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कनाडा में ध्रुवीय भालू की जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई

एक नई सरकारी रिपोर्ट में पाया गया है कि कनाडा में पश्चिमी हडसन बे ध्रुवीय भालू की आबादी में पिछले 5 वर्षों में 27 प्रतिशत की गिरावट आई है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

  • वर्तमान में रूस, अलास्का, नॉर्वे, ग्रीनलैंड और कनाडा में ध्रुवीय भालू आबादी फैली हुई है।
  • पश्चिमी हडसन की खाड़ी में ध्रुवीय भालू की आबादी सबसे पहले विलुप्त होने की उम्मीद है। 2011 और 2016 के बीच इस क्षेत्र में ध्रुवीय भालुओं की संख्या में 11 प्रतिशत की गिरावट आई है।
  • 2021 में, पश्चिमी हडसन की खाड़ी के ध्रुवीय भालुओं द्वारा पैदा किए गए शावकों की संख्या में कमी आई है, जिससे उम्र बढ़ने वाली आबादी और समुद्री बर्फ के पिघलने की बढ़ती भेद्यता के बारे में चिंता पैदा हो गई है।
  • सरकारी अध्ययन में पाया गया कि 2021 में केवल 618 ध्रुवीय भालू शेष थ। यह 1980 के दशक की जनसंख्या के आंकड़ों से लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट है।
  • तेजी से गिरावट का कारण जलवायु परिवर्तन है। ध्रुवीय भालू शिकार करने के लिए समुद्री बर्फ पर निर्भर रहते हैं। आर्कटिक दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में चार गुना तेजी से पिघल रहा है, हडसन की खाड़ी में मौसमी बर्फ पहले वसंत ऋतु में पिघल रही है और बाद में पतझड़ में बन रही है। इससे ध्रुवीय भालू लंबे समय तक भूखे रह सकते हैं।
  • हडसन की खाड़ी में ध्रुवीय भालू की आबादी में गिरावट और समुद्री बर्फ के नुकसान के बीच सीधा संबंध अभी भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि पिछले पांच वर्षों में से चार में बर्फ की स्थिति सामान्य रूप से अच्छी रही है।

सुशासन दिवस 2022: इतिहास और महत्व

हर साल 25 दिसंबर को पूरे भारत में सुशासन दिवस मनाया जाता है। असल में 25 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के अवसर पर उन्हें सम्मानित करने के लिए सुशासन दिवस के रूप में घोषित किया गया था। जिसके बाद से 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया जाता है। सुशासन दिवस के अवसर पर पूरे दिन काम किया जाता है।

सुशासन दिवस: इतिहास
 

सुशासन दिवस को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी बीजेपी के द्वारा हर साल भारत में सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाने के लिए घोषणा की गई थी। अटल बिहारी वाजपेयी के जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस मनाना भारतीय लोगों के लिए बहुत सम्मान की बात है।

सुशासन दिवस मनाने का कारण
 

सुशासन दिवस की घोषणा ई- गवर्नेंस के माध्यम से सुशासन के आधार पर की गयी है। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो सभी सरकारी अधिकारियों को बैठक एवं संचार के लिए इनवाइट करने के बाद मुख्य समारोह में शामिल होकर मनाया जाता है। सुशासन दिवस 1 दिन की लंबी प्रदर्शनी का आयोजन करके और सरकारी अधिकारियों को भाग लेने के साथ ही गवर्नमेंट्स एवं प्रदर्शनी के बारे में कुछ सुझाव देने के लिए इनवाइट करने के लिए मनाया जाता है। संयोग से भारत में सुशासन दिवस 25 दिसंबर को क्रिसमस के अवसर पर पर मिलती है। सुशासन दिवस के अवसर पर पूरे दिन काम करने की घोषणा की गई है। यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 90 वें जन्मदिवस के दौरान इस बात की घोषणा की गई थी।

सुशासन दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?
 

