संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पर कानकुन सम्मेलन 29 नवम्बर से 10 दिसम्बर, 2010 के बीच आयोजित किया गया। इसे यूएनएफसीसी कोप-16 के नाम से जाना जाता है। इसमें 194 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन पर एक नवीन संधि के लिए सर्वसम्मति कायम करना, उत्सर्जन की मात्रा तय करना तथा वातावरण वृद्धि को पूर्व औद्योगिक काल के तापमान से 2 डिग्री कम तक बनाए रखने पर सहमत होना था।
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अब कानकुन सम्मेलन के समझौते के अंतर्गत विकसित देशों ने वादा किया है कि वर्ष 2020 तक वे 100 अरब डॉलर हरित जलवायु कोष (ग्रीन क्लाइमेट फंड) द्वारा उपलब्ध कराएंगे। इस हरित जलवायु कोश का धन उष्णकटिबंधीय जंगलों के संरक्षण तथा नई स्वच्छ उर्जा प्रौद्योगिकी को गरीब देशों को उपलब्ध कराने में खर्च होगा। इस कोष के प्रारूप का निर्माण एक समिति द्वारा किया जाएगा, जिसका एक सदस्य विकसित देशों तथा 25 सदस्य विकासशील देशों से होंगे।
कानकुन सम्मेलन में सबसे बड़ा विवादस्पद मुद्दा हरित गृह गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने हेतु बाध्यकारी नियम-कानून को स्थापित करने का था। इसके अतिरिक्त गैस उत्सर्जन में कमी पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी का मामला भी महत्वपूर्ण है।