कंपनी में जॉब के साथ की UPSC की तैयारी, अब किसान की बेटी बनी अपने इलाके की पहली IAS अन्नपूर्णा सिंह

बांका जिले की अन्नपूर्णा सिंह ने यूपीएससी 2023 में 99वीं रैंक हासिल की। अन्नपूर्णा सिंह मूलरूप से बांका जिले के लाहौरिया गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता किसान हैं। पिता ने बेटी अन्नपूर्णा के आईएएस परीक्षा पास करने पर खुशी जताई। अन्नपूर्णा अपनी सफलता का श्रेय कड़ी मेहनत और माता-पिता के समर्थन को दिया।

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भारत सरकार की एक प्रमुख एजेंसी है जो भारत सरकार के लिए सिविल सेवकों की भर्ती के लिए जिम्मेदार है। यह एक संवैधानिक निकाय है, अर्थात यह भारत के संविधान द्वारा स्थापित है और सरकार से स्वतंत्र रूप से काम करता है।

यूपीएससी भारत सरकार के विभिन्न अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सिविल सेवाओं के लिए अधिकारियों की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करता है। इन सेवाओं में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) आदि शामिल हैं। यूपीएससी की परीक्षा को पास करना बहुत प्रतिष्ठित और प्रतिस्पर्धात्मक माना जाता है, और जो लोग सफल होते हैं उन्हें भारत के कुछ सबसे तेज दिमागों के रूप में देखा जाता है।

बीते दिनों यूपीएससी 2023 के नतीजे घोषित हुए। इसके बाद बांका में उत्साह का माहौल है। बांका की बेटी अन्नपूर्णा सिंह ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा में 99वीं रैंक हासिल की है। अन्नपूर्णा सिंह आईएएस परीक्षा पास करने वाली अपने गांव ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की पहली लड़की हैं, जिसने आईएएस बनकर इतिहास रच दिया है। उनकी सफलता पर स्थानीय समुदाय में खुशी की लहर है। अन्नपूर्णा सिंह के माता-पिता उनकी इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। उनके पिता ने बताया कि अन्नपूर्णा बचपन से ही पढ़ाई में लगनशील रही हैं। अन्नपूर्णा सिंह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शुभचिंतकों को देती हैं।

यूपीएससी पास करने वाली अन्नपूर्णा के पिता हैं किसान

अन्नपूर्णा के पिता किसान और मां गृहणी हैं। बेटी की कामयाबी पर अन्नपूर्णा के पिता मुकेश सिंह बेहद खुश हैं। मुकेश सिंह ने बताया कि, ‘अन्नपूर्णा बचपन से ही एक मेहनती छात्रा रही है। उसने पटना में अपनी शिक्षा पूरी की और बैंगलोर से बी.टेक की। कैंपस प्लेसमेंट के ज़रिए उन्हें इंटेल में नौकरी मिल गई। नौकरी करते हुए अन्नपूर्णा ने यूपीएससी की तैयारी की। शुरुआत में उसके दो प्रयास असफल रहे। लेकिन बेटी ने हार नहीं मानी और अब उसका सपना पूरा हो गया है।’

अपनी सफलता के बारे में बताते हुए अन्नपूर्णा ने कहा कि ‘मैं इस बार भी परिणाम को लेकर चिंतित थी, लेकिन अब मैं संतुष्ट हूं। दिलचस्प बात यह है कि मैंने कोविड काल के दौरान पारंपरिक ऑफलाइन कक्षाओं के बजाय ऑनलाइन कोचिंग का विकल्प चुना। इसके अलावा, मैंने विशेष रूप से मॉक इंटरव्यू के लिए कोचिंग ली।’

जब हम कोई ख्वाब देखते हैं और उसे पूरा करने के लिए मेहनत करते हैं तो कभी-कभी कामयाबी नहीं मिलती है। ऐसे में अपना धैर्य कभी न खोएं, बल्कि ईमानदारी से अपनी गलतियों को पहचानते हुए तैयारी करें तो सफलता जरूर मिलेगी।

अन्नपूर्णा सिंह

मेरे माता-पिता का अटूट समर्थन मेरी सफलता में अहम रहा

अन्नपूर्णा जोर देकर कहती हैं, ‘मेरे माता-पिता का अटूट समर्थन मेरी सफलता में अहम रहा है। मेरी तैयारी में उनकी सक्रिय भागीदारी एक महत्वपूर्ण कारक रही है। मेरे कुछ दोस्तों ने मज़ाक में सुझाव दिया है कि मुझे अपने माता-पिता के बारे में एक किताब लिखनी चाहिए। मेरे माता-पिता के मानसिक और भावनात्मक समर्थन के बिना, इस परीक्षा को पास करना एक कठिन काम होता।’

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