अटल बिहारी वाजपेई की जयंती के अवसर पर सुशासन दिवस कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस दिन को सुशासन दिवस के रुप में बहुत से उद्देश्य की प्राप्ति के लिए घोषित किया गया था। सुशासन दिवस के अवसर पर एक ट्रांसपेरेंट एवं जवाबदेही प्रशासन लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में लोगों के बीच अवेयरनेस बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह भारत में आम नागरिकों के कल्याण एवं भलाई को बढ़ाने के लिए सुशासन दिवस मनाया जाता है। सरकार के कामकाज के मानकीकरण के साथ ही भारतीय लोगों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी एवं जवाबदेही शासन के लिए मनाया जाता है।

अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर (अब मध्य प्रदेश का एक हिस्सा) में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अंत कर दिया।

साल 1947 में वाजपेयी ने दीनदयाल उपाध्याय के समाचार पत्रों के लिये एक पत्रकार के रूप में राष्ट्रधर्म (एक हिंदी मासिक), पांचजन्य (एक हिंदी साप्ताहिक) और दैनिक समाचार पत्रों-स्वदेश और वीर अर्जुन में काम करना शुरू किया। बाद में श्यामा प्रसाद मुखर्जी से प्रभावित होकर वाजपेयी जी वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए। वह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे और वर्ष 1996 तथा 1999 में दो बार इस पद के लिये चुने गए थे।

क्या है वीर बाल दिवस, क्यों मनाया जा रहा है? जानें इतिहास और महत्व

आज यानी 26 दिसंबर को देश की राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में ‘वीर बाल दिवस’कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की है. सिखों के अंतिम गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों के अनुकरणीय साहस की कहानी से देश और दुनिया अवगत कराने के लिए वीर बाल दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. दरअसल, इस साल 9 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि सिख गुरु के चार साहिबजादे खालसा की शहादत को चिह्नित करने के लिए 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा. तो चलिए जानते हैं क्या है वीर बाल दिवस, क्या रहा है इसका इतिहास और इसका महत्व क्या है?

वीर बाल दिवस: इतिहास
मुगल शासनकाल के दौरान पंजाब में सिखों के नेता गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे थे. उन्हें चार साहिबजादे खालसा कहा जाता था. 1699 में गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की. धार्मिक उत्पीड़न से सिख समुदाय के लोगों की रक्षा करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी. तीन पत्नियों से गुरु गोबिंद सिंह चार बेटे: अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, सभी खालसा का हिस्सा थे. उन चारों को 19 वर्ष की आयु से पहले मुगल सेना द्वारा मार डाला गया था.

वीर बाल दिवस का महत्व
वीर बाल दिवस खालसा के चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. अंतिम सिख गुरु गोबिंद सिंह के छोटे बच्चों ने अपने आस्था की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. यह उनकी कहानियों को याद करने का भी दिन और यह जानने का भी दिन है कि कैसे उनकी निर्मम हत्या की गई- खासकर जोरावर और फतेह सिंह की. सरसा नदी के तट पर एक लड़ाई के दौरान दोनों साहिबजादे को मुगल सेना ने बंदी बना लिया था. इस्लाम धर्म कबूल नहीं करने पर उन्हें क्रमशः 8 और 5 साल की उम्र में कथित तौर पर जिंदा दफन कर दिया गया था.

लाहौल स्पीति में 15 दिन तक मनाया जाता है लोसर पर्व

लद्दाख ने लद्दाखी नव वर्ष को चिह्नित करने के लिए लोसर महोत्सव मनाया। लोसर महोत्सव 24 दिसंबर 2022 को लद्दाख में मनाया जाता है। लोसर महोत्सव या लद्दाखी नव वर्ष सर्दियों के दौरान मनाया जाने वाला लद्दाख का एक प्रमुख सामाजिक-धार्मिक त्योहार है। लोसर महोत्सव नए साल से नौ दिनों तक चलेगा। लोग भगवान और देवी के नाम की पूजा अर्चना कर खुशियां मनाएंगे। वे आईबेक्स और कैलाश पर्वत की तीर्थयात्रा के सम्मान में नाचेंगे और गाएंगे। यह लद्दाख क्षेत्र में बौद्ध समुदाय द्वारा मनाया जाता है।

