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भारत और अमेरिका के बीच बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौता (BECA) पर हस्ताक्षर किए गए

BECA, उन तीन बेसिक समझौतों में से आखिरी समझौता है जिन्हें अमेरिका अपने करीबी साझेदार देशों के साथ सेनाओं की पारस्परिकता और संवेदनशील व क्लासीफाइड सूचनाओं के आदान-प्रदान को सक्षम बनाने के लिए करता है.

इससे पहले जो दो समझौते हुए वे कम्युनिकेशंस कंपैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA) और लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मैमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) हैं.

  • BECA, लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) और कम्युनिकेशन्स कम्पेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA) जिन पर दोनों देशों के बीच गहरे सैन्य सहयोग के लिए पहले के रूप में संधिगत संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • BECA से भारत को अमेरिकी भू-स्थानिक बुद्धिमत्ता तक वास्तविक समय तक पहुँच प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • पहुंच स्वचालित प्रणालियों और मिसाइलों और सशस्त्र ड्रोन जैसे हथियारों की सटीकता को बढ़ाएगी।
  • मानचित्र और उपग्रह चित्रों पर जानकारी साझा करने से भारत को स्थलाकृतिक और वैमानिक डेटा, और उन्नत उत्पादों तक पहुंचने में मदद मिलेगी जो नेविगेशन और लक्ष्यीकरण में सहायता करेंगे।
  • यह भारत और अमेरिका के बीच वायु सेना-से-वायु सेना सहयोग के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है।

अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाइट-01

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) द्वारा 7 नवंबर, 2020 को ‘ईओएस-01’ (EOS-01) नामक अपने ‘अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाइट’ (Earth Observation Satellite- EOS) को पीएसएलवी-सी 49 रॉकेट के माध्यम से से लॉन्च किया जाएगा।

  • गौरतलब है कि मार्च 2020 में COVID-19 महामारी के कारण लागू हुए लॉकडाउन के बाद यह इसरो द्वारा अंतरिक्ष प्रक्षेपण से जुड़ा पहला मिशन होगा।
  • साथ ही यह इसरो द्वारा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle-PSLV) से भेजा जाने वाला 51वाँ अंतरिक्ष मिशन होगा।
  • ईओएस-01, कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन में सहयोग प्रदान करने के लिये बनाया गया एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है।
  • ईओएस-01 उपग्रह को नौ अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक उपग्रहों (Customer Satellites) के साथ इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre- SDSC), श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) से प्रक्षेपित किया जाएगा।
  • इस मिशन में शामिल ग्राहक उपग्रहों को न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (New Space India Limited-NSIL), अंतरिक्ष विभाग के साथ किये गए वाणिज्यिक समझौते के तहत लॉन्च किया जा रहा है।

भारत-मध्य एशिया वार्ता आयोजित

भारत-मध्य एशिया वार्ता की दूसरी बैठक विदेश मंत्री की अध्यक्षता में हुई।

बैठक में कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों और किर्गिज गणराज्य के प्रथम उप विदेश मंत्री ने भाग लिया।

  • मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों ने इस क्षेत्र में ऊर्जा, आईटी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में प्राथमिकता विकासात्मक परियोजनाओं के लिए एक बिलियन अमेरिकी डॉलर लाइन ऑफ क्रेडिट के प्रावधान का स्वागत किया।
  • मंत्रियों ने COVID-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत और मध्य एशियाई देशों के स्वच्छता और महामारी विज्ञान सेवाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • मंत्रियों ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के भारत के प्रयासों की सराहना की, जो मध्य और दक्षिण एशिया के बाजारों के बीच व्यापार और परिवहन संचार की एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है।

कुम्हार सशक्तीकरण योजना

हाल ही में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री द्वारा कुम्हारों के सशक्तीकरण की दिशा में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा शुरू की गई ‘कुम्हार सशक्तीकरण योजना’ के तहत एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से महाराष्ट्र के नांदेड़ और परभणी ज़िलों में 100 कुम्हार परिवारों को बिजली से चलने वाले चाक का वितरण किया गया।

इस योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग’ (KVIC) द्वारा भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में रह रहे कुम्हार समुदाय के सशक्तीकरण के लिये की गई थी।

  • कुम्हारों को उन्नत कोटि के मिट्टी के बर्तन व अन्य उत्पाद बनाने के लिये प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • मिट्टी के बर्तन बनाने के लिये नवीनतम और नई तकनीक के उपकरण उपलब्ध कराना।
  • KVIC प्रदर्शनियों के माध्यम से बाज़ार तक कुम्हारों की पहुँच को मज़बूत करना।
  • बिजली के चाक से कुम्हारों की उत्पादकता में वृद्धि होगी, जिससे उनकी आय बढ़ेगी।
  • इस योजना के तहत देश भर में अब तक 18,000 से अधिक बिजली चालित चाक वितरित किये जा चुके हैं।

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