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इंडिया टॉय फेयर 2021

भारतीय प्रधानमंत्री 27 फरवरी को इंडिया टॉय फेयर 2021 का उद्घाटन करेंगे।

हजारों लोगों को मिलेगा रोज़गार, लगा सकेंगे अपनी फैक्ट्री

केंद्र सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों में 8 टॉय मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स (Toy manufacturing clusters) को मंजूरी दी है. कलस्टरों के जरिए देश के पारंपरिक खिलौना उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा.

इन कलस्टरों के निर्माण पर 2,300 करोड़ रुपए की लागत आएगी. कलस्टरों में लकड़ी, लाह, ताड़ के पत्ते, बांस और कपड़ों के खिलौने बनेंगे.

केंद्र की योजना के मुताबिक सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में 3 कलस्टर बनेंगे. इसके बाद राजस्थान में 2, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडू में एक-एक टॉय मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स का निर्माण होगा. आपको बता दें कि अभी स्फूर्ति योजना के तहत कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में दो टॉय क्लस्टर्स बनाए गए हैं.

उद्देश्य:

  • भारत में खिलौना निर्माण को बढ़ावा देना।
  • यह खरीदारों, विक्रेताओं, छात्रों, शिक्षकों, डिजाइनरों आदि सहित सभी हितधारकों को एक साथ लाएगा।
  • सतत संपर्क बनाए जाएंगे जो उद्योग के समग्र विकास के लिए संवाद को प्रोत्साहित करेंगे।

दुनिया की खिलौना मार्केट पर एक नज़र

दुनियाभर में चीनी खिलौने की डिमांड सबसे ज्यादा रहती है. वर्ल्ड टॉय इंडस्ट्री की बात करें, तो चीन दुनिया में सबसे ज़्यादा खिलौने एक्सपोर्ट करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 86 फीसदी खिलौने विश्व में चीन से जाते हैं.

इसके बाद यूरोप के देशों का नंबर आता हैं.दुनिया में खिलौना बनाने में जो कंपनियां सबसे आगे है, उनमें लेगो, मेटल और बान्दाई नामको एंटरटेनमेंट जैसे नाम शामिल है. इनमें से कई के प्लांट चीन में हैं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा समय में वर्ल्ड टॉय इंडस्ट्री करीब  105 बिलियन अमरीकी डॉलर (करीब 7.87 लाख करोड़ रुपये) की इंडस्ट्री है. इसके  2025 तक 131 बिलियन डॉलर (करीब 9.82 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने की उम्मीद है.
भारत की बात करें, तो विश्व के खिलौना बाजार में भारत की हिस्सेदारी 0.5 फ़ीसदी से भी कम है.

भारत में खिलौना बाज़ार तकरीबन 16 हजार करोड़ रुपये का है, जिसमें से 25 फीसदी ही स्वदेशी है. बाकी 75 फीसदी में से 70 फीसदी सामान चीन से आता है. 5 फीसदी ही दूसरे देशों से एक्सपोर्ट होता है.

FATF ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में बरकरार रखा

हाल ही में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF) ने फैसला लिया है कि वह पाकिस्तान को आगामी जून सत्र तक ” ग्रे सूची” (Grey List) में बनाए रखेगा।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि: 

  • अक्तूबर 2020 सत्र के दौरान FATF द्वारा पाकिस्तान के लिये निर्धारित 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना को पूर्ण करने की समय-सीमा को कोविड-19 महामारी के कारण फरवरी 2021 तक विस्तारित कर दिया गया था। 
    • तब इसने 27 निर्देशों में से 6 का पूरी तरह से अनुपालन नहीं किया था।
  • FATF ने जून 2018 में पाकिस्तान को ’ग्रे सूची’ में रखने के बाद 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना जारी की थी। यह कार्रवाई योजना धन शोधन और आतंकी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने से संबंधित है।

पाकिस्तान को ग्रे सूची में बरकरार रखने के विषय में:

  • FATF आतंकवाद का मुकाबला करने में पाकिस्तान की उल्लेखनीय प्रगति को स्वीकार करता है, हालाँकि पाकिस्तान ने अभी भी इन 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना में से तीन को पूरा नहीं किया है।
  • ये तीन बिंदु आतंकी फंडिंग के बुनियादी ढाँचे और शामिल संस्थाओं के खिलाफ वित्तीय प्रतिबंध तथा दंड के संदर्भ में प्रभावी कदम से संबंधित हैं।
  • FATF जून 2021 सत्र के दौरान पाकिस्तान द्वारा किये गए उपायों और सुधारों की स्थिरता का परीक्षण करेगा। इसके बाद FATF द्वारा पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखने या निकालने की समीक्षा की जाएगी।

