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Home » मोटे अनाज: जौ FOR UPSC IN HINDI

मोटे अनाज: जौ FOR UPSC IN HINDI

  • Posted by teamupsc4u
  • Categories GEOGRAPHY
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जौ उत्तर भारत के बहुत-से क्षेत्रों में जौ एक प्रमुख रबी फसल है। दक्षिण भारत में इस फसल का न्यून महत्व है, लेकिन जिन क्षेत्रों में गेहूं का उत्पादन होता है, वहां जौ का भी सफलतापूर्वक उत्पादन होता है। इसका उपयोग चारा और पशुओं के खाद्यान्न में ही अधिक होता है।

उच्च तापमान एवं उच्च आर्द्रता वाली जलवायु में जौ का उत्पादन नहीं किया जा सकता। जौ के उत्पादन के लिए वैसे क्षेत्र सर्वाधिक उपयुक्त हैं, जहां न्यून मात्र में वर्षा होती है या वर्षा की अनिश्चितता रहती है। 75 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा इस फसल के पौधे के लिए उपयुक्त होती है। जिन क्षेत्रों में शीत ऋतु में ज्यादा ठंड पड़ती है, वहां इसकी खेती ज्यादा होती है। इसकी खेती के लिए लगभग पांच महीनों का समय चाहिए। जो क्षेत्र हमेशा गर्म और आर्द्र रहते हैं, वे जौ के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

Coarse cereals: Barley - ‎Hordeum distichon

जौ की खेती सामान्यतः हल्की मिट्टी में की जाती है, पर जल-सिंचित मध्यम दोमट मिट्टी भी (उर्वरता युक्त) इसकी कृषि के लिए उपयुक्त है। सिन्धु-गंगा के मैदान और पहाड़ी क्षेत्रों में ढलानों पर बलुई एवं कठोर दोमट मिट्टी में जौ की खेती की जाती है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार रागी के प्रमुख उत्पादक हैं।

जौ की बुआई छिंटाई द्वारा की जाती है। जब सिंचाई द्वारा खेती की जाती है, तब भूमि की गहराई 3 से 5 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए और जब खेती वर्षा-जल से की जाती है, तब भूमि की गहराई 5 से 8 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए और यह मिट्टी की नमी पर निर्भर करता है।

जौ की खेती मुख्यतः उत्तरी क्षेत्र में होती है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और बिहार इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। मध्य प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर में भी जौ का उत्पादन होता है। जी की महत्वपूर्ण किस्में हैं-कैलाश, के. 24, के. 70, डोल्मा, आजाद, आर.डी. 108 आदि।

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