कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन में ई- तकनीक किसानों की किस प्रकार मदद कर सकती है? इसे समझाइए। UPSC NOTE

कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन में ई- तकनीक किसानों की निम्नलिखित प्रकार से मदद कर सकती है:

उत्पादन में मदद:

  • जलवायु भविष्यवाणी: ई- तकनीक का उपयोग करके किसान जलवायु संबंधी भविष्यवाणियों का उपयोग कर सकते हैं। इससे उन्हें फसल चक्र और फसल पैटर्न पर निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।
  • फसल सुरक्षा: सेंसर और एकीकृत प्रणालियों का उपयोग करके कीड़े और कीटों से फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
  • उत्पादकता में वृद्धि: ई- तकनीक का उपयोग करके किसानों को उन्नत बीज, उर्वरक, और कीटनाशकों तक पहुंच मिल सकती है। इससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।
  • कम लागत: ई- तकनीक का उपयोग करके किसानों को कम लागत पर कृषि कार्यों को पूरा करने में मदद मिल सकती है।

विपणन में मदद:

  • ऑनलाइन बाज़ार: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की बदौलत कृषि उपज बेचना बहुत आसान हो गया है। इससे किसानों को अपने उत्पादों को बड़ी संख्या में ग्राहकों तक पहुंचाने में मदद मिल सकती है।
  • छोटी आपूर्ति शृंखला: सूचना के प्रसार में वृद्धि के परिणामस्वरूप इस उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है। इससे एक अनुकूलित परिवहन और भंडारण प्रक्रिया सुनिश्चित हो सकती है।
  • वास्तविक समय मूल्य अद्यतन: पर्याप्त पारदर्शिता के कारण किसान और उपभोक्ता दोनों वास्तविक समय मूल्य अद्यतन से लाभान्वित हो सकते हैं।

विशिष्ट उदाहरण:

  • भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (eNAM) का उपयोग करके किसान अपने उत्पादों को सीधे बड़े खरीदारों को बेच सकते हैं। इससे उन्हें अधिक लाभ मिल सकता है।
  • कृषि-संबंधी मोबाइल एप्लिकेशन किसानों को मौसम की भविष्यवाणी, फसल की देखभाल, और बाजार कीमतों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं। इससे उन्हें अपने कृषि कार्यों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।

कुल मिलाकर, ई- तकनीक कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं विपणन में किसानों की उत्पादकता, लाभप्रदता, और पहुंच में सुधार करने की क्षमता रखती है। हालांकि, किसानों को ई- तकनीक का उपयोग करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान हासिल करने में मदद के लिए सरकार और अन्य संगठनों द्वारा प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

कृषि में लाभ:

सिंचाई: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सक्षम तरीकों के शामिल होने से पानी के कम उपयोग के साथ फसलों की सिंचाई करना अधिक आसान और कुशल हो गया है।

जलवायु भविष्यवाणी: एक विशेष अवधि में सेंसर से एकत्र किये गए डेटा के प्रसंस्करण के माध्यम से जलवायु संबंधी भविष्यवाणी से किसानों को फसल चक्र और फसल पैटर्न पर निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।

फसल सुरक्षा: सेंसर और एकीकृत प्रणालियों का उपयोग करके कीड़े और कीटों से फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

आसान वित्तपोषण: इंटरनेट और डेटाबेस पर आधारित बढ़ते बैंकिंग नेटवर्क के परिणामस्वरूप ऋणों की तेज़ी से मंज़ूरी संभव है।

वैकल्पिक तरीके: आमतौर पर मनुष्यों द्वारा किये जाने वाले कार्यों को स्वचालित, नियंत्रित और निष्पादित करने के लिये एक्वापोनिक्स तथा हाइड्रोपोनिक्स जैसे तरीकों को ई-प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत किया जा सकता है।

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