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MOTIVATION

Home » एक SDM की कहानी जो आप को पेरणा देगी

एक SDM की कहानी जो आप को पेरणा देगी

  • Posted by ADITYA KUMAR MISHRA
  • Categories MOTIVATION
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UPSC4U

दोस्तो अगर जो आपको ये कहानी अच्छी लगे तो आप लाइक शेयर और कमेंट ज़रूर करियेगा

आप ऐसे और मोटिवेशनल कहानी मेरे ब्लॉग पर पड़ सकते हैं

जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते|

YOU CAN DO IT.

आज स्कूल में शहर की LADY SDM आने वाली थी क्लास की सारी लड़कियां ख़ुशी के मारे फूले नहीं समां रही थी… सबकी बातों में सिर्फ एक ही बात थी SDM .. और हो भी क्यों न आखिर वो भी एक लड़की थी… .पर मेरी तरफ से। जब सब लड़कियां व्यस्त थीं तो एसडीएम की चर्चाओं में…। एक लड़की सीट की लास्ट बेंच पर बैठी पेन और उसके कैप से खेल रही थी… उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि कौन आ रहा है और क्यों आ रहा है? .वो अपने में मस्त था… .वो लड़की आरुषि थी… !!! आरुषि पास के ही एक गांव के एक किसान की एकलौती बेटी थी… ..स्कूल और उसके घर का फासला लगभग 10 किलोमीटर का था, जिसे वह साइकिल से तय करती थी… ..स्कूल में बाकि की सहेलियां उससे इसलिए ज्यादा नहीं जुड़कर रहतीं क्योंकि वो उनकी तरह रईस नहीं थी, लेकिन उसमें उसका क्या दोष था …? … खैर उसकी जिंदगी सेट कर दी गयी थी इंटरमीडिएट के बाद उसे आगे नहीं पढ़ाया जा सकता था … .क्योंकि उसके पापा पैसे सिर्फ एक जगह लगा सकते थे। ा शादी में और या तो आगे की पढाई में … .उसके परिवार में कोई भी मैट्रिक से ज्यादा पढ़ा नहीं था …। बस यही रोड मैप उसके आँखों के सामने हमेशा घूमता रहता है कि ये क्लास उसकी अंतिम क्लास है और इसके बाद उसकी शादी कर दी जाएगी… ..इसीलिए वो आगे सपने ही नहीं देखती थी और इसीलिए उस दिन एसडीएम के आने का उसपर कोई बात नहीं हुई थी …… ठीक 12 बजे एसडीएम अपने स्कूल में आयी…। यही कोई 24 -25 की साल की लड़की ..नीली बत्ती की अम्बेसडर गाड़ी और साथ में 4 पुलिसवाले… .. 2 घंटे के कार्यक्रम के बाद एसडीएम चली गयी… .लेकिन आरुषी के दिल में बहुत बड़ी उम्मीद छोड़कर गयी… उसे जीवन से। अब प्यार हो रहा था… ..जयसे उसके सपने अब आज़ाद हो जाने चाहिए… !!
उस रात आरुषि नहीं नहीं पायी… .स्कूल में भी भ्रम पैदा होने लगी… .क्या करूँ? …। वह अब उड़ना चाहती थी फिर अचानक पापा की गरीबी उसके सपनो और मंजिलो के बीच में आकर खड़ी हो जाती है …… वो घर वापस गयी और रात खाने के वक़्त सब माँ और पापा को बता डाला …… पापा ने उसे गले से लगा लिया…। उनके पास छोटी सी जमीन का एक टुकड़ा था … कीमत वह 50000 रुपये की होगी … ..ऋषि की शादी के लिए उसे रखा गया था … ..पापा ने कहा की मैं सिर्फ एक ही चीज पूरी कर सकता हूं .. .. तेरी शादी के लिए हो या तुम्हारा सपना …… आरुषि अपना सपनो पर दांव खेलने को तैयार हो गयी ……। इंटरमीडिएट के बाद उसके बीए में दाखिला लिया गया … क्योंकि ग्रेजुएशन में इसकी फीस सबसे सस्ती थी …। पैसे का इंतेजाम पापा ने किसी से मांग कर दिया…। ये उसकी मंजिल नहीं थी उसकी मंजिल तो कही और थी…। उसकी तैयारी शुरू की… ..सबसे बड़ी समस्या आती किताबों की…। तो उसके लिए नुक्कड़ की एक पुरानी दुकान का सहारा लिया ..जहाँ पुरानी किताबे बेचीं या खरीदी जाती थी ..ये पुरानी किताबें उसे आधी कीमत में मिल जाती थी… वो एक किताब खरीदकर लाती और पढ़ने के बाद उसे बेचकर दूसरी किताबें… .. “” कहते हैं न कि जब परिंदों के हौसलों में शिद्दत होती है तो आसमान भी अपना कद झुकाने लगता है “” … ।ऋषि की लगन को देखकर उस दुकान वाले अंकल ने उसे किताबे मुफ्त में देनी शुरू की और कुछ ऐसा। Abend तो खुद नए खरीदकर दे देते हैं और कहते हैं कि बिटिया जब बन जाओ तो सूद सहित वापस कर देना ”“ कुछ भी हो आरुषि इस यकीन को नहीं तोडना चाहती थी… .. ग्रेज्यूशन के 2 साल पूरे हो गए… .. और उसकी तैयारी लगातार चलती रही… .. सब ठीक चल रहा था कि अचानक उसकी माँ की तबियत ख़राब हो गयी… .इलाज के लिए पैसे की ज़रूरत थी लेकिन पहले से की घर क़र्ज़ में डूब चूका था… ..अंत में पापा ने जमीन गिरवी रख दी थी] । और इसी तरह उसने ग्रेजुएशन के तीसरे वर्ष में दाखिला लिया …। समस्याओं का मूल्य नहीं छोड़ा जा रहा था…। आरुषि कब तक अपने हौसलो को मजबूत बनाने की कोशिस करती है’िरकार एक दिन मां से लिपटकर वो बहुत रोई .. और एक ही बात पूछती “” “मां हमारे कभी अच्छे दिन नहीं आएंगे? “”। …। माँ ने उसे हिम्मत दी .. और फिर से उसने कोशिस की .. !!

