• HOME
  • DAILY CA
  • UPSC4U NOTES
    • HISTORY
    • POLITY
    • ECONOMICS
    • GEOGRAPHY
    • ESSAY
  • EXAM TIPS
  • PDF4U
    • UPSC BOOKS
    • UPSC MAGAZINE
    • UPSC NCERT
      • NCERT HISTORY
      • NCERT GEOGRAPHY
      • NCERT ECONOMICS
      • NCERT POLITY
      • NCERT SCIENCE
  • OPTIONAL
    • HINDI OPTIONAL
      • HINDI BOOKS
      • HINDI NOTES
    • HISTORY OPTIONAL
    • SOCIOLOGY OPTIONAL
  • MOTIVATION
  • ABOUT US
    • PRIVACY POLICY & TERMS OF SERVICE
  • CONTACT
  • Advertise with Us
UPSC4U
  • HOME
  • DAILY CA
  • UPSC4U NOTES
    • HISTORY
    • POLITY
    • ECONOMICS
    • GEOGRAPHY
    • ESSAY
  • EXAM TIPS
  • PDF4U
    • UPSC BOOKS
    • UPSC MAGAZINE
    • UPSC NCERT
      • NCERT HISTORY
      • NCERT GEOGRAPHY
      • NCERT ECONOMICS
      • NCERT POLITY
      • NCERT SCIENCE
  • OPTIONAL
    • HINDI OPTIONAL
      • HINDI BOOKS
      • HINDI NOTES
    • HISTORY OPTIONAL
    • SOCIOLOGY OPTIONAL
  • MOTIVATION
  • ABOUT US
    • PRIVACY POLICY & TERMS OF SERVICE
  • CONTACT
  • Advertise with Us

ECONOMICS

Home » कितने प्रकार के कॉलर वर्कर होते हैं?

कितने प्रकार के कॉलर वर्कर होते हैं?

  • Posted by teamupsc4u
  • Categories ECONOMICS
  • Comments 0 comment

कॉलर वर्कर

  • ब्लू-कॉलर वर्कर- इस समूह में मज़दूर वर्ग शारीरिक श्रम के माध्यम से आय अर्जन करता है।
  • व्हाइट-कॉलर वर्कर-यह एक वेतनभोगी पेशेवर है, जो आमतौर पर कार्यालय के प्रबंधन का कार्य करता है।
  • गोल्ड-कॉलर वर्कर-इस प्रकार के वर्कर का उपयोग अत्यधिक कुशल ज्ञान वाले लोगों को संदर्भित करने हेतु किया जाता है जो कंपनी के लिये अत्यधिक मूल्यवान होते हैं। उदाहरण- वकील, डॉक्टर, शोध वैज्ञानिक आदि।
  • ग्रे-कॉलर वर्कर- यह व्हाइट या ब्लू-कॉलर के रूप में वर्गीकृत नहीं किये गए नियोजित लोगों को संदर्भित करता है। ग्रे-कॉलर का प्रयोग उन लोगों का वर्णन करने के लिये भी किया जाता है जो सेवानिवृत्ति की आयु से परे काम करते हैं। उदाहरण- अग्निशामक, पुलिस अधिकारी, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर, सुरक्षा गार्ड आदि।
  • ग्रीन-कॉलर वर्कर- ये ऐसे वर्कर हैं जो अर्थव्यवस्था के पर्यावरणीय क्षेत्रों में कार्यरत हैं।उदाहरण- वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों जैसे- सौर पैनल, ग्रीनपीस, वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर आदि में काम करने वाले वर्कर।
  • पिंक-कॉलर वर्कर- यह एक ऐसा रोज़गार है जिसे पारंपरिक रूप से महिलाओं का काम माना जाता है और अक्सर कम वेतन मिलता है।
  • स्कारलेट-कॉलर वर्क- यह एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर पोर्नोग्राफी उद्योग में काम करने वाले लोगों, विशेष रूप से इंटरनेट पोर्नोग्राफी के क्षेत्र में महिला उद्यमियों को संदर्भित करने के लिये किया जाता है।
  • रेड-कॉलर वर्कर- सभी प्रकार के सरकारी कर्मचारी।ओपन-कॉलर वर्कर- यह एक ऐसा वर्कर है जो घर से खासकर इंटरनेट के ज़रिये काम करता है।

क्या होता है WPI तथा CPI

थोक मूल्य सूचकांक

  • थोक स्तर पर सामानों की कीमतों का आकलन करने के लिए थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI) का इस्तेमाल किया जाता है।
  • थोक मूल्य सूचकांक भारत में व्यापारियों द्वारा थोक में बेचे गए सामानों की कीमतों में बदलाव को मापता है।
कॉलर रंग द्वारा श्रमिकों का पदनाम | HiSoUR कला संस्कृति का इतिहास
  • इसमें मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों को सबसे ज़्यादा भार (weightage) दिया जाता है।
  • इसे भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार कार्यालय (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय) द्वारा जारी किया जाता है।
  • थोक मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 2011-12 है।
  • थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के अनंतिम आंकड़े देश भर में संस्थागत स्रोतों और चुनी हुई विनिर्माण इकाइयों से प्राप्त आंकड़ों के साथ संकलित किए जाते हैं और हर महीने की 14 तारीख (या अगले कार्य दिवस) को जारी किए जाते हैं।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

  • ख़ुदरा स्तर पर महँगाई मापने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(Consumer Price Index-CPI) का इस्तेमाल किया जाता है।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का जुड़ाव सीधे तौर पर उपभोक्ताओं से होता है।वर्तमान में भारत में पांच उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) हैं, जिनमें से प्रमुख चार निम्नलिखित हैं-
  • औद्योगिक श्रमिकों के लिये सीपीआई अर्थात औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
  • कृषि मज़दूर के लिये सीपीआई
  • ग्रामीण मज़दूर के लिये सीपीआई
  • सीपीआई (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)
  • उपर्युक्त में से प्रथम तीन को श्रम और रोज़गार मंत्रालय के संबद्ध कार्यालय ‘श्रम ब्यूरो’ द्वारा संकलित एवं जारी किया जाता है।
  • जबकि चौथे प्रकार की सीपीआई को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा संकलित एवं जारी किया जाता है।
  • औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 2016 है।कृषि एवं ग्रामीण श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 1986-87 है।
  • Share:
author avatar
teamupsc4u

Previous post

1991 से पहले की औद्योगिक नीतियों के बारे में जानिए
February 24, 2023

Next post

क्या होता है भुगतान संतुलन तथा उसके मुख्य घटक?
February 24, 2023

You may also like

ECONOMICS
भूमध्यरेखीय पछुआ पवन सिद्धान्त क्या है ?
3 March, 2023
INDIAN
भारत के राज्यों के उद्योग
28 February, 2023
INDIAN
भारतीय बैंकिंग प्रणाली और भारतीय रिज़र्व बैंक
28 February, 2023

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search

Categories

DOWNLOAD MOTOEDU

UPSC BOOKS

  • Advertise with Us

UPSC IN HINDI

  • ECONOMICS
  • GEOGRAPHY
  • HISTORY
  • POLITY

UPSC4U

  • UPSC4U SITE
  • ABOUT US
  • Contact

MADE BY ADITYA KUMAR MISHRA - COPYRIGHT UPSC4U 2023

  • UPSC4U RDM
Back to top