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अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस

International Museums Day

संग्रहालयों के संदर्भ में लोगों में जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रत्येक वर्ष 18 मई को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (International Museums Day) मनाया जाता है।

  • वर्ष 2021 की थीम: “संग्रहालयों का भविष्य: पुनर्प्राप्ति और पुन: कल्पना” (The Future of Museums: Recover and Reimagine)।

प्रमुख बिंदु

  • इतिहास: इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 1977 में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (International Council of Museums- ICOM) द्वारा की गई थी।

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (ICOM):

  • ICOM एक सदस्यता संघ और एक गैर-सरकारी संगठन है जो संग्रहालय संबंधी गतिविधियों के लिये पेशेवर एवं नैतिक मानक स्थापित करता है। संग्रहालय क्षेत्र में यह एकमात्र वैश्विक संगठन है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1946 में की गई थी और इसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है।
  • यह संग्रहालय पेशेवरों (138 से अधिक देशों में 40,000 से अधिक सदस्य) के एक नेटवर्क के रूप में कार्य करता है।
  • ICOM की रेड लिस्ट (खतरे में रहने वाले सांस्कृतिक वस्तुओं से संबंधी), सांस्कृतिक वस्तुओं के अवैध यातायात को रोकने के लिये व्यावहारिक उपकरण है।
    • रेड लिस्ट सांस्कृतिक वस्तुओं की उन श्रेणियों को प्रस्तुत करती है जिनके चोरी होने या किसी अन्य खतरे का डर रहता है।

भारत में संग्रहालयों का प्रशासन:

  • विभिन्न संग्रहालयों का प्रभार अलग-अलग मंत्रालयों के पास है अर्थात् सभी संग्रहालय केवल संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रशासित नहीं हैं। 
  • कुछ संग्रहालयों को ट्रस्टी बोर्ड के तहत मुट्ठी भर लोगों द्वारा सरकारी समर्थन के बिना प्रशासित किया जाता है।
  • संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
    • अनुच्छेद 49 में राष्ट्रीय महत्त्व के रूप में घोषित कलात्मक या ऐतिहासिक स्मारकों, स्थानों और वस्तुओं की रक्षा करने का प्रावधान है।

संग्रहालय से संबंधित पहलें:

  • संग्रहालय अनुदान योजना:
    • संस्कृति मंत्रालय नए संग्रहालयों की स्थापना के लिये सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत राज्य सरकारों और समितियों, स्वायत्त निकायों, स्थानीय निकायों तथा ट्रस्टों को इस योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
    • इसका उद्देश्य क्षेत्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर मौज़ूदा संग्रहालयों को मज़बूत तथा आधुनिक बनाना है।
  • भारतीय संग्रहालयों के लिये राष्ट्रीय पोर्टल और डिजिटल रिपोजिटरी (संस्कृति मंत्रालय के तहत) को संग्रहालयों के संग्रह के डिजिटलीकरण के लिये शुरू किया गया है।

भारत में उल्लेखनीय संग्रहालय

  • राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली (संस्कृति मंत्रालय के अधीन अधीनस्थ कार्यालय)
  • राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली
  • सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद
  • भारतीय संग्रहालय, कोलकाता
  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण साइट संग्रहालय, गोवा
  • प्राकृतिक इतिहास का राष्ट्रीय संग्रहालय (NMNH), नई दिल्ली

आईएनएस राजपूत (INS Rajput) को डीकमीशन किया जाएगा

भारतीय नौसेना के पहले डिस्ट्रॉयर आईएनएस राजपूत (INS Rajput) को  21 मई, 2021 को डीकमीशन किया जायेगा। इस डिस्ट्रॉयर ने लगभग 41 वर्षों तक भारतीय नौसेना में अपनी सेवाएं दी हैं।

मुख्य बिंदु

आईएनएस राजपूत का निर्माण तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा काशीन श्रेणी के विध्वंसक जहाजों के प्रमुख जहाज के रूप में किया गया था, इसे 4 मई 1980 को कमीशन किया गया था। आईएनएस राजपूत को अब Naval Dockyard, विशाखापत्तनम में एक समारोह में डीकमीशन किया जाएगा। यह समारोह एक छोटा कार्यक्रम होगा जिसमें केवल इन-स्टेशन अधिकारी और नाविक शामिल होंगे जो COVID प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करेंगे।

आईएनएस राजपूत (INS Rajput)

