IAS Success Story: पिता ने की गार्ड की नौकरी,खेतों में किया

हौंसले हो बुलंद तो हर मुश्किल को आसां बना देंगे , 

छोटी टहनियों की क्या बिसात, हम बरगद को ही हिला देंगे ! 

वो और हैं जो बैठ जाते हैं थक कर मंजिल से पहले , 

हम बुलंद हौंसलों के दम पर आसमां को ही झुका देंगे ! 

साल 2015 में यूपीएससी (UPSC) द्वारा आयोजित की गई सिविल सेवा परीक्षा में 242वीं रैंक हासिल करने वाले कुलदीप द्विवेदी की. कुलदीप के पिता यूनिवर्सिटी में सिक्‍योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे. कुलदीप के चार भाई-बहन हैं. सिक्‍योरिटी गार्ड की नौकरी करते हुए परिवार का पालन-पोषण करना आसान नहीं था. कई बार भरपेट खाना तक नहीं मिलता था.

कुलदीप लखनऊ से ताल्‍लुक रखते हैं.उनके पिता सूर्यकांत द्विवेदी लखनऊ विश्वविद्यालय में सुरक्षा गार्ड के तौर पर काम करते हैं और पांच लोगों के परिवार की परवरिश करते थे. कुलदीप के पिता को तब 11 सौ रुपये सैलरी मिलती थी. मुश्किल से परिवार का गुजारा हो पाता था. बच्चे बड़े होने लगे तो उनकी एजुकेशन की टेंशन बढ़ने लगी.

कुलदीप के बड़े भाई लखनऊ में डेरी की दुकान चलाते हैं जबकि दूसरे भाई लखनऊ हाईकोर्ट में वकालत करते हैं। उनकी बहन दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रही है।

गुजारे के लिए खेतों में किया काम
कुलदीप के पिता ने बच्‍चों को पढ़ाने के लिए गार्ड की नौकरी के साथ-साथ खेतों में भी काम करना शुरू कर दिया. वो दिन-रात मेहनत करते थे. इस तरह से उन्‍होंने चारों बच्‍चों की पढ़ाई-लिखाई पूरी कराई.

ऐसे शुरू की UPSC की तैयारी
कुलदीप द्विवदी ने 2009 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक किया था. 2011 में पोस्‍टग्रेजुएट किया. वो एग्‍जाम की तैयारी में जुट गए थे. इलाहाबाद में रहकर उन्‍होंने UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. इस दौरान उनके पास मोबाइल नहीं था. वो पीसीओ से अपने घरवालों को फोन किया करते थे.

पहले प्रयास में मिली सफलता
2015 में कुलदीप ने आईएएस का एग्जाम दिया था और पहली बार में ही इसे क्‍वालीफाई कर लिया था.उन्‍होंने एग्जाम में 242वीं रैंक हासिल की थी. रैंक के हिसाब से उन्‍हें आईआरएस मिला. अगस्त 2016 में नागपुर में उनकी ट्रेनिंग शुरू हो गई. ट्रेनिंग के बाद कुलदीप की पहली पोस्टिंग असिस्टेंट कमिश्‍नर इनकम टैक्स ऑफिसर की पोस्ट पर हुई.

कुलदीप ने 2009 में इलाहाबाद विश्विद्यालय से ग्रैजुएशन किया उसके बाद वहीं से पोस्ट ग्रैजुएशन भी पूरा किया। पीजी करने के बाद कुलदीप सिविल सर्विस की तैयारी में लग गए। उनके पास उस समय मोबाइल भी नहीं था। उनकी जरूरत को देखते हुए उनके पिता ने पैसे जुटाकर उनके लिए मोबाइल खरीदकर दी।
 “I was determined that somehow I will have to crack the UPSC examination with a good rank. I kept myself engaged in academics. Luckily the family never troubled me in my pursuit. I’m now all ready to don the uniform and work for country’s development,” Kuldeep, a book lover, said 

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