लोसर शब्द का अर्थ है नया वर्ष. यह त्योहार नए साल के पहले दिन मनाया जाता है. यह त्योहार हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति घाटी में सर्दियों के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. लोसर की उत्पत्ति बौद्ध-पूर्व काल में तिब्बत में हुई थी. इसे कृषि महोत्सव के रूप में जाना जाता था. खुबानी के पेड़ों के खिलने का जश्न मनाने के लिए त्योहार का आयोजन किया गया था. इस उत्सव को मनाने के पीछे भी एक दंत कथा प्रचलित है इसके अनुसार नौवें तिब्बती राजा, पुड गुंग्याल के शासनकाल के दौरान इसी रिवाज़ को वार्षिक त्यौहार बनाने के लिए इसे एक फसल त्योहार के साथ मिला दिया गया. बैशाखी, पोंगल आदि की तरह ही लोसर में भी फसल के लिए आभार व्यक्त किया जाता है. लोसर का बाद में तिब्बत में आई बौद्ध परंपरा की ओर झुकाव हो गया. ऐसा माना जाता है कि, पुड गुंग्याल के शासनकाल के दौरान बेल्मा नाम की एक बूढ़ी औरत हुआ करती थी, जो लोगों को चंद्रमा के आधार पर समय की गणना करना सिखाती थी.उस विश्वास के साथ, कुछ स्थानीय लोग लोसर को बाल ग्याल लो के रूप में संदर्भित करते हैं. लोसर को मनाने की तिथि हर साल बदलती है.

लोसर में पारंपरिक नृत्य की परंपरा

तिब्बती त्योहार लोसर के त्योहार में कई प्रकार की पारम्परिक चीज़े लोगों को आकर्षित करती हैं, लेकिन इस त्योहार का सबसे मुख्य आकर्षण होता हैं पारंपरिक नृत्य, जो लोग इस त्यौहार के दौरान करते हैं. इसमें डांस करने वाले लोग कुछ खास किस्म के रंगीन और चमकीले कपड़े पहनते हैं और अपने चेहरे पर दानव या किसी पशु का मुखौटा लगाते हैं, यह डांस दुनियाभर के लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनता है.

कैसे मनाया जाता है लोसर फेस्टिवल
 

दस दिनों तक मनाए जाने वाले इस फेस्टिवल की शुरूआत मंदिरों और घरों में रोशनी के साथ होती है। चारों ओर रोशनी से पूरा लद्दाख जगमगा उठता है। पुरानी परंपरा के अनुसार लोग अपने परिवार के सदस्यों की कब्र पर जाते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। फेस्टिवल के तीसरे दिन चांद देखने का इतंजार करते हैं। फेस्टिवल में एक और चीज़ जो देखने वाली है वो है नृत्य और संगीत, जो संगीत प्रेमियों ही नहीं आम लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। भारत में लोसर फेस्टिवल देश के अलग-अलग जगहों पर रहने वाले योल्मो, शेरपा, तमांग, गुरुंग, और भूटिया समुदायों द्वारा मनाया जाता है।

क्या है आर्कटिक ब्लास्ट जिससे तबाह हो गए अमेरिका के कई इलाके?