आईएनएस राजपूत का निर्माण निकोलेव (वर्तमान यूक्रेन) में 61 कम्युनार्ड्स शिपयार्ड (61 Communards Shipyard) में मूल रूसी नाम ‘नादेज़नी’ के तहत किया गया था। इसे 17 सितंबर 1977 को लॉन्च किया गया था। इस जहाज को आईएनएस राजपूत के रूप में 4 मई 1980 को पोटी, जॉर्जिया में कैप्टन गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी के साथ यूएसएसआर में भारत के राजदूत आई.के. गुजराल द्वारा कमीशन किया गया था।

इस जहाज़ ने लगभग 4 दशक तक राष्ट्र के लिए अपनी सेवाएं दी। इसने पश्चिमी और पूर्वी दोनों बेड़े में अपनी सेवाएं दी हैं। इसका आदर्श वाक्य “राज करेगा राजपूत” है।

इस जहाज ने राष्ट्र को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कई अभियानों में भाग लिया है। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं :  IPKF की सहायता के लिए श्रीलंका में ऑपरेशन अमन, श्रीलंका के तट पर गश्ती कार्य के लिए ऑपरेशन पवन, मालदीव से बंधक स्थिति को हल करने के लिए ऑपरेशन कैक्टस और लक्षद्वीप से ऑपरेशन क्रोजनेस्ट शामिल हैं।

इसके अलावा, इस जहाज ने कई द्विपक्षीय और बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में भाग लिया। यह जहाज भारतीय सेना रेजिमेंट – राजपूत रेजिमेंट से संबद्ध होने वाला पहला भारतीय नौसेना जहाज भी था।

यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की भारत की अस्थायी सूची में नई साइटें जोड़ी गईं

यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की भारत की अस्थायी सूची में छह स्थलों को जोड़ा गया है।

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा साइटों को प्रस्तुत किया गया था।
  • यूनेस्को द्वारा अपनी अस्थायी सूची के लिए नौ में से छह स्थलों को स्वीकार किया गया है।
  • किसी भी साइट के अंतिम नामांकन से पहले अस्थायी सूची में जोड़ा जाना एक आवश्यकता है।
  • साइटें हैं
  • मराठा सैन्य वास्तुकला, महाराष्ट्र
  • किराया बंगाल महापाषाण स्थल, कर्नाटक
  • नर्मदा घाटी, मध्य प्रदेश के भेड़ाघाट-लमेताघाट।
  • गंगा घाट, वाराणसी
  • कांचीपुरम के मंदिर
  • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, मध्य प्रदेश।
  • ये प्रस्ताव एक साल के लिए अस्थायी सूची में रहेंगे जिसके बाद सरकार यह तय करेगी कि उनमें से किसे यूनेस्को को अपने अंतिम डोजियर में पेश करना है।

जनजातीय स्कूलों के डिजिटल परिवर्तन के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

जनजातीय मामलों के मंत्रालय और माइक्रोसॉफ्ट ने जनजातीय स्कूलों के डिजिटल परिवर्तन के लिए संयुक्त पहल पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

उद्देश्य: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित अगली पीढ़ी की डिजिटल तकनीकों में शिक्षकों और छात्रों को कौशल प्रदान करना।
विजन: समावेशी, कौशल आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करना,
एमओयू मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) और आश्रम स्कूलों जैसे स्कूलों के डिजिटल परिवर्तन का समर्थन करेगा।
माइक्रोसॉफ्ट मंत्रालय के तहत सभी ईएमआरएस स्कूलों में आदिवासी छात्रों के लिए अंग्रेजी और हिंदी दोनों में एआई पाठ्यक्रम उपलब्ध कराएगी।
इस कार्यक्रम से छात्रों को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तैयारी, तैयारी के मामले में लाभ होगा।
पहले चरण में, 250 ईएमआरएस स्कूलों को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा अपनाया गया है, जिनमें से 50 ईएमआरएस स्कूलों को गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा और 500 मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
भारत के सभी राज्यों के शिक्षकों को चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षित किया जाएगा।

पीएम स्वास्थ्य सुरक्षा योजना:

प्रसंग:

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत अब तक 22 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना को मंजूरी दी है, जिनमें से छह पहले से ही पूरी तरह कार्यात्मक हैं।

पीएमएसएसवाई के बारे में:

PMSSY की घोषणा 2003 में सस्ती/विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी।

PMSSY को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।

इसके दो घटक हैं:

