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ECONOMICS

Home » भारत में कृषि श्रमिकों की समस्या के निदान हेतु भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयास

भारत में कृषि श्रमिकों की समस्या के निदान हेतु भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयास

  • Posted by teamupsc4u
  • Categories ECONOMICS
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भारत में कृषि श्रमिकों की समस्या के निदान हेतु भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयास

कृषि श्रमिक:- वह व्यकित जो किसी व्यक्ति की भूमि पर केवल एक श्रमिक (मजदूर) के रूप में कार्य करता है। तथा अपने श्रम (काम) के बदले में रूपये या फसल (अनाज) के रूप में मजदूरी प्राप्त करता है। और कार्य के संचालन देख-रेख या लाभ-हानि के जोखिम के प्रति उत्तरदाई नहीं होता और ना ही श्रमिक को उस भूमि के संबंध में कोई अधिकार प्राप्त होता है। उस व्यक्ति को कृषि श्रमिक कहा जाता है

कृषि श्रमिकों की समस्याएं:- भारत में कृषि श्रमिकों की अनेक कठिनाइयां है जो इस प्रकार है। 

  • मौसमी रोजगार
  • ऋणग्रस्तता
  • निम्न मजदूरी
  • आवास की समस्या
  • मजदूरों की छँटनी

मौसमी रोजगार:-  अधिकांश कृषि श्रमिकों को वर्ष -भर कार्य नही मिल पाता हैै। उनकी माँग फसल की बुवाई तथा कटाई के समय अधिक होती है। कृषि श्रमिकों 40 दिन कार्य करता है। और चार महीनेवह बेकार रहता है।

2. ऋणग्रस्तता:-  भारतीय कृषि श्रमिकों को कम मजदूरी मिलती है। वे वर्ष में कई महीने बेरोजगार रहते हैं। इस कारण उनकी निर्धनता बढ़ जाती है। और अपने सामाजिक कार्यों के लिए जैसे विवाह जन्म आदि पर वे महाजनों से ऋण लेते हैं। और परिणाम स्वरूप उनके ऊपर ऋणग्रस्तता अधिक हो जाती है। वर्ष 2005 में जारी एन. एस. एस. डी. की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में कृषक परिवारों पर औसत ऋण भार ₹ 12,585 है। 

3. निम्न मजदूरी:-   भारत में कृषि श्रमिकों की मजदूरी की दर अत्यधिक नीची हैं जो उनकी लिंग आदि से निर्धारित होती है। जैसे स्त्रियों बच्चों व बूढ़ों को कम मजदूरी दी जाती है। उससे उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती। और इस कारण उनका जीवन स्तर तथा स्वास्थ्य निम्न कोटि का हो जाता है। तथा इसी कारण श्रम की कुशलता में भी कमी है। 

4. आवास की समस्या:-  कृषि श्रमिकों की आवासीय स्थिति दयनीय होती है। इनके मकान कच्ची मिट्टी के बने होते हैं। जिनमें सर्दी गर्मी और बरसात में सुरक्षा का अभाव होता है। समस्त परिवार एवं पशु रात के समय एक ही मकान में रहते हैं। जिससे वातावरण दूषित रहता है। 

5. मजदूरों की छँटनी:-  औद्योगिक श्रमिकों को कभी-कभी बेकारी का सामान भी करना पड़ता है। कारखाने में कभी उद्योग में घाटे की स्थित कभी वस्तु की मांग की कमी हो जाने के कारण उद्यमी कारखानों को बंद कर देतें है। इस स्थिति में श्रमिकों को स्थाई या अस्थाई बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है। उनके समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाती है। 

कृषि श्रमिकों की समस्या के निवारण हेतु सरकार द्वारा किए गए प्रयास:- 

भारत के स्वतंत्र होते ही सरकार ने जिन प्रमुख कार्यों की ओर ध्यान दिया उनमें से एक महत्वपूर्ण कार्य मजदूरों का कल्याण भी था। कृषि श्रमिकों की समस्या के निवारण हेतु सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं-

  • बंधुआ मजदूर प्रथा का अंत
  • भूमिहीन श्रमिकों के लिए भूमि की व्यवस्था
  • कृषि श्रमिक सहकारिता का संगठन
  • कुटीर एवं लघु उद्योगों का विकास
  • ऋण मुक्ति कानून


