषि क्षेत्र में संचार की कमी है। इससे किसानों को बाजार की जानकारी प्राप्त करने में कठिनाई होती है, जिससे उन्हें अपने उत्पादों के लिए उचित मूल्य प्राप्त करने में मुश्किल होती है।
  • प्रसंस्करण और भंडारण की कमी: भारत में कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और भंडारण की क्षमता सीमित है। इससे किसानों को अपने उत्पादों के लिए उचित मूल्य प्राप्त करने में मुश्किल होती है।

इन चुनौतियों से निपटने के उपाय

भारत में कृषि विपणन को बढ़ावा देने और इन चुनौतियों से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • कृषि बाजारों का सुधार: सरकार को कृषि बाजारों का सुधार करने के लिए कदम उठाने चाहिए। इसमें बिचौलियों को कम करना, किसानों को बाजार की जानकारी प्रदान करना, और कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और भंडारण की क्षमता बढ़ाना शामिल है।
  • सहकारी विपणन को बढ़ावा देना: सरकार को सहकारी विपणन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए। इससे किसानों को अपने उत्पादों को एक साथ बेचने और बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • कृषि विपणन में प्रौद्योगिकी का उपयोग: सरकार को कृषि विपणन में प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए। इससे किसानों को बाजार की जानकारी प्राप्त करने, अपने उत्पादों को बेचने, और अपने व्यवसायों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी।

प्रासंगिक उदाहरण

  • गुजरात में अमूल सहकारी समिति: कृषि विपणन सुधार का एक सफल उदाहरण गुजरात में अमूल सहकारी समिति के बारे में है। डेयरी किसानों की सहकारी संस्था के रूप में शुरू हुई अमूल, भारत की सबसे प्रमुख और सफल कृषि विपणन संस्थाओं में से एक बन गई है।
  • e-NAM पहल: एक अन्य उल्लेखनीय उदाहरण e-NAM पहल है, जिसका उद्देश्य कृषि वस्तुओं के लिये एकीकृत राष्ट्रीय बाज़ार बनाना है। पारदर्शी मूल्य खोज के साथ व्यापार के लिये एक डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करके, e-NAM में विपणन प्रणाली की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार करने की क्षमता है।

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