नए एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) की स्थापना।
विभिन्न राज्यों में सरकारी मेडिकल कॉलेजों का उन्नयन।
प्रत्येक मेडिकल कॉलेज संस्थान के उन्नयन की परियोजना लागत केंद्र और राज्य द्वारा वहन की जाती है।

ICMR ने घर में टेस्टिंग के लिए CoviSelf किट को मंजूरी दी

हाल ही में ICMR (Indian Council of Medical Research) ने घर में परीक्षण के लिए CoviSelf किट को मंजूरी दे दी है। इसने घर में COVID-19 के परीक्षण के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की है, इस किट के साथ कोई व्यक्ति खुद का परीक्षण कर सकेगा। इस किट का निर्माण Mylab Discovery Solutions द्वारा किया गया है।

मुख्य बिंदु

ICMR ने अपनी एडवाइजरी में कहा, परीक्षण के लिए यूजर को अपने मोबाइल फोन में मायलैब एप (Mylab App) डाउनलोड करनी होगी। इस मोबाइल एप्प के द्वारा परीक्षण प्रक्रिया के बारे में सारी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

रैपिड एंटीजन टेस्टिंग के लिए सिर्फ नेजल स्वैब की जरूरत है। सभी यूजर्स को सलाह दी गई है कि वे उसी मोबाइल फोन से परीक्षण प्रक्रिया पूरी करने के बाद परीक्षण पट्टी (test strip) की एक तस्वीर लें, जिसका उपयोग मोबाइल एप्प डाउनलोड करने और उपयोगकर्ता पंजीकरण के लिए किया गया है।

Indian Council of Medical Research (ICMR)

यह भारत में बायोमेडिकल अनुसन्धान को बढ़ावा देना और समन्वय करने के लिए सर्वोच्च संगठन है। इसका वित्तपोषण भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय के माध्यम से किया जाता है। इसका गठन 1911 में IRFA के रूप में किया गया था, बाद में 1949 में इसका नाम ICMR रखा गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। वर्ष 2021-22 के लिए इसका बजट 2,358 करोड़ रुपये है।

A-76 : दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड (iceberg) अंटार्कटिका से टूट कर अलग हुआ

एक हिमखंड हाल ही में अंटार्कटिका महाद्वीप से टूट कर अलग हुआ है। यह हिमखंड (iceberg) अब दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड है। इसे A-76 नाम दिया गया है।

मुख्य बिंदु

यह आइसबर्ग 170 किलोमीटर लंबा और 25 किलोमीटर चौड़ा है। इस आइसबर्ग को कॉपरनिकस सेंटिनल (Copernicus Sentinel) नामक एक यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के उपग्रह द्वारा देखा गया था। यह दो उपग्रहों वाला तारामंडल है जो पृथ्वी के ध्रुवों की परिक्रमा करता है।

यह आइसबर्ग अब वेडेल सागर (Weddell Sea) पर तैर रहा है। वेडेल सागर पश्चिमी अंटार्कटिक में एक बड़ी खाड़ी है।

उपग्रहों ने ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण (British Antarctic Survey) द्वारा किए गए अवलोकनों की पुष्टि की है। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण ने सबसे पहले इस घटना को नोटिस किया था।

समुद्र तल पर हिमखंड का प्रभाव

हर बार जब अंटार्कटिका से कोई हिमखंड निकलता है, तो यह समुद्र के स्तर को बढ़ा देता है। हालाँकि, इस मामले में, जिस बर्फ की शेल्फ़ से यह बर्ग टूट कर अलग हुआ  है, वह पहले से ही पानी पर तैर रही थी।

जिस आइस शेल्फ़ से A-76 टूट कर अलग हुआ है, उसे रोन आइस शेल्फ़ (Ronne Ice Shelf) कहा जाता है।

A-76 के पूर्ववर्ती (Predecessor of A-76)

A-76 से पहले, A-74 हिमखंड अंटार्कटिका से निकला था। ये दोनों घटनाएँ प्राकृतिक थीं। अंटार्कटिका में निश्चित अंतराल पर बर्फ का जमना और फिर से बढ़ना खण्डों में टूटना स्वाभाविक रूप से होता रहता है। यह प्रक्रिया क्षेत्र में बर्फ के स्तर को बनाए रखने में मदद करती है। हालांकि, इस क्षेत्र में गर्म पानी की आमद इस प्राकृतिक प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है और उस दर को बढ़ा रही है जिस पर हिमखंड टूटते हैं।

MY NAME IS ADITYA KUMAR MISHRA I AM A UPSC ASPIRANT AND THOUGHT WRITER FOR MOTIVATION

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