 1. बंधुआ मजदूर प्रथा का अंत:-  गाँवो में भूमिहीन मजदूरों की एक बड़ी संख्या ऐसी है जो बंधुआ मजदूरों के रूप में काम करती थी जुलाई 1975 में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 20 सूत्री कार्यक्रम के अंतर्गत यह घोषित किया कि अगर कहीं बंधुआ मजदूर हैं तो उन्हें मुक्त कर दिया जाए। और यह व्यवस्था गैरकानूनी घोषित कर दी जाए। केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने एक अध्यादेश जारी करके बंधुआ मजदूरी प्रथा को समाप्त कर दिया है। 

2. भूमिहीन श्रमिकों के लिए भूमि की व्यवस्था:- सरकार ने जोतों की सीमा का निर्धारण करके अतिरिक्त भूमि को भूमि हीन कृषको में बांटने की व्यवस्था की। तथा भूदान ग्रामदान आंदोलन आदि से प्राप्त भूमि को भूमिहीन श्रमिको में बांटा गया। इस कार्य के लिए चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में विशेष बल दिया गया। 

3. कृषि श्रमिक सहकारिता का संगठन:-  कृषि श्रमिक सहकारी समितियां लघु एवं सीमांत कृषकों ग्रामीणों तथा श्रमिकों को सुविधाएं देने के उद्देश्य से स्थापित की गई हैं। ऐसी समितियां नहरों एवं तालाबों की खुदाई सड़कों के निर्माण आदि का ठेका लेती है। जिससे श्रमिकों को रोजगार के अवसर मिलते हैं। अब तक लगभग 213 ऐसी समितियों की स्थापना हो चुकी है।

कुटीर एवं लघु उद्योगों का विकास:-  कृषि पर हुई जनसंख्या के भार को कम करने के लिए सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर और लघु उद्योगों के विकास को महत्व दिया। 

5. ऋण मुक्ति कानून:-  कृषि श्रमिकों को ऋण मुक्ति कानून दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश तथा कई अन्य राज्यों ने अध्यादेश के माध्यम से कानून बनाया। इस कानून के अनुसार जिन श्रमिकों की वार्षिक आय ₹ 2,400 या इससे कम है उनको पुराने ऋण से मुक्त कर दिया गया है। सन् 1975 में लघु कृषकों भूमिहीन कृषकों व कारीगरों पर महा जनों के ऋणों से      मुक्ति की घोषणा की गई।

 कृषि मजदूरों के जीवन स्तर को सरकार ने विभिन्न कानून बनाकर एवं उन्हें लागू कर सुधारने का प्रयास किया है।

बिटकॉइन क्या है ?

बिटकॉइन क्या है ?

  • बिटकाइन एक डिजिटल मुद्रा है। यह पहली डिजिटल या वर्चुअल मुद्रा है | यह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं संचालित होती।
  • यह एक ऐसी करेंसी है जिसको आप ना तो देख सकते हैं और न ही छू सकते हैं। यह केवल इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर होती है। अगर किसी के पास बिटकॉइन है तो वह आम मुद्रा की तरह ही सामान खरीद सकता है।
  • बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव टेक्नोलॉजी है जि‍सका इस्तेमाल ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा सकता है |
  • पहले यह एक इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा के रूप में थी लेकिन 2017 में इसको दो भागों में बट गई Bitcoin (BTC) और The Bitcoin Cash.

बिटकॉइन का विकास क्यों और किसने किया ?

  • इसका विकास अक्टूबर 2008 में, सब-प्राइम के दौरान, यूएस में सातोशी नकामोतो नामक एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने किया था। और 2009 में यह सबसे के सामने आयी |
  • बिटकॉइन का विकास कंप्यूटर नेटवर्किंग पर आधारित भुगतान हेतु इसे निर्मित किया गया है।

बिटकॉइन को कैसे इस्तेमाल किया जाता है ?

  • कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी मध्‍यस्‍था के ट्रांजेक्‍शन किया जा सकता है। वहीं इस डिजिटल करंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है।

बिटकॉइन को कैसे खरीदा जा सकता है ?

  • जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन भुगतान के अलावा इसको पारम्परिक मुद्राओं में भी बदला जाता है
  • बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई औपचारिक रूप नहीं है।

बिटकॉइन के लाभ व लोक प्रिय होने के कारण 

  • वर्तमान में लोग कम कीमत पर बिटकॉइन खरीद कर ऊंचे दामों पर बेच कर कारोबार कर रहे हैं।
  • आम डेबिट /क्रेडिट  कार्ड से भुगतान करने में लगभग दो से तीन प्रतिशत लेनदेन शुल्क लगता है, लेकिन बिटकॉइन में ऐसा कुछ नहीं होता है। इसके लेनदेन में कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता है, इस वजह से भी यह लोकप्रिय होता जा रहा है।
  • इसके अलावा यह सुरक्षित और तेज है  जिससे लोग बिटकॉइन स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।
  • किसी अन्य क्रेडिट कार्ड की तरह इसमें कोई क्रेडिट लिमिट नहीं होती है न ही कोई नगदी लेकर घूमने की समस्या है।
  • खरीदार की पहचान का खुलासा किए बिना पूरे बिटकॉइन नेटवर्क के प्रत्येक लेन देन के बारे में पता किया जा सकता है। यह एकदम सुरक्षित और सुपर फास्ट है और यह दुनिया में कहीं भी कारगर है और इसकी कोई सीमा भी नहीं है।

बिटकॉइन के नुकसान

  • जिस तरह से बिटकॉइन का इस्‍तेमाल कारोबार के लिए बिजनेसमैन कर रहे हैं। इसका दुरुपयोग भी उतना ही बढ़ता जा रहा है। क्‍योंकि, इसके जरिए होने वाले लेन-देन में गड़बड़ी की जिम्‍मेदारी किसी की नहीं होती है।
  • बिटकॉइन का दुरुपयोग ड्रग्स की खरीद-बिक्री, हवाला, आतंकी गतिविधियों को वित्तीय मदद, टैक्स की चोरी आदि किया जा रहा है |
  • बिटकॉइन की माइनिंग में उपयोग होने वाली बिजली के कारण भी इसकी आलोचना की गयी है। एक बिटकॉइन के संचालन सौदे में अनुमानित 300 kwh बिजली लगती है जो 36000 केतलियों में पानी गर्म करने में लगनी वाली उर्जा के बराबर है |

बिटकॉइन का लेन देन कैसे किया जाता है

  • बिटकॉइन के लेन देन के लिए बिटकॉइन एड्रेस का प्रयोग किया जाता है। कोई भी ब्लॉकचेन में अपना खता बनाकर इसके ज़रिये बिटकॉइन का लेन देन कर सकता है।
  • बिटकॉइन की सबसे छोटी संख्या को सातोशी कहा जाता है। एक बिटकॉइन में 10 करोड़ सातोशी होते हैं। यानी 0.00000001 BTC को एक सातोशी कहा जाता है।

भारत में बिटकॉइन की उपयोगिता और भविष्‍य

  • भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 24 दिसम्बर 2013 को बिटकॉइन जैसी वर्चुअल मुद्राओं के सम्बन्ध में एक प्रेस प्रकाशनी जारी की गयी थी। इसमें कहा गया था की इन मुद्राओं के लेन-देन को कोई अधिकारिक अनुमति नहीं दी गयी है और इसका लेन-देन करने में कईं स्तर पर जोखिम है।
  • 1 फरवरी 2017 और 5 दिसम्बर 2017 को रिजर्व बैंक ने पुन: इसके बारे में सावधानी जारी की थी।

बिटकॉइन माइनिंग क्या है ?

  • बिटकॉइन माइनिंग का मतलब एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें कंप्यूटिंग पावर का इस्तेमाल कर ट्रांजैक्शन ट्रांजैक्शन प्रोसेस किया जाता है, नेटवर्क को सुरक्षित रखा जाता है साथ ही नेटवर्क को सिंक्रोनाइज भी किया जाता है |
  • बिटकॉइन माइनिंग की सफलता का ट्रांजैक्शन प्रोसेस करने पर जो पुरस्कार मिलता है वह बिटकॉइन होता है।
  • माइनिंग का काम वही लोग करते हैं जो जिनके पास के पास विशेष गणना वाले कंप्यूटर और गणना करने की उचित क्षमता हो, ऐसा नहीं होने पर माइनरस  केवल इलेक्ट्रिसिटी ही खर्च करेगा और अपना समय बर्बाद करेगा।

बिटकॉइन की कीमत

  • दुनिया की सबसे महंगी करेंसी बिटकॉइन दुनिया की सबसे महंगी करेंसी बन गई है. फिलहाल एक बिटकॉइन की ऑनलाइन या बाजार कीमत करीब 2.69 लाख रुपये से भी ज्यादा है|
  • कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना बैंक के ट्रांजेक्शन किया जा सकता है. वहीं, इस करेंसी को डिजिटल वॉलेट में भी रखा जाता है|

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