भारत में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की मुख्य विशेषताएँ और कार्य क्या हैं? सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और जवाबदेही सुनिश्चित करने में यह कितना प्रभावी रहा है? UPSC NOTE

भूमिका:

केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भारत में शीर्ष भ्रष्टाचार विरोधी निकाय है, जो केंद्र सरकार और उसके संगठनों के सतर्कता प्रशासन पर अधीक्षण करता है। इसकी स्थापना एक कार्यकारी प्रस्ताव द्वारा वर्ष 1964 में संथानम समिति की सिफारिश पर की गई थी तथा सीवीसी अधिनियम, 2003 द्वारा इसे वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया था।

  • संविधानिक दर्जा: CVC एक वैधानिक निकाय है, जिसे 2003 के केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था। इसका मतलब है कि यह संसद द्वारा पारित कानून के तहत कार्य करता है और इसकी स्वतंत्रता संविधान द्वारा संरक्षित है।
  • स्वतंत्रता: CVC की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए, इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। इसके अलावा, CVC के सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है और उन्हें बीच में हटाया नहीं जा सकता है।
  • शक्तिशाली अधिकार: CVC को कई शक्तिशाली अधिकार दिए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की निगरानी करना और उसे निर्देश देना।
    • अधिकारियों के खिलाफ प्राप्त किसी भी शिकायत पर जांच करना और जांच की प्रगति की समीक्षा करना।
    • केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और संगठनों में सतर्कता प्रशासन का पर्यवेक्षण करना।
    • अधिकारियों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों को निर्धारित करना।

सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और जवाबदेही सुनिश्चित करने में CVC ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके कुछ प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:

  • सतर्कता अधिकारियों के पदों को सुदृढ़ करना और प्रक्रियाओं से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह देना।
  • लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार या कदाचार की शिकायतें प्राप्त करना और उनकी जाँच या निरीक्षणकरना।
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मामलों के संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कामकाज पर अधीक्षण का प्रयोग करना।
  • लोक सेवकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक मामलों की प्रगति की समीक्षा करना और उनके शीघ्र निपटान के लिये निर्देश जारी करना।
  • भ्रष्टाचार या कदाचार के दोषी पाए गए लोक सेवकों के खिलाफ उचित कार्रवाई की सिफारिश करना।
  • भ्रष्टाचार का पता लगाने और रोकने के लिये निवारक सतर्कता उपाय जैसे निरीक्षण, लेखा परीक्षा, समीक्षा आदि करना।
  • लोक सेवकों और नागरिकों को भ्रष्टाचार के दुष्परिणामों और सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के महत्त्व के बारे में शिक्षित कर जागरूकता पैदा करना।

CVC के कार्यों के कारण, केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार और अनुचित व्यवहार के मामलों में कमी आई है। हालांकि, CVC अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें शामिल हैं:

  • वित्तीय संसाधनों की कमी: CVC को अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है।
  • प्रशासनिक चुनौतियां: CVC को अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से करने के लिए एक कुशल प्रशासनिक प्रणाली की आवश्यकता है।
  • राजनीतिक दबाव: CVC को अपने कार्यों को निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से करने के लिए राजनीतिक दबाव से बचना होगा।

कुल मिलाकर, CVC सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और जवाबदेही सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, इसे अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें दूर करने के लिए सरकार को कदम उठाने की आवश्यकता है।

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