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के विषय में: 

  • FATF का गठन वर्ष 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था।
  • FATF मनी लांड्रिंग, टेरर फंडिंग जैसे मुद्दों पर दुनिया में विधायी और नियामक सुधार लाने के लिये आवश्यक राजनीतिक इच्छा शक्ति पैदा करने का काम करता है। यह व्यक्तिगत मामलों को नहीं देखता है।

एकीकृत बांस उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया

  • एकीकृत बांस उपचार संयंत्र का उद्घाटन गुवाहाटी, असम के पास बिरनीहाट में नॉर्थ ईस्ट बेंत और बांस विकास परिषद (NECBDC) में किया गया था।
  • मंत्रालय: उत्तर पूर्वी क्षेत्र का विकास मंत्रालय (DoNER)
  • संयंत्र वैक्यूम-दबाव-संसेचन तकनीक पर आधारित है।
  • द्वारा वित्त पोषित: राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) और उत्तर पूर्वी परिषद (NEC)।
  • यह केंद्र सरकार की एक पहल है जो भारत को बांस उद्योग में आत्मनिर्भर बनाने और इस क्षेत्र में रोजगार सृजित करने के लिए है।
  • जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश NECBDC के सहयोग से तीन बांस क्लस्टर स्थापित करेगा।
  • इन समूहों के तहत, अगरबत्ती, टोकरी और लकड़ी का कोयला क्रमशः उत्पादित किया जाएगा।
  • घर में उगने वाले बांस को 100 साल पुराने भारतीय वन अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है।
  • COVID- महामारी के दौरान, अन्य देशों से आने वाली अगरबत्ती पर आयात शुल्क लगभग 35% तक बढ़ा दिया गया है।
  • यह बांस से बनी अगरबत्तियों के आयात को हतोत्साहित करेगा और घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा।

फार्मास्यूटिकल्स और आईटी हार्डवेयर के लिये PLI योजना

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फार्मास्यूटिकल्स और सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर के लिये 22,350 करोड़ रुपए की लागत वाली उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं को मंज़ूरी दी है।

  • इससे पूर्व सरकार ने 51,311 करोड़ रुपए के प्रस्तावित परिव्यय के साथ चिकित्सा उपकरणों, मोबाइल फोन और निर्दिष्ट ‘सक्रिय दवा सामग्री’ (API) के लिये उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं की घोषणा की थी।

उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना

  • इस योजना का उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की बिक्री में हो रही वृद्धि पर कंपनियों को प्रोत्साहन प्रदान करना होता है। 
  • इसके तहत विदेशी कंपनियों को भारत में इकाई स्थापित करने के लिये आमंत्रित किया जाता है, हालाँकि इसका प्राथमिक उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों का विस्तार करने के लिये प्रोत्साहित करना है।
Incentive-work

सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर क्षेत्र

  • 7350 करोड़ रुपए की लागत वाली इस योजना के तहत भारत में निर्मित सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर उत्पादों के लिये शुद्ध वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष 2019-20) पर 1-4 प्रतिशत नकद प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
  • इस योजना के लक्षित सेगमेंट में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन PC और सर्वर आदि शामिल हैं।

अंतर्देशीय जलमार्ग के माध्यम से परिवहन के लिए एलपीजी

अब, अंतर्देशीय जलमार्ग के माध्यम से रसोई गैस का परिवहन किया जा सकता है।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने MOL (एशिया ओशिनिया) प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। राष्ट्रीय जलमार्ग -1 और 2 के माध्यम से रसोई गैस के परिवहन के लिए लि
मंत्रालय: बंदरगाह मंत्रालय, जहाजरानी और जलमार्ग

  • MOL Group मेक-इन-इंडिया पहल के तहत निर्माण और संचालन के लिए निवेश करेगा।
  • यह परियोजना कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने में मदद करेगी, जिससे कुल रसद लागत कम होगी।
  • यह UJJWALA योजना में भी योगदान देगा।
  • परियोजना का महत्व: वर्तमान में, एलपीजी का 60% सड़क के माध्यम से पहुँचाया जाता है। ट्रांसपोर्टर्स, रोड ब्लॉकेज की हड़ताल से कभी-कभी ट्रांसपोर्टेशन में भी देरी होती है। इसके अलावा, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेल या सड़क के माध्यम से जाना मुश्किल है
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