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Home » कामकाजी महिला छात्रावास FOR UPSC

कामकाजी महिला छात्रावास FOR UPSC

  • Posted by ADITYA KUMAR MISHRA
  • Categories YOJANA
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बहुत सी महिलाएं रोजगार की तलाश में अपने घर छोड़कर बड़े शहरों और शहरी और ग्रामीण औद्योगिक समूहों की तरफ रुख करती हैं। उन्हें सुरक्षित आशियाना उपलब्ध कराना योजना का उद्देश्य है।
योजना महिलाओं के लिए सुरक्षित और सस्ती छात्रावास के प्रावधान की परिकल्पना करती है।

  • सामाजिक: घर के बाहर काम करने वाली महिलाओं की कम सामाजिक स्वीकार्यता
  • सुरक्षा: सुरक्षित कार्यक्षेत्रों में कार्य करने का अभाव
  • समानता: गरीब और असमान मजदूरी का व्यापक प्रसार और
  • बेमेल मांग–कौशल: सम्माननीय और उपयुक्त नौकरियों की कमी।
  • हाल ही में किए गए एक अध्ययन में एक महिला के शिक्षा स्तर और कृषि व गैर-कृषि मज़दूरी कार्य में और परिवारिक खेतों में उसकी भागीदारी के बीच एक मजबूत नकारात्मक संबंध देखा गया।
    • बेहतर शिक्षा के साथ, महिलाएं आकस्मिक मजदूरी या परिवार के खेतों और उद्यमों में काम करने से इनकार कर रही हैं।
  • अनिवार्य रूप से, उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाएं घर के बाहर ऐसा शारीरिक श्रम नहीं करना चाहती हैं, जो कि उनको, उनकी योग्यता से कम आंकता हो।
    • इस अध्ययन में वेतनभोगी नौकरियों के लिए महिलाओं में एक प्राथमिकता भी दिखाई गई क्योंकि उनकी शैक्षिक उपलब्धि बढ़ जाती है; लेकिन ऐसी नौकरियां महिलाओं के लिए बेहद सीमित हैं।
    • यह अनुमान है कि किसानों, खेत मजदूरों और सेवाकर्मियों के रूप में काम करने वाले लोगों (25 से 59 वर्ष) के बीच, लगभग एक तिहाई महिलाएं हैं, जबकि पेशेवरों, प्रबंधकों और लिपिक श्रमिकों के बीच महिलाओं का अनुपात केवल 15% (NSSO, 2011- 2012) है।

चूँकि, पारंपरिक रूप से घर का काम महिलाओं के हिस्से आता था। लेकिन तब की स्थिति अलग थी, क्योंकि तब महिलाएँ घर में ही काम करती थीं। लेकिन अब जबकि वे बाहर निकलकर काम करने लगी हैं, तब भी उनसे घर के सारे काम करने की उम्मीद की जाती है। एक कामकाजी महिला को कामकाजी पुरुषों से दुगना काम करना पड़ता है। अपने बच्चे, पति, सास-ससुर इत्यादि सभी का भी ख्याल पूर्ववत् रखना पड़ता है।

अब चूँकि संयुक्त परिवार टूट गए हैं, इसलिये उनका हाथ बँटाने वाला कोई नहीं है। इसलिये उनकी समस्याएँ और भी बढ़ जाती हैं।

ये महिलाएं हैं योजना के लिए पात्र
– गैर सरकारी, शिक्षा व सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत महिलाएं।
– आवेदक की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
– कार्यरत महिलाएं, जो सिंगल, विधवा, तलाकशुदा, विवाहिता हो। लेकिन जिनके पति या तत्काल परिवार उसी शहर में नहीं रहते हैं।
– समाज के वंचित वर्गों की महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी जा सकती है।
– शारीरिक रूप से विकलांग लाभार्थियों के लिए सीटों के आरक्षण का भी प्रावधान है।
– महिलाएं जो नौकरी के लिए प्रशिक्षण ले रही हैं, उनकी प्रशिक्षण अवधि एक वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
– कामकाजी महिलाओं को छात्रावास की सुविधा के लिए प्रति माह आय महानगरीय शहरों में 50,000 रुपये और अर्द्ध शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में 35,000 रुपये से   अधिक नहीं होनी चाहिए।
– किसी भी कामकाजी महिला को छात्रावास में तीन साल से अधिक रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
– कामकाजी महिलाओं के बच्चों (लड़कियों को 18 वर्ष की आयु तक और लड़कों को 5 वर्ष की आयु तक) को अपनी मां के साथ समायोजित किया जा सकता है।

उद्देश्य:

योजना का मुख्य उद्देश्य शहरी, अर्ध शहरी या यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां भी महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर मौजूद हैं, अपने बच्चों के लिए दिन देखभाल सुविधा के साथ सुरक्षित और सुविधाजनक रूप से स्थित आवास की उपलब्धता को बढ़ावा देना है।

कामकाजी महिला छात्रावासDownload

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