आर्कटिक ब्लास्ट (Arctic Blast) ने अमेरिका पर Bomb Cyclone ला दिया है. अमेरिका में इस समय जो मौसम हैं, उसने जिंदगी रोक दी है। यातायात बंद है। संचार सेवा बाधित है। भयानक सर्दी पड़ रही है। पारा माइनस 57 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। कई इलाकों में साढ़े तीन फीट मोटी बर्फ जमी है। हवाएं इतनी तेज और ठंडी हैं कि हड्डियों को जमा दें।

उत्तरी ध्रुव यानी आर्कटिक की तरफ से ठंडी हवाएं अमेरिका की तरफ आ रही हैं। तापमान तेजी से गिर रहा है। ज्यादातर अमेरिका में तापमान औसत से बहुत नीचे है। दिन में कुछ स्थानों पर पारा 11 डिग्री सेल्सियस रह रहा है। जबकि कुछ जगहों पर रात में पारा माइनस 57 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। मैदानी इलाकों जैसे ऊपरी मध्य-पश्चिम और ग्रेट लेक्स में बर्फबारी की चेतावनी जारी की गई है। बर्फीली हवाएं चलेंगी।

इस मौसम की शुरुआत आर्कटिक ब्लास्ट (Arctic Blast) से हुई है। यानी आर्कटिक ब्लास्ट की तरफ से आने वाली सर्द हवाओं की वजह से। आर्कटिक की तरफ से ठंडी जेट स्ट्रीम अमेरिका के ऊपरी वायुमंडल को ठंडा कर गई। जिसकी वजह से पूरे अमेरिका की हालत खराब हो गई। अमेरिका के ऊपर मौजूद नमी वाली गर्म हवा के ऊपर से ठंडी जेट स्ट्रीम निकली तो वह भी सर्द हो गई। इससे खतरनाक मौसम बन गया। बॉम्ब साइक्लोन पैदा हो गया। 24 घंटे में तापमान तेजी से नीचे गिरा।

क्या होता है Arctic Bomb?
 

आर्कटिक ब्लास्ट को ही आर्कटिक बॉम्ब (Arctic Bomb) कहते हैं। कुछ समय के लिए आर्कटिक इलाके से ठंडी हवा की झोंका गर्म इलाकों की तरफ तेजी से जाता है। इसकी वजह से 24 घंटे के अंदर तापमान माइनस में चला जाता है। चारों तरफ बर्फ जम जाती है। भयानक बर्फबारी होती है। ठंडी हवाएं चलती हैं। यह स्थिति ठंडी हवाओं के खत्म होने तक चलती रहती है। आर्कटिक ब्लास्ट की वजह से अमेरिका में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है।

राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में वीर बाल दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करेंगे
  • महाराष्ट्र ने सड़क पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए एक पहल ‘बालस्नेही’ बसें शुरू कीं।
  • नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने असम में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) अभ्यास में विसंगतियों का पता लगाया
  • पश्चिम बंगाल की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को 30 दिसंबर को हरी झंडी दिखाई जाएगी।

आर्थिक करेंट अफेयर्स

  • आरबीआई के संशोधित बैंक लॉकर नियम 1 जनवरी से लागू हो जाएंगे।
  • भारत ई-कॉमर्स में उपभोक्ता संरक्षण पर विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों की टिप्पणियां मांगी
  • DPIIT ने राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति के मसौदे पर मंत्रालयों के विचार मांगे
  • संसदीय पैनल ने राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM) के बजटीय आवंटन के खराब उपयोग पर निराशा व्यक्त की

अंतर्राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स

  • पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए।
  • मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग, रिश्वतखोरी के आरोप में 11 साल की जेल हुई
  • चीन के झेजियांग में रोजाना 10 लाख कोविड मामले दर्ज, दोगुने होने की उम्मीद

खेल-कूद करेंट अफेयर्स

  • महिला राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप: निकहत ज़रीन और लवलीना बोरगोहेन फाइनल में पहुंचीं।
  • भारतीय जूनियर तीरंदाज पांच स्वर्ण सहित नौ पदकों के साथ एशिया कप चरण III में पदक तालिका में शीर्ष पर हैं
MY NAME IS ADITYA KUMAR MISHRA I AM A UPSC ASPIRANT AND THOUGHT WRITER FOR MOTIVATION

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