..कहते हैं न कि दुश्मन कभी परजित नहीं होते… या तो विजयी होते हैं और या तो वीरगति को प्राप्त होते हैं …… .. !! … .23 जून हाँ ये वही दिन था जब आरुषि ने प्रारंभिक परीक्षा पास की थी ..अब बारी मुख्य परीक्षा की थी। और आरुषि के हौसले अब सातवें आसमान को छू रहे थे …… तीन साल की लगातार कठिन परिश्रम का फल था [आरुषि ने मुख्य परीक्षा भी पास कर ली …… ..अब वह अपने सपने से सिर्फ एक कदम दूर खड़ी थी …… पीछे मुड़कर देखती तो उसे सिर्फ तीन लोग ही नजर आते ..माँ, पापा और दुकान वाले अंकल …… ophircar इंटरव्यू हुआ… .. और अंतिम रूपांतर में आरुषि ने सफलता हासिल की … .आरुषि को जैसे यकीन नहीं हो रहा था की हाँ ये वही आरुषि है … .. माँ, पापा तो अपने आंसुओं के सैलाब को रोक नहीं पा रहे थे …। आरुषि अपने घर से तेजी से निकल गयी… उन्ही आंसुओं के साथ आखिर किसी और को भी तो उसे धन्यवाद देना था… .सीधे जाओ दुकान वाले अंकल के पास रुकी… ..अंकल ने उसे गले से लगा लिया और खुद भी छटपटा गया !!
जो में ये जीत सिर्फ आरुषि की जीत नहीं थी। जीत में शामिल थी माँ की ममता ..पिता के हौसले और दुकान वाले अंकल का यकीन .. !!

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Tag:MOTIVATION, MOTIVATION FOR IAS, MOTIVATIONAL STORY, UPSC MOTIVATIONAL STORY

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